आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ दीवानी प्रकृति के वाद क्या हैं | Diwani prakruti ke vaad ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दीवानी प्रकृति के वाद क्या हैं | Diwani prakruti ke vaad
वह वाद जिसमें संपत्ति संबंधी या पद संबंधी अधिकार प्रतिवादित हैं, इस बात के होते हुए भी कि ऐसा अधिकार धार्मिक कृत्यों या कर्मों संबंधी प्रश्नों के विनिश्चय पर पूर्ण रूप से अवलंबित है सिविल प्रकृति का वाद है। (धारा 9 का स्पष्टीकरण 1 व्य.प्र.सं.)
उपर्युक्त स्पष्टीकरण के आधार पर सिविल प्रकृति के वाद के विषय में यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि सिविल प्रकृति का वाद एक ऐसा वाद होता है जिसमें पद संबंधी अधिकार का अभिवचन किया गया हो अथवा संपत्ति संबंधी अधिकार का अभिवचन किया गया है।
यहाँ जिस पद शब्द का प्रयोग किया गया है इस बात का निश्चायक है कि कोई वाद दीवानी प्रकृति का है कि नहीं, पक्षकारों की हैसियत पर नहीं अपितु वाद की विषयवस्तु पर निर्भर करता है।
इसके संबंध में यह बात तात्विक नहीं है कि उस पद के साथ कोई फीस जुड़ी है या नहीं अथवा ऐसा पद किसी विशिष्ट स्थान से जुड़ा है अथवा नहीं।
दूसरे शब्दों में वह पद कैसा क्यों न हो चाहे उसके साथ फीस जुड़ी है या नहीं, पद किसी विशेष स्थान से जुड़ा है अथवा नहीं, अगर उससे संबंधित अधिकार विवादित है तो वह वाद दीवानी प्रकृति का होगा।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि इस धारा 9 के उपबंध प्रत्येक उस वाद में लागू होंगे या जहाँ विवाद की विशेषता यह है कि वह एक व्यक्ति के अधिकार को प्रभावित करती है जो न केवल सिविल है, अपितु सिविल प्रकृति का है।
सिविल प्रकृति के वाद [ Diwani prakruti ke vaad ]
1. पूजा करने का अधिकार
2. मत देने का अधिकार
3. जुलूस निकालने का अधिकार
4. मृतक को दफनाने का अधिकार
5. विवाह विच्छेद संबंधी वाद
6. अपकृत्य, संविदा संबंधी वाद
7. किराये के लिये वाद
8. जन्मतिथि में सुधार से संबंधित वाद
9.जाति से निष्काशन के विरूद्धवाद
वे वाद जो सिविल प्रकृति के नहीं हैं
1. जाति के अंतर्गत प्रश्नों से संबंधित वाद
2. धार्मिक कर्म और कृत्य संबंधी वाद
3. पद की गरिमा संबंधी वाद
4. स्वेच्छया से किया गया भुगतान
5. गोपनीयता के अधिकार से संबंधित वाद
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