Van vihar national park | वन विहार भोपाल
Van vihar national park | वन विहार भोपाल
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल में एक राष्ट्रीय उद्यान है। राष्ट्रीय उद्यान (नेशनल पार्क) का नाम सुनते ही आँखों के सामने दूर तक फैला घना जंगल और खुले घूमते जंगली जानवरों का दृश्य उभर आता है।
लेकिन अगर आप कभी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जाएँ तो वहाँ शहर के बीचोंबीच बना ‘वन विहार’ राष्ट्रीय उद्यान इन सब बातों को गलत साबित करता प्रतीत होगा। यह ‘थ्री इन वन’ राष्ट्रीय उद्यान है।
यह अनोखा उद्यान नेशनल पार्क होने के साथ-साथ एक चिड़ियाघर (जू) तथा जंगली जानवरों का रेस्क्यू सेंटर (बचाव केन्द्र) भी है।
445 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान में मिलने वाले जानवरों को जंगल से पकड़कर नहीं लाया गया है।
Van vihar national park
यहाँ ज्यादातर वो जानवर हैं जो लावारिस, कमजोर, रोगी, घायल अथवा बूढ़े थे या फिर जंगलों से भटक-कर ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में आ गए थे तथा बाद में उन्हें पकड़कर यहाँ लाया गया।
कुछ जानवर दूसरे प्राणी संग्रहालयों से भी यहाँ लाए गए हैं जबकि कुछ सर्कसों से छुड़ाकर यहाँ रखे गए हैं।
वन विहार अद्भुत है। पाँच किलोमीटर लंबे इस राष्ट्रीय उद्यान के एक तरफ पूरा पहाड़ और हराभरा मैदानी क्षेत्र है जो जंगलों तथा हरियाली से आच्छादित है।
दूसरी ओर भोपाल का मशहूर तथा खूबसूरत बड़ा तालाब (ताल) है। ये संगम अपने आप में बहुत सुंदर लगता है। वन विहार विस्तृत फैला हुआ चिड़ियाघर है।
यह प्रदेश का एकमात्र ‘लार्ज जू’ यानी विशाल चिड़ियाघर है। इससे पहले यह मध्यम श्रेणी के चिड़ियाघर में आता था। यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर भी है जिसकी देखरेख वन विभाग करता है।
Van vihar national park
प्रदेश में दो अन्य चिड़ियाघर भी हैं। ये इंदौर और ग्वालियर में स्थित हैं। लेकिन ये दोनों ही चिड़ियाघर ‘स्मॉल जू’ यानी छोटे चिड़ियाघरों की श्रेणी में आते हैं और इनकी देखरेख स्थानीय नगर-निगम करता है।
ये दोनों ही चिड़ियाघर किसी भी मामले में वन विहार के आस-पास नहीं ठहरते। वन विहार की शानदार खासियतों की वजह से ही इसे 18 जनवरी 1983 को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया जो अपने आप में एक उपलब्धि है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बडे तालाब के पास की जिस पहाडी पर वन विहार स्थित है वह लगभग तीन दशक पूर्व वीरान थी और आबादी की मार से यहॉं का जंगल बरबाद हो चुका था ।
वर्ष 1981 में इस पहाडी के वनक्षेत्र का संरक्षण सघन रूप से शुरू हुआ और जल्दी ही यह पहाडी हरी भरी होने लगी।
26 जनवरी 1983 को पहाडी एवं उसके आस-पास के 445.21 हे. क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देकर वन विहार का नाम दिया गया।
Van vihar national park
वन विहार में प्रकृति अपने सहज रूप में दिखती है और वन विहार से लगा हुआ भोपाल के बडे तालाब का कुछ भाग (लगभग 50 हे.) भी वन विहार का हिस्सा है.
जो कि सारे परिदृश्य को बहुत मनोरम बना देता है। तालाब के जल विस्तार में अठखेलियॉं करती लहरें, यहां-वहां उडते जल पक्षी और तालाब में पर्यटकों को विहार कराती नौकायें एव अद्भुत सौंदर्य की रचना करती हैं।
शाम के समय बडे तालाब के पार अस्त होते हुये सूर्य को देख्ना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले जीव-जंतु
बाघ,सिंह, तेंदुआ, भालू, हायना, सियार, गौर, बारासिंगा, सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश, मगर, घडियाल, कछुआ एवं विभिन्न प्रकार के सर्प आदि।
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वन विहार राष्ट्रीय उद्यान इस तरह से पहुंचे
रेल मार्ग –
भोपाल रेलवे स्टेशन से लगभग लगभग 08 कि.मी. तथा हबीबगंज रेलवे स्टेशन से लगभग 6.5 कि.मी. ऑटो एवं टेक्सी के द्वारा पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग –
स्वयं के वाहन से अथवा ऑटो एवं टेक्सी के द्वारा पहुंचा जा सकता है।
वायु मार्ग –
राजाभोज विमान तल से लगभग 17 कि.मी. टेक्सी आदि से पंहुचा जा सकता है ।
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