आज के इस आर्टिकल में मै आपको “सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग | भारतीय दंड संहिता की धारा 403 क्या है | 403 Ipc in Hindi | IPC Section 403 | Dishonest misappropriation of property ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 403 क्या है | 403 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 403 ] हिंदी में –
सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग-
जो कोई बेईमानी से किसी जंगम सम्पत्ति का दुर्विनियोग करेगा या उसको अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत
(क) क, य की सम्पत्ति को उस समय जब कि क उस सम्पत्ति को लेता है, यह विश्वास रखते हुए कि वह सम्पत्ति उसी की है, य के कब्जे में से सदभावपूर्वक लेता है | क, चोरी का दोषी नहीं है । किन्तु यदि क अपनी भूल मालूम होने के पश्चात् उस सम्पत्ति का बेईमानी से अपने लिए विनियोग कर लेता है, तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है |
(ख) क, जो य का मित्र है, य की अनुपस्थिति में य के पुस्तकालय में जाता है और य की अभिव्यक्त सम्मत्ति के बिना एक पुस्तक ले जाता है । यहां यदि क का यह विचार था कि पहने के प्रयोजन के लिए पुस्तक लेने की उसको य की विवक्षित सम्मति प्राप्त है, तो क ने चोरी नहीं की हैं । किन्तु यदि क बाद में उस पुस्तक को अपने फायदे के लिए बेच देता है, तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी हैं |
(ग) क और ख एक घोड़े के संयुक्त स्वामी हैं | क उस घोड़े को उपयोग में लाने के आशय से ख के कब्जे में से उसे ले जाता है | यहां, क को उस घोले को उपयोग में लाने का अधिकार है, इसलिए वह उसका बेईमानी से दुर्विनियोग नहीं है । किन्तु यदि क उस घोड़े को बेच देता है, और सम्पूर्ण आगम का अपने लिए विनियोग कर लेता है तो वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है |
स्पष्टीकरण 1-केवल कुछ समय के लिए बेईमानी से दुर्विनियोग करना इस धारा के अर्थ के अंतर्गत दुर्विनियोग है |
दृष्टांत
क को य का एक सरकारी वचनपत्र मिलता है, जिस पर निरंक पृष्ठांकन है | क, यह जानते हुए कि वह वचनपत्र य का है, उसे ऋण के लिए प्रतिभूति के रूप में बैंकार के पास इस आशय से गिरवी रख देता है कि वह भविष्य में उसे य को प्रत्यावर्तित कर देगा | क ने इस धारा के अधीन अपराध किया है ।
स्पष्टीकरण 2—जिस व्यक्ति को ऐसी सम्पत्ति पड़ी मिल जाती है, जो किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में नहीं है और वह उसके स्वामी के लिए उसको संरक्षित रखने या उसके स्वामी को उसे प्रत्यावर्तित करने के प्रयोजन से ऐसी सम्पत्ति को लेता है, वह न तो बेईमानी से उसे लेता है और न बेईमानी से उसका दुर्विनियोग करता है, और किसी अपराध का दोषी नहीं है, किन्तु वह ऊपर परिभाषित अपराध का दोषी है, यदि वह उसके स्वामी को जानते हुए या खोज निकालने के साधन रखते हुए अथवा उसके स्वामी को खोज निकालने और सूचना देने के युक्तियुक्त साधन उपयोग में लाने और उसके स्वामी को उसकी मांग करने को समर्थ करने के लिए उस सम्पत्ति की युक्तियुक्त समय तक रखे रखने के पूर्व उसको अपने लिए विनियोजित कर लेता हे ।
ऐसी दशा में युक्तियुक्त साधन क्या हैं, या युक्तियुक्त समय क्या है, यह तथ्य का प्रश्न है ।
यह आवश्यक नहीं है कि पाने वाला यह जानता हो कि सम्पत्ति का स्वामी कौन है या यह कि कोई विशिष्ट व्यक्ति उसका स्वामी है | यह पर्याप्त है कि उसको विनियोजित करते समय उसे यह विश्वास नहीं है कि वह उसकी अपनी सम्पत्ति है, या सदभावपूर्वक यह विश्वास है कि उसका असली स्वामी नहीं मिल सकता ।
दृष्टांत
(क) क को राजमार्ग पर एक रुपया पड़ा मिलता है | यह न जानते हुए कि वह रुपया किसका है क उस रुपए को उठा लेता है | यहां क ने इस धारा में परिभाषित अपराध नहीं किया है |
(ख) क को सड़क पर एक चिट्ठी पली मिलती है, जिसमें एक बैंक नोट है | उस चिट्ठी में दिए हुए निदेश और विषय वस्तु से उसे यह ज्ञात हो जाता है कि वह नोट किसका है | वह उस नोट का विनियोग कर लेता है | वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है |
(ग) वाठक-देय एक चेक क को पला मिलता है | वह उस व्यक्ति के संबंध में जिसका चेक खोया है, कोई अनुमान नहीं लगा सकता, किन्तु उस चेक पर उस व्यक्ति का नाम लिखा है, जिसने वह चेक लिखा है | क यह जानता है कि वह व्यक्ति क को उस व्यक्ति का पता बता सकता है जिसके पक्ष में वह चेक लिखा गया था, क उसके स्वामी को खोजने का प्रयत्न किए बिना उस चेक का विनियोग कर लेता है | वह इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है |
(घ) क देखता है कि य की थैली, जिसमें धन है, य से गिर गई है | क वह थैली य को प्रत्यावर्तित करने के आशय से उठा लेता है | किन्तु तत्पश्चात् उसे अपने उपयोग के लिए विनियोजित कर लेता है | क ने इस धारा के अधीन अपराध किया है |
(ङ) क को एक थैली, जिसमें धन है, पड़ी मिलती है । वह नहीं जानता है कि वह किसकी है । उसके पश्चात् उसे यह पता चल जाता है कि वह य की है, और वह उसे अपने उपयोग के लिए विनियुक्त कर लेता है | क इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है।
(च) क को एक मूल्यवान अंगूठी पड़ी मिलती है | वह नहीं जानता है कि वह किसकी है | क उसके स्वामी को खोज निकालने का प्रयत्न किए बिना उसे तुरन्त बेच देता है | क इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
403 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 403 ] अंग्रेजी में –
“ Dishonest misappropriation of property ”–
Whoever dishonestly mis-appropriates or converts to his own use any movable property, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
Illustrations
Illustration
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403 Ipc in Hindi
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