जमानत क्या है | Jamanat kya hai
Jamanat kya hai
इस आर्टिकल में मै आपको जमानत किसे कहते हैं और जमानत के प्रकार के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ . आशा करता हूँ की मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा . तो चलिए जान लेते हैं की –
जमानत किसे कहते हैं
जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के कारण पुलिस द्वारा कारागार में बंद किया जाता है | और ऐसे व्यक्ति को कारागार से छुड़ाने के लिए न्यायालय में जो संपत्ति जमा की जाती है ,या फिर देने की शपथ ली जाती है , उसे जमानत कहते हैं |
न्यायालय में जमानत जमा करने पर न्यायालय इस बात से निश्चिंत हो जाता है कि आरोपी व्यक्ति सुनवाई के लिए अवश्य आएगा |
और यदि आरोपी व्यक्ति सुनवाई के नहीं लिए नहीं आता है | तो जमानत के रूप में जमा की गई संपत्ति जप्त कर ली जाती है |
भारतीय कानून में अपराध की गंभीरता को देखते हुए कई अपराधों में जमानत प्रदान नहीं की जाती है |और साथ ही जमानत पर रिहा होने पर भी कई प्रकार के प्रतिबंध होते हैं |
जैसे –
१ – आप जमानत पर रिहा होने पर विदेश नहीं जा सकते
२ – बिना बताए कोई यात्रा नहीं कर सकते
३ – साथ ही न्यायालय या पुलिस के समक्ष जब भी आवश्यकता हो उपस्थित होना होता है
अपराध के प्रकार
अपराध की गंभीरता को देखते हुए भारतीय कानून में अपराध के दो प्रकार बताए गए हैं जो कि इस प्रकार हैं –
१ – जमानती अपराध –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(क) के अनुसार –
“जमानतीय अपराध “ से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय अपराध के रूप में दिखाया गया है ,या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया है और “अजमानतीय अपराध” से अन्य कोई अपराध अभिप्रेत है .
किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए छोटे-मोटे अपराधों को जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है |
जमानती अपराध की श्रेणी में- मारपीट , धमकी देना , लापरवाही से गाड़ी चलाना , लापरवाही से किसी की मौत आदि मामले आते हैं |
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में ऐसे अपराधों की एक सूची तैयार की गई है | इस सूची में ज्यादातर ऐसे मामले हैं | जिनमें 3 साल या उससे कम की सजा हो सकती है |
इस तरह के मामले में सीआरपीसी की धारा 169 के अंतर्गत थाने से ही जमानत दिए जाने का प्रावधान है |
ऐसे अपराधों में आरोपी थाने में ही बेल बॉन्ड भरता है | और उसे जमानत प्रदान कर दी जाती है |
Jamanat kya hai
२ – गैर जमानती अपराध –
अपराध की गंभीरता को देखते हुए भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में कुछ ऐसे अपराधों को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है | जिनके लिए कोई व्यक्ति जमानत प्राप्त नहीं कर सकता है |
गैर जमानती अपराध की श्रेणी में – रेप , अपहरण , लूट , डकैती , हत्या , हत्या की कोशिश , गैर इरादतन हत्या आदि शामिल है | यह सभी गंभीर अपराध है |
और इन अपराधों में फांसी अथवा उम्र कैद की संभावना होती है | जिसके कारण न्यायालय से जमानत नहीं ली जा सकती |
लेकिन सीआरपीसी की धारा 437 के अपवाद का सहारा लेकर ऐसे अपराधों में भी जमानत की अर्जी लगाई जा सकती है |
और न्यायालय द्वारा कोर्ट केस की मेरिट के हिसाब से जमानतअर्जी स्वीकार की जा सकती है |
अपवाद का सहारा लेकर लगाई गई अर्जी से कई बार जमानत मिल जाती है | लेकिन जमानत की अर्जी लगाने वाला कोई गर्भवती महिला या शारीरिक तथा मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति ही हो |
जमानत के दो प्रकार है
जैसा कि नाम से ही पता चलता है | कि अग्रिम जमानत गिरफ्तार होने से पहले ही ली गई जमानत होती है |
जब किसी व्यक्ति को पहले से ही आभास होता है | कि उसकी किसी मामले में उसकी गिरफ्तारी हो सकती है |
तो वह व्यक्ति गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम अग्रिम जमानत की अर्जी कोर्ट में लगा सकता है | और अग्रिम जमानत प्राप्त कर सकता है |
सीआरपीसी की धारा 438 में अग्रिम बेल की व्यवस्था की गई है | अग्रिम जमानत मिलने पर आरोपी व्यक्ति को संबंधित मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता |
२ – रेगुलर बेल या अंतरिम जमानत –
सीआरपीसी की धारा 439 में रेगुलर बेल की भी व्यवस्था की गई है | जब किसी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में मामला पेंडिंग होता है |
तो वह व्यक्ति इस दौरान रेगुलर बेल के लिए अर्जी लगा सकता है | और फिर ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट केस की स्थिति और गंभीरता को देखते हुए अपना फैसला देती है |
और इस धारा के अंतर्गत आरोपी पर रेगुलर बेल अथवा अंतरिम जमानत प्राप्त कर सकता है |
रेगुलर बेल के लिए आरोपी से कोर्ट द्वारा मुचलका भरवाया जाता है | और आरोपी व्यक्ति को बेल के दौरान कोर्ट द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना होता है |
Jamanat kya hai
जमानत मिलने की शर्तें
१ – जमानत पर रिहा होने के बाद आप शिकायत करने वाले पक्ष को परेशान नहीं करेंगे |
२ – जमानत पर रिहा होने के बाद आप किसी भी सबूत या गवाह को मिटाने की कोशिश नहीं करेंगे |
३ – बेल पर रिहा होने वाले अपराधी विदेश यात्रा नहीं कर सकता है |
४ – इसके साथ ही कई बार कोर्ट द्वारा अपराधी को हर रोज पुलिस स्टेशन जाकर हाजरी लगाने को भी कहा जाता है | और ऐसा ना करने पर जमानत को रद्द भी किया जा सकता है |
जमानत न मिलने की वजह
१ – जमानत मिलने पर गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है
२ – आरोपी भाग सकता है
३ – सबूत को मिटाया जा सकता है
४ – यदि कोई व्यक्ति आदतन अपराधी है
५ – गैर जमानतीय आपराध हो
तब अदालत द्वारा जमानत की अर्जी खारिज कर दी जाती है | इसके साथ ही मामले की गंभीरता भी जमानत को प्रभावित करती है |
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