वारंट क्या होता है | Warrant kya hota hai
Warrant kya hota hai
वारंट की परिभाषा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में कही भी नहीं दी गयी है किन्तु वारंट को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –
वारंट क्या होता है ?
aवारंट न्यायालय , मजिस्ट्रेट या अन्य प्राधिकृत व्यक्ति के द्वारा पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति को निर्दिष्ट किया जाता है , की किसी व्यक्ति को वारंट में निर्दिष्ट समय या स्थान पर या न्यायालय , मजिस्ट्रेट या प्राधिकृत व्यक्ति के समक्ष पेश करे .
वारंट के प्रकार
सामान्यतः वारण्ट दो प्रकार का होता है जमानतीय ओर अजमानतीय वारण्ट ।
जमानतीय वारण्ट
यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ जमानतीय वारंट जारी होता है तो उस वारंट के अधीन उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को वारंट में लिखे अनुसार जमानत व मुचलका लेकर नियत तिथि को कोर्ट में पेश होने का निर्देश देकर छोड़ सकता है।
अजमानतीय वारण्ट
अजमानतीय वारंट में गिरफ्तार होने पर पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को जमानत लेकर छोड़ नहीं सकते बल्कि उसे गिरफ्तार करने के 24 घंटे के अंदर उस कोर्ट के सामने पेश करना पड़ता है जिसने वारंट जारी किया था, कोर्ट ही उस व्यक्ति को जमानत दे सकता।
वारंट का प्रारूप
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 70 वारंट का प्रारूप बताती है ,न्यायालय के द्वारा जारी किया गया प्रत्येक वारंट-
१ – लिखित में होना चाहिए।
२- वारंट पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर होने चाहिए।
३- इस पर कोर्ट की सील लगी हुई होना चाहिए।
४- जो व्यक्ति इसका निष्पादन करेगा उसका नाम व पद लिखा होना चाहिए।
५- जिस व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी किया गया है उसका पूरा नाम ,पता और किस कारण वारंट जारी किया गया सब लिखा होना चाहिए।
६- वारंट जारी होने की तारीख लिखी होनी चाहिए।
नोट-
1- वारंट जारी होने के बाद तब तक प्रवतन में रहता है जब तक कि उसे कैंसिल ना कर दे या वारंट निष्पादित ना हो जाए।
2- वारंट को कैंसिल सिर्फ वही कोर्ट कर सकता है जिसने वारंट जारी किया था।
वारंट किसको निर्दिष्ट होंगे ?
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 72 बताती है की वारंट किसको निर्दिष्ट होंगे इसके अनुसार –
१ – वारंट एक या अधिक पुलिस अधिकारीयों को ,अथवा
२ – यदि वारंट का निष्पादन तुरंत आवश्यक है और कोई पुलिस अधिकारी तुरंत न मिल सके तो किसी अन्य व्यक्ति को निर्दिष्ट होंगे .
जब वारंट एक से अधिक अधिकारियो या व्यक्तियों को निर्दिष्ट हैं तो उसका निष्पादन उन सभी के द्वारा या एक या एक से अधिक के द्वारा किया जा सकता है .
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 73 , धारा 72 की पुष्टि करती है तथा उसे और अधिक स्पष्ट करती है .
धारा 73 के अनुसार –
१ – मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेटकिसी निकल भागे सिद्धदोष ,उद्घोषित अपराधी या अजमानतीय अपराध के अभियुक्तों को जो अपने को गिरफ़्तारी से बचा रहा है को गिरफ्तार करने के लिए अपनी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर किसी भी व्यक्ति को वारंट निष्पादित कर सकता है .
२ – ऐसा व्यक्ति वारंट की प्राप्ति की लिखित अभिस्वीकृति देगा तथा व्यक्ति को गिरफ्तार कर पुलिस अधिकारी के हवाले करेगा , जो की यदि धारा 71 के अधीन प्रतिभूति नहीं ली गयी है तो अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करेगा .
धारा 74 के अनुसार –
किसी पुलिस अधिकारी को निर्दिष्ट वारंट का निष्पादन किसी अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा भी किया जा सकता है जिसका नाम उस पुलिस अधिकारी द्वारा वारंट पर प्रष्ठंकित किया गया है .
समन और वारंट में क्या अंतर है?
1. समन कोर्ट के द्वारा उस व्यक्ति को जारी किया जाता है जिसे कोर्ट में बुलाया गया जबकि वारंट कोर्ट द्वारा पुलिस अधिकारी को जारी किया जाता है।
2. समन के द्वारा कोर्ट उस व्यक्ति को स्वयं पेश होने या कोई दस्तावेज पेश करने का आदेश देती है जबकि वारंट के द्वारा कोर्ट पुलिस अधिकारी को आदेश देती है कि वह प्रतिवादी यानी अभियुक्त को पकड़कर कोर्ट के सामने लाए।
3. समन मैं उस व्यक्ति को संबोधित किया जाता है जिसे जारी किया गया जबकि वारंट मे हमेशा पुलिस अधिकारी को संबोधित किया जाता है।
4. समन को पालन करने का दायित्व उसी व्यक्ति का होता है जिसको समन जारी किया गया जबकि वारंट को पालन करवाने का दायित्व पुलिस को होता है।
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