आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ क्वाण्टम मेरिट का सिद्धांत | Quantum Meruit ka siddhant kya hai ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
क्वाण्टम मेरिट का सिद्धांत | Quantum Meruit ka siddhant
क्वाण्टम मेरिट का आशय है- किये गये कार्य के लिये युक्तियुक्त पारिश्रमिक का देना। क्वाण्टम मेरिट का सिद्धांत निम्न सामान्य नियम का अपवाद है कि जब कोई व्यक्ति पारिश्रमिक अथवा धन प्राप्त करने के लिये कोई कार्य करने की प्रतिज्ञा करता है तो कार्य को पूरा किये बिना वह पारिश्रमिक या धन प्राप्त नहीं कर सकता अर्थात कार्य का कुछ अंश या भाग कर देने पर धन की मांग नहीं कर सकता। अत: यह सिद्धांत जितना काम उतना दाम के आधार पर काम करता है।
Quantum Meruit ka siddhant
- शून्य करार के अंतर्गत भी किये गये कार्य के लिये युक्ति-युक्त पारिश्रमिक या प्रतिकर प्राप्त किया जा सकता है।
- क्वाण्टम मेरिट के आधार पर प्रतिकर के लिये वाद तभी लाया जा सकता है जबकि वादी यह सिद्ध कर दे कि प्रतिवादी ने कार्य को पूरा करने में बाधा पैदा कर दी थी।
- जहाँ संविदा सम्पूर्ण तथा अविभाज्य है तो क्वाण्टम मेरिट का सिद्धांत लागू नह अर्थात बिना सम्पूर्ण कार्य किये आंशिक रूप से किया गया कार्य भी निरर्थक है तो वादी आनुपातिक प्रतिकर का दावा नहीं कर सकता।
- संविदा के अंतर्गत किसी कार्य को करने हेतु किसी दर का उल्लेख किया गया है तो प्रतिकर क्वाण्टम मेरिट के रूप में प्राप्त नहीं किया जा सकता। .
- जब एकमुश्त राशि में कोई कार्य करने की संविदा हो तो कोई राशि तब तक देय नहीं होगी जब तक कि कोई कार्य पूरा नहीं हो जाता ऐसी स्थिति में क्वाण्टम मेरिट का सिद्धांत लागू नहीं होता।
क्वाण्टम मेरिट का सिद्धांत
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