Fossil national park | फासिल राष्ट्रिय पार्क घुघवा
Fossil national park | फासिल राष्ट्रिय पार्क घुघवा
पेड़, पौधे, पत्ते, सीप सहित डायनासौर के अण्डे के जीवाश्म भी यहां मौजूद हैं।
सबसे अलग होने की वजह से टूरिस्ट और रिसर्च में रुचि रखने वाले लोग यहां बड़ी संख्या में आते हैं।
इस पार्क को प्लांट फॉसिल पार्क भी कहते हैं। पुरातत्व विभाग की प्रभारी हेमंतिका शुक्ला कहती हैं कि यहां करोड़ों साल पहले अरब सागर हुआ करता था।
प्राकृतिक परिवर्तन की वजह से पेड़ से पत्ते तक जीवाश्म में परिवर्तित हो गए।
Fossil national park
घुघवा फॉसिल नेशनल पार्क में डायनासौर के अंडे के जीवाश्म देखने मिलते हैं। अंडों के जीवाश्म यहां काफी संख्या में देखने मिलते हैं। सही समय पर बाहर ना आने और प्राकृतिक परिवर्तन के चलते ये पत्थर में परिवर्तित हो गए हैं।
पेड़ों के जीवाश्म
यहां लकड़ी के जीवाश्म भी देखने मिलते हैं। ऐसे कई वृक्षों के जीवाश्म हैं जो सदियों पहले हुआ करते थे, लेकिन अब उनका कोई वजूद नहीं है।
दूर से देखने पर ये भी पत्थर की तरह ही प्रतीत होते हैं। यहां कई पूरे साबूत पेड़ हैं जो खड़े जीवाश्म में परिवर्तित हो गए।
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पत्थरों पर चिपके पत्ते
पत्थरों पर चिपके हुए पत्तों के जीवाश्म भी यहां देखने मिलते हैं। अचानक आए परिवर्तन ने पेड़ों के पत्तों को भी चिपका दिया था।
ये उस वक्त जिस अवस्था में थे उसी अवस्था में पत्थर में परिवर्तित हो गए, जिनके निशान इस पार्क में देखने मिलते हैं।
सीप के भी जीवाश्म
इस पार्क में सीप के भी जीवाश्म देखने मिलते हैं। समुद्र में पायी जाने वाली सीप जो पत्थर में तब्दील हो गई।
वैज्ञानिकों ने कुछ को तो पत्थरों के अंदर से खुदाई करके निकाला, जबकि कुछ तो वैसे ही मिली जैसी जीवित अवस्था में देखने मिलती हैं।
Fossil national park
ताड़ पेड़ का जीवाश्म
वैज्ञानिकों ने बरसों की रिसर्च के बाद यहां मिली प्रत्येक वस्तु के संबंध में जानकारी प्राप्त की और उन्हें पार्क में संरक्षित किया।
मंडला जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में एक ताड़ के पेड़ का भी जीवाश्म है। पत्थर बना हुआ पेड़ का नीचला हिस्सा यहां मौजूद है।
रिसर्च
इस पार्क का महत्व रिसर्च में सबसे ज्यादा है। यहां अमेरिका सहित कई देशों से वैज्ञानिक रिसर्च करने के उद्देश्य से आ चुके हैं।
अब भी आसपास के क्षेत्रों में रिसर्च समय-समय पर की जाती है। मध्यप्रदेश मंडला डिंडौरी की सीमा पर स्थित घुघवा गांव के पास ये पार्क मध्यप्रदेश वन विभाग में संरक्षण में संचालित है और राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान घुघवा के नाम से जाना जाता है। इसे घुघवा फॉसिल पार्क भी कहते हैं।
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