आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ डिक्री और आदेश में अंतर | Decree or aadesh me antar ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
डिक्री और आदेश में अंतर | Decree or aadesh me antar
1. पक्षकारों की सहमति से पारित डिक्री से भिन्न प्रत्येक डिक्री जो आरंभिक अधिकारिता का प्रयोग करने वाले न्यायालय द्वारा पारित की गई है अपील योग्य होती है जबकि प्रत्येक आदेश अपील योग्य नहीं होता। वे ही आदेश जो धारा 104(1) व आदश 49 होते हैं।
2 – डिक्री की दूसरी अपील हो सकती है किंतु आदर्श की दूसरी अपील नहीं हो सकती।
3- डिक्री प्रारंभिक या अंतिम दोनों हो सकती है किन्तु आदेश प्रारंभिक नहीं होता है।
4 – सामान्यतः एक वाद में एक ही डिक्री पारित होती है परन्तु एक ही वाद में एक से अधिक आदेश पारित किये जा सकते हैं।
5 – डिक्री केवल वाद में ही पारित की जा सकती हैं किंतु आदेश वाद के अतिरिक्त अन्य विधिक कार्यवाहियों में भी पारित किये जा सकते हैं।
6 – डिक्री पक्षकारों के किन्हीं या सभी अधिकारों का अंतिम रूप से निपटारा करती है जबकि आदेश से ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है।
- डिक्री क्या है
- डिक्री के प्रकार
- प्रारंभिक डिक्री और अंतिम डिक्री में अंतर
- क्वाण्टम मेरिट का आशय है
- डिक्री के आवश्यक तत्व
- नैराश्य का सिद्धांत
- संविदा किसे कहते है
- राज्यपाल की नियुक्ति
- राष्ट्रपति का निर्वाचन
- संविधान में संशोधन की प्रक्रिया
- राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
- राज्य में आपातकाल की घोषणा ( Article 356)
- आपात की घोषणा ( Article 352)
- जम्मू कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में उपबंध ( Article 370)
- अध्यादेश जारी करने की राज्यपाल की शक्ति
- अध्यादेश जारी करने की राज्यपाल की शक्ति
- भरण पोषण से संबंधित कानून
- समन क्या होता है
- जमानत किसे कहते हैं
- अगिम जमानत कैसे मिलती है
- सदोष अवरोध क्या है
BUY | BUY |