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विश्व मधुमेह दिवस | World diabetes day Hindi

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विश्व मधुमेह दिवस | World diabetes day Hindi

World diabetes day Hindi

‘विश्व मधुमेह दिवस’ प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में 14 नवम्बर को मनाया जाता है | यह दिवस ‘मधुमेह जागरूकता’ का सन्देश मुख्य रूप से फैलाने का काम करता है| 

14 नवम्बर 1891 ई. में जन्मे कनाडा के महान वैज्ञानिक सर फ्रेडरिक ग्रांट बेंटिंगका जन्म हुआ था जिनके जन्म दिवस पर ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मनाया जाता है|

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इतिहास

फ्रेडेरिक ग्रांट बेंटिंग ने शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए चार्ल्स बेस्ट (कैनेडियन मेडिकल साइंटिस्ट) के साथ मिलकर 1922 ई. में इन्सुलिन की खोज की थी |

इन्सुलिन नामक हार्मोन पैंक्रियाज से स्रावित होकर भोजन के साथ मिलकर हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने का कार्य करता है |

ऐसा माना जाता है कि जब इन्सुलिन की खोज नहीं हुई थी, उस काल में मधुमेह रोग हो जाने पर निश्चित मृत्यु हो जाती थी |

ऐसी स्थिति में रोगी अपने अन्दर जीवन जीने की आशा को खोने लगता था | हॉस्पिटल में प्रवेश करने के बाद मृत्यु की प्रतीक्षा करता था |

इन हालातों के मध्य में फ्रेडरिक ग्रांट बेंटिंग तथा उनके सहयोगियों के द्वारा की गयी इन्सुलिन की खोज ने लाखों व्यक्तियों को नया जीवनदान दे दिया |

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मधुमेह दिवस मनाने का कारण 

फ्रेडरिक बेंटिंग एवं उनके सहयोगी डॉ. बेस्ट, डॉ. कुलिप तथा डॉ. मैक्लियाड द्वारा की गयी इन्सुलिन की खोज के कारण हजारों-लाखों लोग ‘निश्चित मृत्यु’ की भावना से ऊपर उठने लगे थे |

यह नया जीवनदान पूरे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया एवं पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण इतिहास बन गया |

यह इतिहास अक्षुण रूप से रहे इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ ने 1991 ई. में विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मनाने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया|

इस महत्वपूर्ण कदम में WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन ) का साथ मिला और संयुक्त राष्ट्र की प्रमाणिकता के साथ आधिकारिक रूप से 2006 में पूरे विश्व में ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मनाने की योजना संपन्न हुई |

उसके बाद 2007 में ‘विश्व मधुमेह दिवस’ के लिए एक प्रतीक चिन्ह ‘नीला सर्किल’ भी पारित हुआ | आज नीले सर्किल को मधुमेह जागरूकता के लिए वैश्विक प्रतीक माना जाता है |

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भारत में महत्त्व

भारत को मधुमेह की राजधानी कहा जाता है। खानपान की ख़राबी और शारीरिक श्रम की कमी के कारण पिछले दशक में मधुमेह होने की दर दुनिया के हर देश में बढ़ी है।

इण्डिया में इसका सबसे विकृत स्वरूप उभरा है जो बहुत भयावह है। जीवनशैली में अनियमितता मधुमेह का बड़ा कारण है।

एक दशक पहले भारत में मधुमेह होने की औसत उम्र चालीस साल की थी जो अब घट कर 25 से 30 साल हो चुकी है।

15 साल के बाद ही बड़ी संख्या में लोगों को मधुमेह का रोग होने लगा है। कम उम्र में इस बीमारी के होने का सीधा मतलब है कि चालीस की उम्र आते-आते ही बीमारी के दुष्परिणामों को झेलना पड़ता है।

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भारत में 1995 में मधुमेह रोगियों की संख्या 1 करोड़ 90 लाख थी, जो 2008 में बढ़कर चार करोड़ हो गई है।

अनुमान है कि 2030 में मधुमेह रोगियों की संख्या आठ करोड़ के आसपास हो जाएगी। भारत सरीखे देशों में क़रीब 340 से 350 लाख व्यक्ति इस व्याधि का शिकार हैं, जो एक विश्व रिकार्ड है।

17% नगरवासी एवं 2.5% ग्रामवासी इस बीमारी से पीड़ित हैं। दिल्ली मधुमेह अनुसंधान केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. ए. के. झिंगन के अनुसार सभी तरह के निचले अंग विच्छेदन के मामले में 45 से 75 फ़ीसदी मधुमेह रोगी होते हैं।

2030 में मधुमेह रोगियों की अनुमानित संख्या क़रीब आठ करोड़ है, जिसमें एक करोड़ लोगों को डायबिटिक पैरों का ख़तरा होगा।

यह मधुमेह रोगियों में सर्वाधिक गम्भीर, जटिल व खर्चीली बीमारी है। इस रोग के परिणामस्वरूप शरीर के निचले हिस्से के अंगों में विच्छेदन की संख्या बढ़ी है।

मधुमेह (डायबिटीज) के कारण ही किडनी की ख़राबी, हृदय आघात, पैरों का गैन्ग्रीन और आंखों का अन्धापन अब भारत की मुख्य स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है।

ग़लत ख़ानपान एवं आलसी जीवन शैली के कारण दिन-प्रतिदिन कम उम्र के लोगों में यह बीमारी हो रही है।

अतः भारत में ज़ोर-शोर से विश्व मधुमेह दिवस मनाने की ज़रूरत है। इस लक्ष्य को लेकर कुछ कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये हैं जो इस प्रकार हैं।

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बचाव

खानपान की ख़राबी और शारीरिक श्रम की कमी के कारण पिछले दशक में मधुमेह होने की दर दुनिया के हर देश में बढ़ी है।

भारत में इसका सबसे विकृत स्वरूप उभरा है जो बहुत भयावह है। एक दशक पहले भारत में प्रकार-2 मधुमेह होने की औसत उम्र चालीस साल की थी जो अब घट कर 25 से 30 साल हो चुकी है।

15 साल के बाद ही बड़ी संख्या में लोगों को मधुमेह का रोग होने लगा है। कम उम्र में इस बीमारी के होने का सीधा मतलब है कि चालीस की उम्र आते-आते ही बीमारी के दुष्परिणामों को झेलना पड़ता है।

मधुमेह के कारण ही किडनी की ख़राबी, हृदय आघात, पैरों का गैन्ग्रीन और आँखों का अन्धापन अब भारत की मुख्य स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि मधुमेह से बचाव हमारी प्रमुख प्राथमिकता हो गयी है।

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सलाह

मधुमेह के मरीज़़ों को आहार की विशिष्ट सलाह दी जाती है। यह विकार आजीवन रहने वाला है। 

 

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