क्यों मनाया जाता है भाई दूज | Bhai Dooj 2018
Bhai dooj 2018
भाई-बहन के रिश्ते को प्यार की डोर से मजबूत करने वाला त्योहार भैयादूज महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना गया है। जो हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है।
ये त्योहर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे भाईदूज या यमद्तिया के नाम से भी जाना जाता है।|
यह भी संयुक्त परिवारों और गाँव घर के सहजीवन का उत्सव है जिसे यम और यमुना के भाई बहन की प्रेम की गाथा में गूँथकर धार्मिक पावनता की सुगंध दे दी गयी है |
सयुंक्त परिवारों में यह प्रथा सदियों से चली आ रही है कि घर-पीहर से ससुराल गयी हुयी बेटी सावन के महीने में हरियाली के बीच झुला झूलने एक बार पीहर अवश्य आती है अपने भाई बहनों के साथ पींगे बढाने के लिए |
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वह फ़िल्मी गीत सदियों के इस पारिवारिक प्रेम को बड़े नायाब ढंग से अभिव्यक्त करता है “अब के बरस भेज भैया को बाबुल ,सावन में लीजो बुलाय रे ” इसलिए श्रावण की पूर्णिमा को बहने अपने पीहर में ही अर्थात भाई के घर में ही उसे राखी बांधती है |
आज भी राखी के लिए बहने भाइयो के घर आकर बांधती है और चौमासा बीत जाने पर कार्तिक शुक्ल द्वितीया वाले पर्व पर भाई अपनी बहन के घर जार्क भोजन करता है |
परिवारों के इस आदान प्रदान को चिरस्थायी रखने हेतु पुराणों ने यम और यमुना के प्रेम के आख्यान के साथ यह विधान किया कि इस दिन अपनी बहन के हाथ का खाना कल्याणकारी और शुभफलदाता होता है |
भाई दूज की पौराणिक कथा
भाई दूज की पौराणिक कथा यमराज से जुडी हुयी है जब भगवान सूर्य के यहा एक पुत्र यमराज और एक पुत्री यमुना का जन्म हुआ |
यमुना को अपने भाई से बहुत स्नेह था और बड़े होने पर वो हमेशा अपने भाई को उसके घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी .
लेकिन यमराज अपने कार्यो के कारण हमेशा अपनी बहन की इस इच्छा को पुरी नही कर पाते थे और उसकी बातो को टाल दिया करते थे |
एक दिन अचानक कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीय को यमराज अपने बहन यमुना के घर पहुच जाते है और यमुना अपने भाई को द्वार पर देखकर हर्ष से प्रफुल्लित हो उठती है |
अपने भाई के घर आने की खुशी में वो यमराज का खूब सत्कार किया और उन्हें भोजन करवाया |
भोजन पूरा हो जाने पर यमराज अपनी बहन के सत्कार से बहुत प्रसन्न होते है और उन्हें वर मांगने को कहते है |
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उस समय यमुना अपने भाई यमराज से वर मांगती है “भैया , जिस तरह आज आप मेरे घर भोजन के लिए आये है उसी तरह हर वर्ष आप इस दिन मेरे यहा भोजन के लिए आयेंगे और जो बहने इस दिन मेरी तरह अपने भाई को तिलक कर भोजन करवाएंगी उन्हें आपका भय कभी नही रहेगा “|
यमराज अपनी बहन के इस प्रेम भरे वरदान को तथास्तु कहकर वापस अपने यमलोक लौट गये | यही कारण है कि आज के दिन जो भाई अपनी बहनों के घर जाकर उनका आथिथ्य स्वीकार करते है उनकी बहन को यम का भय कभी नही होता है |
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भैयादूज की विधि
भैयादूज के दिन हर बहने सुबह ही स्नान करके भगवान विष्णु और गणेश का पूजन कर निराहार रहती है।
इसके बाद वो अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर ही अपने व्रत को तोड़ती है। इस दिन कई भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उसे उपहार स्वरूप भेंट देते हैं।
इस दिन यमुना नदी के तट पर नहाना और खाना अच्छा माना जाता है या जो भी पवित्र नदी आपके यहां से निकली हो उसमें नहाना शुभ होता है। इस दिन यमुना जी का भी विशेष महत्व होता है।
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भाई दूज पर क्या करे
भाईदूज के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर दैनिक कार्यो से निवृत होकर शरीर पर तेल मलकर स्नान करे | इस दिन भाई तेल मलकर गंगा यमुना स्नान करे और अगर सम्भव हो सके तो अपनी बहन के घर जाकर स्नान करे |
बहन भाई को भोजन कराकर तिलक लगाये | इस दिन बहनों को चाहिए कि भोजन में भाइयो को चावल खिलाये | भाई भोजन के बाद बहन के चरण स्पर्श कर उपहारस्वरूप वस्त्राभूषण आदि दे |
इस दिन भाई को अपनी बहन के घर जार्क भोजन करना चाहिए | बहन सगी , ममेरी ,चचेरी या धर्म बहन भी हो सकती है | अपने भाई को शुभ आसन पर बैठकर हाथ पैर धुलाकर चावल युक्त उत्तम पकवान ,मिठाई आदि से अपनी सामर्थ्य अनुसार भोजन कराए |
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भोजन के पश्चात भाई को तिलक लगाकर उसके आयुष्य की कामना करे | भाई अपनी बहन को यथा सामर्थ्य सौभाग्य वस्तुए (वस्त्र ,आभुष्ण )एवं नकद द्रव्य देकर उसके सौभाग्य की कामना करे |
बहन के पैर छुकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है | इस दिन यमराज और यमुनाजी के पूजन का भी विधान है | भाई बहन के साथ साथ यमुना अथवा पवित्र नदियों में स्नान कर आयुष्य एवं सौभाग्य की कामना करते है |
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