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दहेज प्रथा पर निबंध | Dahej pratha par nibandh

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दहेज प्रथा पर निबंध | Dahej pratha par nibandh

Dahej pratha par nibandh

21वीं सदी में विकासशील भारत के लिए दहेज प्रथा एक कोड का काम कर रही है। दहेज प्रथा हमारे देश के लिए एक कलंक है जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यह फोड़े की तरह इतना नासूर हो गया है कि अब बहू – बेटियों की जान भी लेने लगा। दहेज प्रथा किसी आतंकवाद से कम नहीं है। दहेज प्रथा का चंगुल हर जगह व्याप्त है।  इसकी जड़ें इतनी मजबूत हो गई है कि अमीर हो या गरीब हर वर्ग के लोगों को जकड़ रखा है।

 

दहेज़ प्रथा पर निबंध 

दहेज प्रथा के खिलाफ भारत सरकार ने कई कानून भी बनाए है लेकिन उन कानूनों का हमारे रूढ़िवादी सोच वाले लोगों पर कोई असर नहीं होता है। वह दहेज लेना एक अभिमान का विषय मानते है, जिसको जितना ज्यादा दहेज मिलता है वह उतना ही गर्व करता है और पूरे गांव में इसका ढिंढोरा पीटता है। जबकि दहेज गर्व का नहीं शर्म का विषय है।

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दहेज प्रथा क्या है ?

जब वर पक्ष की ओर से वधू पक्ष को विवाह करने के लिए किसी भी प्रकार की रुपयों, गाड़ी, सामान अन्य विलासता की वस्तुएं मांगना दहेज प्रथा के अंतर्गत आता है। दहेज लेना और देना दोनों भारतीय कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। पुरुष प्रधान देश होने के कारण हमारे देश में महिलाओं का शोषण किया जाता है। उसी शोषण का दहेज प्रथा एक रुप है।

दहेज लेना लोगों में एक गर्व का विषय बन चुका है, वह सोचते है कि अगर हम ने दहेज नहीं लिया तो समाज में हमारी कोई इज्जत नहीं रह जाएगी। इसलिए लड़के वाले लड़कियों से जितनी ज्यादा हो सके उतनी दहेज की मांग करते है। पुराने रीति रिवाजों की ढाल लेकर इसे एक विवाह का रिवाज बना दिया गया है जिसे भारत के हर वर्ग ने अच्छी तरह से अपना लिया है।

इसके खिलाफ नहीं तो कोई बोलना चाहता है ना ही कोई सुनना चाहता है क्योंकि इसमें सब अपना – अपना स्वार्थ देखते है।  दहेज प्रथा नहीं लोगों की सोच को इतना खोखला कर दिया है कि अगर उनको दहेज नहीं मिलता है तो वह शादी करने से इनकार कर देते है और अगर कुछ लोग शादी कर भी लेते है तो फिर दहेज के लिए दुल्हन पर अत्याचार करते है उसका शोषण करते है जिसके कारण उसके मां-बाप मजबूर होकर दहेज देने को तैयार हो जाते है।

दहेज लेने  के वर्तमान में नए आयाम भी बना दिए गए है जिसके अनुसार दूल्हे की आय जितनी अधिक होगी उसको उतना ही अधिक दहेज मिलेगा। दहेज प्रथा मध्यम वर्गीय लोगों में आजकल बहुत प्रचलित हो गई है।

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दहेज प्रथा की उत्पत्ति 

पुराने जमाने में लड़की वालों की तरफ से लड़के वालों को उपहार स्वरूप कुछ वस्तुएं दी जाती थी जैसे कि घोड़ा, बकरी, ऊंट आदि है। लेकिन फिर जैसे जैसे भारत में प्रगति की तो लोगों के सोचने विचारने की मानसिकता भी बदलती गई।  लड़कियों वालों को जो वस्तुएं उपहार स्वरूप मिलती थी अब वे लड़की वालों पर उपहार देने के लिए विशेष मांग करने लगे है। जब से लड़के वालों की तरफ से यह विशेष मांग होने लगी है तब से दहेज प्रथा की उत्पत्ति होने लगी थी।

इसका एक अन्य पहलू यह भी है कि जब लड़की और लड़के की शादी कर दी जाती है तो उनकी आर्थिक सहायता के लिए उनको कुछ रुपए दिए जाते थे ताकि वह अपना जीवन ठीक प्रकार से निर्वाह कर सकें।

दहेज प्रथा को हवा तभी मिलती है जब लड़की में कुछ कमी हो जैसे कि वह  विकलांग हो उसका रंग रूप सावला होने पर लड़की वाले अपनी लड़की की शादी करने के लिए लड़की वालों को दहेज के रूप में बहुत सारे रुपए और अन्य विलासता की वस्तुएं देते है। जिससे इस प्रथा को और भी हवा मिलती है।

और वर्तमान में तो यह स्थिति है कि अगर लड़का कोई सरकारी नौकरी या किसी बड़े पद पर है तो उसको दहेज देना जरूरी है। लड़के वाले इसके लिए विशेष मांग रखने लगे है। जिसके कारण गरीब परिवार की लड़की वालों की आधी कमाई तो अपनी बेटी की शादी करने में ही चली जाती है।  और इसके कारण एक करने अभिशाप ने जन्म ले लिया है अब बेटियों को कोख में ही मार आज आने लगा है क्योंकि लोग मानते है कि बेटियां पराई होती है वह हमारे किसी भी प्रकार से काम नहीं आने वाली और उनकी शादी पर उनको दहेज भी देना पड़ेगा इसलिए अब बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम हो गई है।

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दहेज प्रथा का जहरीला दंश 

दहेज प्रथा ने वर्तमान में एक महामारी का रुप ले लिया है, यह किसी आतंकवाद से कम नहीं है क्योंकि जब गरीब परिवार के माता पिता अपनी बेटी  की शादी करने जाते है तो उनसे दहेज की मांग की जाती है और वह दहेज देने में असमर्थ होते है तो या तो वे आत्महत्या कर लेते है या फिर किसी जमीदार से दहेज के लिए रुपए उधार लेते है और जिंदगी भर उसका ब्याज चुकाते रहते है।

इसका विस्तार होने का कारण इन लोगों की दकियानूसी सोच है वह सोचते है कि अगर बेटे की शादी में दहेज नहीं मिला तो समाज में उनकी थू-थू  होगी उनकी कोई इज्जत नहीं करेगा। वह दहेज लेना अपना अधिकार समझने लगे है जिस कारण यह दहेज रूपी महामारी हर वर्ग में फैल गई है। अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह  मानव सभ्यता पर बहुत बड़ा कलंक होगा।

महात्मा गांधी जी ने भी दहेज प्रथा को एक कलंक बताया है उन्होंने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि

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“जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की जरुरी शर्त बना देता है, वह अपने शिक्षा और अपने देश की बदनाम करता है, और साथ ही पूरी महिला जात का भी अपमान करता है “

यह ऐसा कटु सत्य है जिस को झुठलाया नहीं जा सकता है। 21वीं सदी के भारत में लोग अपने सभ्य होने का दावा करते है लेकिन जब उनको कहा जाता है कि दहेज ना लें तो वह अपनी सभ्यता भूल जाते है और दहेज की मांग ऐसे करते है जैसे यह उनका जन्मसिद्ध अधिकार हो।

समाज के पढ़े लिखे युवा भी इसके खिलाफ नहीं बोलते है क्योंकि उनको भी कहीं ना कहीं यह डर रहता है कि अगर उन्हें दहेज में कुछ नहीं मिला तो अपने परिवार वालों और दोस्तों में उनकी इज्जत घट जाएगी इसलिए वे भी दहेज की मांग करने लगे है। अगर पढ़े लिखे युवा ही इस प्रथा को बढ़ाने में लगे रहे तो मानव सभ्यता का विनाश दूर नहीं है।

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दहेज प्रथा एक गंभीर समस्या 

दहेज प्रथा का जहरीला दंश सदियों से चला आ रहा है। और अब लोगों ने इसको एक परंपरा का रूप दे दिया है जिसके कारण लोगों को लगता है कि दहेज देना अनिवार्य है। इसके खिलाफ भारत सरकार ने कई कानून बनाए है लेकिन उनकी पालना सही प्रकार से नहीं होने के कारण लोगों का दहेज के प्रति आत्मविश्वास और बढ़ गया है।

दहेज प्रथा के कारण सभी लोग अमीर परिवारों में ही शादी करना चाहते है क्योंकि उनको उम्मीद होती है कि वहां से ज उनको ज्यादा दहेज मिलेगा। जिससे गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है और अगर कोई करना नहीं चाहता है तो लड़के वाले इतना दहेज मांगते है कि गरीब परिवार वाले उस देश की रकम को चुकाने में असमर्थ होते है। इसके कारण एक और गंभीर समस्या जन्म ले रही है। हम लड़कियों को कोख में ही मारे जाने लगा है क्योंकि हमारे आधुनिक भारत में अब  गर्भ में ही पता लगाया जा सकता है कि लड़का होगा या लड़की, अगर गर्भ में लड़की पाई जाती है तो उसको कोख में ही मरवा दिया जाता है क्योंकि लोग सोचते है कि लड़कियां किसी काम की नहीं होती और उनकी शादी पर दहेज भी देना पड़ेगा।

दहेज प्रथा के कारण भारत के कई राज्य में लड़के और लड़कियों का लिंगानुपात भी बिगड़ गया हैजिसके कारण कई लड़कों की शादी नहीं हो पाती है। जिसके कारण देश में अब बलात्कार की घटनाएं भी बढ़ने लगी है।

कुछ राज्यों में तो दहेज प्रथा के लिए Rate List भी बना ली गई है कुछ समय पहले राज्यों से खबर आई थी कि लड़के की शादी के लिए अभी दहेज की Rate List तय कर दी गई है।

– अगर कोई लड़का आईएएस अधिकारी है तो उसको साठ लाख से एक करोड़ का दहेज मिलेगा (इसमें जाति के  प्रकार पर दहेज कम ज्यादा हो सकता है)।

– और अगर कोई लड़का IPS अधिकारी है तो उसको 30 लाख से 60 लाख तक का दहेज मिल सकता है।

– अगर कोई लड़का किसी कंपनी के उच्च पद पर है तो उसे 40 से 50 लाख रुपए की रकम दहेज में मिल सकती है।

–  बैंक में काम करने वाले को 20 से 25 लाख और अगर कोई सरकारी Peon है तो वह भी 5 लाख तक का दहेज ले ही जाता है।

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इस तरह की Rate List 21वीं सदी में आश्चर्य का विषय है। सोचने की बात तो यह है कि जिनको भी ज्यादा दहेज मिल रहा है वह उतने ही पढ़े-लिखे है लेकिन उनको दहेज देने में कोई शर्म नहीं आती है। वह इतने बड़े-बड़े सरकारी पदों पर बैठे है लेकिन सरकार के कानून का उनको कोई भी खौफ नहीं है। हम यह नहीं कह रहे कि सभी सरकारी या प्राइवेट पद के लोग दहेज लेते है लेकिन कुछ लालची लोग ऐसे है जो कि दहेज लेने को अभिमान मानते है।

उन लोगों को ऐसा करते हुए जरा भी शर्म का एहसास नहीं होता है वह खुलेआम दहेज की मांग करते है। अगर उनको दहेज नहीं मिलता है तो भी शादी करने से भी इनकार कर देते है। यह लोग समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है। यह लोग हर जगह पर पाए जाते है जब भी किसकी नई शादी होती है तो यह लोग वहां पर पहुंच जाते है और उनसे पूछते है कि बताओ दहेज में क्या-क्या मिला और अगर दहेज में  कम समान मिला होता है तो यह लोग अपना बखान करने लग जाते है और दूसरे को नीचा दिखाते है जिससे इस प्रथा को और हवा मिलती है।

वर्तमान समय में तो दहेज के लिए अब महिलाओं का शोषण भी होने लगा है उनको तरह-तरह के ताने सुनाए जाते है। और कोई लोग तो अब इतना आगे बढ़ गए है कि दहेज ना मिलने पर अपनी बहुओं को मारते-पीटते है और कुछ समय पहले खबर आई थी कि अब उनको जिंदा जलाकर मारा भी जाने लगा है।

ऐसे लोगों के कारण एक तरफ भारत विकासशील देश से विकसित होने के लिए बढ़ रहा है लेकिन इन लोगों की सोच की वजह से भारत में एक दहेज रूपी महामारी भी भयानक रूप ले रही है। अब समय आ गया है कि इन लोगों को समाज से बाहर किया जाए और उचित दंड का प्रावधान भी किया जाए।

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दहेज प्रथा के कारण 

दहेज प्रथा अभी इतनी नासूर बन गई है कि इतने कई अमीर और गरीब परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी है।  जिसके कारण कई हंसते खेलते परिवार अब टूट गए है। दहेज प्रथा का यह विकराल रूप धारण करने के कई कारण है जैसे की हमारे समाज में चले आ रहे पुराने रीति रिवाज और लोगों का लालच, अशिक्षा, लोगों की दकियानूसी सोच के कारण इस प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है।

1. पुराने रीति रिवाज –

लोग दहेज लेने के लिए अब पुराने रीति रिवाजों का सहारा लेते है और लड़की वालों से कहते है कि यह तो पुरानी परंपरा है आपको दहेज देना ही पड़ेगा। लेकिन अब उनको यह कौन समझाए कि पुराने समय में लोग अपनी इच्छा अनुसार उपहार दिया करते थे। लेकिन लोगों ने पुराने रीति रिवाजों को दहेज का चोला पहना करें अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे है।

2. पुरुष प्रधान समाज –

भारत में पुरुष प्रधान समाज होने के कारण महिलाओं को अपनी बात रखने का कोई अधिकार नहीं होता है।  जिसके कारण दहेज के लिए महिलाओं का शोषण होता है उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। ताकि वे अपने घरवालों से दहेज लेकर आए। महिलाओं को बचपन से ही यह समझा दिया जाता है कि पुरुषों की हर बात माननी चाहिए और उनका आदर सम्मान करना चाहिए इसी में उनकी भलाई है और यही उनका कर्तव्य है जिस कारण महिलाएं अपने आप को कमजोर मानती है। और इस दहेज रूपी महामारी का शिकार हो जाती है।

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3. अशिक्षा –

हमारे विशाल देश में आज भी कई लोग पढ़े लिखे नहीं है जिसके कारण वह सोचते है कि अगर उन्होंने दहेज नहीं दिया तो उनकी बिटिया की शादी नहीं होगी। उन्हें कहा जाता है कि दहेज देना उनका कर्तव्य है।  शिक्षा की कमी के कारण उन लोगों को भारत सरकार के द्वारा बनाए गए दहेज के खिलाफ कानूनों का भी नहीं पता है। जिसका लाभ लालची व्यक्ति दहेज लेने के लिए उठाते है।

4. दहेज मान – सम्मान का विषय –

वर्तमान में दहेज को लोगों ने अपने मान सम्मान का विषय बना लिया है जिसको जितना ज्यादा दहेज मिलता है लोग उसका उतना ही सम्मान करते है जिसके कारण दहेज प्रथा को और बढ़ावा मिल रहा है। लोग सोचते है कि अगर उन्होंने दहेज नहीं लिया तो समाज में उनका कोई सम्मान नहीं करेगा उनकी कोई इज्जत नहीं रह जाएगी इसलिए वह लड़की वालों से दहेज के लिए विशेष मांग रखते है।  अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो भी रिश्ता तोड़ देते है या फिर शादी होने के बाद लड़की को दहेज के लिए प्रताड़ित करते है।

5. विवाह के लिए ई-विज्ञापन –

आजकल लोग शादी करने के लिए इंटरनेट पर भी विज्ञापन जारी करते है  जिसमें वे अपने आप को बढ़ा चढ़ाकर बताते है। जो स्वयं के पास नहीं भी होती है उनका भी बखान करते है। जिसके कारण  लड़के वाले सोचते है कि यह तो बहुत ही अमीर परिवार है इसलिए मैं उनसे अधिक दहेज की मांग करते है।

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6. सांवला रंग या अन्य कोई विकार –

लोगों की मानसिकता का इसी से पता लगाया जा सकता है कि आपने अखबारों या इंटरनेट पर देखा होगा कि शादी के विज्ञापनों में लिखा होता है कि सुंदर लड़की या लड़का चाहिए इससे यह साफ जाहिर होता है कि लोग सुंदर लड़कियों  से ही शादी करना पसंद करते है। जिसके कारण सांवला रंग या अन्य कोई विकार होने पर उस लड़की से कोई शादी नहीं करता है इसलिए उसके मां-बाप उसकी शादी करने के लिए दहेज की पेशकश करते है या फिर कई लोग लड़की शादी करने के लिए दहेज की विशेष मांग रख देते है। जिसके कारण दहेज प्रथा को  बढ़ावा मिलता है।

7. अशिक्षित लड़कियां –

लड़कियों के शिक्षित होने के कारण उनकी शादी नहीं हो पाती है। इसलिए कुछ लोग अशिक्षित लड़कियों से शादी करने के लिए तो तैयार हो जाते है लेकिन वह कहते है कि हम इसकी जिंदगी भर देखभाल करेंगे इसलिए हमें आप दहेज के रूप में कुछ सहायता प्रदान करें। वह सहायता के नाम पर अपनी लालच की अभिलाषा को पूरा करते है।  ऐसे लोगों से बचकर रहना चाहिए क्योंकि यह लोग दहेज मिलने के बाद भी लड़कियों को प्रताड़ित करते रहते है।

8. बेरोजगारी –

जी हां बेरोजगारी भी दहेज प्रथा का एक मुख्य कारण है क्योंकि जब बेरोजगार युवकों की शादी के लिए प्रस्ताव आता है तो वह कहते है कि हमें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए आप कुछ धन की सहायता कीजिए जिससे कि हम विवाह के पश्चात अपना जीवन  सुख पूर्वक निर्वाह कर सकें। वह धन की सहायता के रूप में दहेज लेते है और दहेज प्रथा को बढ़ावा देते है। ऐसे लोग ना ही तो व्यवसाय करते है ना ही कोई नौकरी करते है यह लोगों दहेज के पैसों से ही अपना जीवन यापन करना चाहते है और दहेज के पैसे खत्म होते ही उस लड़की को प्रताड़ित करने लगते है कि वह अपने घरवालों से और दहेज लेकर आए। इस पर आपने कई कहानियां, फिल्में और नाटक भी देखे होंगे।

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दहेज प्रथा के दुष्परिणाम 

वर्तमान में आप देख ही रहे होंगे कि दहेज प्रथा के कारण महिलाओं का कितना शोषण हो रहा है उनको कितना प्रताड़ित किया जा रहा है। आए दिन खबरों में आता रहता है कि दहेज के लिए लड़के वालों वालों ने लड़की को जिंदा जलाकर मार डाला या फिर उस को घर से बाहर निकाल दिया। इससे आप सीधा अनुमान लगा सकते है कि लोगों की मानसिकता उनकी सोचने की शक्ति कितने हद तक नीचे गिर गई है।

दहेज प्रथा के कारण जब भी किसी परिवार में लड़की पैदा हो जाती है तो लोग खुश होने की वजह से सहम जाते है। क्योंकि उनको इस बात की चिंता सताती है कि अब इसके विवाह के लिए दहेज कहां से लाएंगे। दहेज का यह विकराल रूप हम बढ़ते हुए देख रहे है लेकिन इसके खिलाफ हम कोई आवाज नहीं उठा रहे है।  जिसके कारण आए दिन लड़कियों का शोषण होता रहता है।

अगर आप दहेज लेते या देते है और या फिर इसका समर्थन करते है तो आप भी कानून की नज़रों में गुनहगार है आप भी इसको बढ़ाने में सहयोग कर रहे है इसलिए जब भी आप ऐसा होते हुए देखें तो इसका विरोध करें और पुलिस को इसकी सूचना दें।

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दहेज प्रथा के दुष्परिणाम इस प्रकार है-

1. लड़कियों का शोषण –

दहेज प्रथा के कारण आए दिन लड़कियों का शोषण हो रहा है क्योंकि जब लड़के वालों को  शादी में पर्याप्त धन नहीं मिलता है तो वे लड़की से कहते है कि अपने घरवालों से और अधिक धन की मांग करें अगर वह ऐसा नहीं करती है तो वह उसे मानसिक और शारीरिक रूप से पर्दा ना देते है कभी-कभी यह प्रताड़ना इतनी बढ़ जाती है कि लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती है।  वर्तमान में तो यह भी देखने में आया है कि लड़कियों को दहेज के लिए या तो उन्हें जिंदा जला दिया जाता है या फिर उन्हें कहीं और ले जा कर उनकी हत्या कर दी जाती है।

2. लड़कियों के साथ भेदभाव –

दहेज प्रथा के कारण लड़कियों का उन्हीं के परिवार में भेदभाव किया जाता है क्योंकि लोग मानते है कि लड़कियां तो पराई होती है इसलिए मैं उनको ना तो पढ़ाते लिखाते है ना ही उन्हें किसी प्रकार के कार्य करने की आजादी होती है। कई परिवारों में तो यह भी देखा गया है कि  लड़कों की तुलना में लड़कियों को खाने और पहनने के लिए कम वस्तुएं दी जाती है। उन्हें घर से बाहर जाने की आजादी नहीं होती है।

3. घटता लिंगानुपात –

दहेज प्रथा के कारण लोग अब अपने घर में लड़कियां नहीं चाहते है वह लड़कियों को कोख में ही मरवा देते है जिसके कारण वर्तमान में लड़के और लड़कियों  के लिंगानुपात में भारी अंतर देखा गया है। वह लड़की होने को सिर्फ खर्चा मानते है जिस कारण बेचारी लड़कियों को बिना किसी कसूर की कोख में ही मरवा दिया जाता है। इसके खिलाफ कई कानून भी बनाए गए है लेकिन सब बेअसर है।

4. जनसंख्या वृद्धि –

जनसंख्या वृद्धि भी दहेज प्रथा का एक दुष्परिणाम है क्योंकि जहां पर अब लड़कियों के कोख में मारने पर  सख्त कार्रवाई होने लगी है वहां पर लोग अब लड़कियों को भी तो नहीं मारते है लेकिन लड़के की चाह में वे  एक के बाद एक बच्चे पैदा करते रहते है जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि होती है।

5. देश के विकास की राह में रोड़ा –

चूँकि दहेज प्रथा के कारण जनसंख्या वृद्धि होती है तो बेरोजगारी भी उतनी ही बढ़ती है जिसके कारण देश के विकास की राह में बाधा आती है। और इससे देश की महिलाओं का शोषण भी होता है उनके मान सम्मान को भी ठेस पहुंचती है। और बाहरी देशों के लोग सोचते है कि जहां पर महिलाओं को सम्मान नहीं होता वहां के लोग कैसे होंगे इसलिए लोग यहां आने से कतराते है जिससे हमारे देश का विकास नहीं हो पाता है।

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दहेज प्रथा को रोकने के उपाय 

दहेज नामक इस प्रथा नहीं हमारी सोच को इतना नीचे तक गिरा दिया है कि अब हमें दहेज लेने पर शर्म तक नहीं आती है। ऐसा लगता है कि दहेज का दंश इतना घातक हो गया है कि ने हमारे जमीर को भी मार दिया है। यह कम होने की वजह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है  जो कि हम और हमारे समाज के लिए बहुत ही घातक है। यह तो अभी इसका ट्रेलर है अगर इसे रोका नहीं गया तो यह हमारे पूरे समाज को निकल जाएगा और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जाएंगे। दहेज लेना या देना हमारे ही हाथ में होता है इसलिए आग से हमें ही प्रण लेना होगा कि ना तो हम दहेज लेंगे ना ही किसी को देंगे।

दहेज प्रथा को रोकना कोई बड़ा कार्य नहीं है क्योंकि अगर दहेज प्रथा के दो मुख्य किरदार लड़का और लड़की ही इसका विरोध करने लगेंगे तो इसकी कमर वही टूट जाएगी।

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दहेज प्रथा को रोकने के लिए लड़का और लड़की को दो बातें अपनानी होंगी-

अगर आप लड़की है तो किसी भी ऐसे परिवार में शादी ना करें जो कि दहेज की मांग करते हो, या फिर आप को जरा सा भी ऐसा लगे कि यह परिवार आपके लिए सही नहीं है तो तुरंत शादी के लिए मना कर दें।और अगर आप लड़का है तो अपने घरवालों से साफ कह दें कि मैं शादी तभी करूंगा जब आप लड़की वालों से दहेज नहीं लेंगे।

लेकिन हमें पता है कि दहेज प्रथा को खत्म करना इतना आसान नहीं है क्योंकि किसी ना किसी के मन में तो खोट   आ ही जाती है। लड़की को उसके घर वाले किसी भी बात का दबाव देकर शादी के लिए मना लेते है और लड़के वाले लड़के को इतना गुमराह कर देते है कि वह दहेज लेने के लिए तैयार हो जाता है इसलिए हमें  दहेज प्रथा को रोकने के लिए कुछ कारगर उपाय खोजने होंगे जो कि इस प्रकार है –

1. दहेज प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर –

हमें सरकार से निवेदन करना चाहिए कि वह दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाकर इस प्रथा को रोकने का प्रयास करें।  वर्तमान में कुछ ऐसे कानून भी आए है जो कि दहेज प्रथा को रोकने के लिए बनाए गए है उनमें प्रमुख है दहेज प्रतिबंध अधिनियम 1961 जिसके अंतर्गत दहेज लेना और देना दोनों दंडकारी है।

2. लड़कियों को शिक्षित बनाकर –

हमें लोगों में जागरूकता फैलाने होगी कि लड़कियों को जितना हो सके उतना ज्यादा पढ़ाया जाए उन्हें शिक्षित किया जाए जिससे कि वह कोई भी कार्य करने में सक्षम हो और उनको शादी करने के लिए दहेज भी नहीं देना पड़ेगा। शिक्षा ही हर विनाशकारी बीमारी का तोड़ है। अब तो सरकार भी बेटियों को पढ़ाने के लिए निशुल्क शिक्षा व्यवस्था जारी कर चुकी है बस लोगों को इस बारे में बताना है कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती है।

3. लड़का और लड़की में भेदभाव बंद करें –

जब तक हम लड़की और लड़का में भेदभाव करते रहेंगे दहेज प्रथा को उतना ही अधिक बल मिलता रहेगा इसलिए हमें  लड़का और लड़की में भेदभाव बंद करना होगा लड़की को भी वही सभी सुविधाएं देनी होगी क्योंकि एक लड़के को दी जाती है  लड़की को भी उतना ही प्यार दिया जाए जितना कि लड़के को दिया जाता है। क्योंकि लड़की को भी उतना ही खुश रहने का हक है जितना कि लड़के को है। लड़की को भी उतनी आजादी दी जानी चाहिए जितनी कि लड़के को होती है उसे हर कार्य को करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ना की मुझे लड़की जात होने का कहकर घर में बैठने को कहा जाए।

4. दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक जागरूकता फैलाना –

दहेज प्रथा के खिलाफ हमें समाज में जागरूकता लानी होगी क्योंकि लोगों  की सोच इस कदर गिर चुकी है कि उन्हें दहेज के अलावा और कुछ भी नहीं सोचता इसलिए हमें गांव गांव जाकर दहेज प्रथा के खिलाफ चेतना के लानी होगी वहां के लोगों को बताना होगा कि इससे  देश का कितना नुकसान हो रहा है और साथ ही लड़कियों को इसके कारण कितनी प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है।

हर स्कूल में ऐसे कार्यक्रम और नाटक होने चाहिए जिस दिन के माध्यम से समझाया जा सके कि लड़का और लड़की समान होते है उन्हें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए और दहेज लेना और देना दोनों ही पाप है  दंडकारी है। लोगों की सोच को बदलना होगा।

5. हमें दहेज प्रथा का विरोध करना होगा –

जब भी आप किसी भी विवाह में जाएं तो वहां देखें कि दहेज लिया और दिया तो नहीं जा रहा है अगर ऐसा होता है तो आपको उसका विरोध करना चाहिए। आपको ऐसे विवाह में नहीं जाना चाहिए जहां पर दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता हो। और आपकी सब की जिम्मेदारी बनती है कि आपको भी दहेज के लिए हां की जगह ना कहना होगा क्योंकि आपके जीवन में भी कभी ना कभी यह पल जरूर आएगा।

आपको इस दहेज प्रथा निबंध के माध्यम से पता तो चल ही गया होगा कि दहेज प्रथा के कारण हमारे समाज और परिवार को कितना नुकसान हो रहा है इसलिए जब भी ऐसा होते देखे तो इसका विरोध जरुर करें।

आप दहेज प्रथा के विरोध में हीन भावना फैला सकते है जब कोई भी व्यक्ति है दहेज ले रहा होता है तो उसे सिर्फ सिर्फ इतना कह दें कि लड़की वालों ने दहेज देकर लड़के को खरीद लिया। बस यह इतना सफ़र भी इतना असर  कर जाएगा कि लड़के के मन में दहेज प्रथा के खिलाफ हीन भावना उत्पन्न हो जाएगी और वह दहेज लेने से इंकार करेगा।

चल रही है ये तेज आंधियां गुजर जाएंगी,
मत छूना इन चिरागों को वरना अंगुलियां जल जाएंगी,
मत जलाओ बेटियों को मान और दौलत के लिए,
वरना एक दिन आप की भी बेटियां जल जाएंगी

उपसंहार (Epilogue)

दहेज प्रथा में हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ दिया है। इसके कारण कई बहू बेटियों की जिंदगी खराब हो गई। दहेज प्रथा के कारण हमारे समाज के लोगों की  छोड़ आज इतनी गिर गई है कि वह दहेज लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।  और इसका उदाहरण आप आए दिन आने वाले समाचार और अखबारों में देख सकते है कि कैसे लोग दहेज के लिए अपनी बहुओं  की हत्या कर देते है या फिर उनका इतना शोषण करते है कि वह खुद मजबूर हो सकती है आत्महत्या करने के लिए।

अब बहुत हुआ दहेज प्रथा के खिलाफ हमें आवाज उठानी होगी अगर आज हम ने आवाज नहीं उठाई तो कल हमारी ही बहन-बेटियां इसकी शिकार होंगे जिसके बाद आपको अफसोस होगा कि अगर हमने पहले ही इसके खिलाफ आवाज उठानी होती तो आज यह नहीं होता। हमें लोगों की पहचान उसकी सोच को बदलना होगा अगर हम उनका विरोध नहीं करेंगे तो कौन करेगा।

 

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