आज के इस आर्टिकल में मै आपको “संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 260 क्या है | section 260 CrPC in Hindi | Section 260 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 260 | Power to try summarily ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 260 | Section 260 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 260 in Hindi ] –
संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति–
(1) इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी यदि,
(क) कोई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट; (ख) कोई महानगर मजिस्ट्रेट ;
(ग) कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट जो उच्च न्यायालय द्वारा इस निमित्त विशेषतया सशक्त किया गया है, ___ठीक समझता है तो वह निम्नलिखित सब अपराधों का या उनमें से किसी का संक्षेपतः विचारण कर सकता है.
(1) वे अपराध जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय नहीं है;
(ii) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 379, धारा 380 या धारा 381 के अधीन चोरी, जहां चुराई हुई संपत्ति का मूल्य [दो हजार रुपए] से अधिक नहीं है :
(ii) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 411 के अधीन चोरी की संपत्ति को प्राप्त करना या रखे रखा, जहां ऐसी संपत्ति का मूल्य दो हजार रुपए] से अधिक नहीं है।
(iv) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 414 के अधीन चुराई हुई संपत्ति को छिपाने का उसका व्ययन करने में सहायता करना, जहां ऐसी संपत्ति का मूल्य [दो हजार रुपए से अधिक नहीं है।
(v) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 454 और 456 के अधीन अपराध ;
(vi) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 504 के अधीन लोकशांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से अपमान और धारा 506 के अधीन [आपराधिक अभित्रास, जो ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा।]
(vii) पूर्ववर्ती अपराधों में से किसी का दुप्रेरण; (viii) पूर्ववर्ती अपराधों में से किसी को करने का प्रयत्न, जब ऐसा प्रयत्न, अपराध है;
(ix) ऐसे कार्य से होने वाला कोई अपराध, जिसकी बाबत पशु अतिचार अधिनियम, 1871 (1871 का 1) की धारा 20 के अधीन परिवाद किया जा सकता है।
(2) जब संक्षिप्त विचारण के दौरान मजिस्ट्रेट को प्रतीत होता है कि मामला इस प्रकार का है कि उसका विचारण संक्षेपतः किया जाना अवांछनीय है तो वह मजिस्ट्रेट किन्हीं साक्षियों को, जिनकी परीक्षा की जा चुकी है. पुन: बुलाएगा और मामले को इस संहिता द्वारा उपबंधित रीति से पुनः सुनने के लिए अग्रसर होगा।