आज के इस आर्टिकल में मै आपको “निर्णय | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 353 क्या है | section 353 CrPC in Hindi | Section 353 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 353 | Judgment” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 353 | Section 353 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 353 in Hindi ] –
निर्णय–
(1) आरंभिक अधिकारिता के दंड न्यायालय में होने वाले प्रत्येक विचारण में निर्णय पीठासीन अधिकारी द्वारा खुले न्यायालय में या तो विचारण के खत्म होने के पश्चात् तुरन्त या बाद में किसी समय, जिसकी सूचना पक्षकारों या उनके प्लीडरों को दी जाएगी,
(क) संपूर्ण निर्णय देकर सुनाया जाएगा; या (ख) संपूर्ण निर्णय पढ़कर सुनाया जाएगा ; या
(ग) अभियुक्त या उसके प्लीडर द्वारा समझी जाने वाली भाषा में निर्णय का प्रवर्तनशील भाग पढ़कर और निर्णय का सार समझाकर सुनाया जाएगा।
(2) जहाँ उपधारा (1) के खंड (क) के अधीन निर्णय दिया जाता है, वहां पीठासीन अधिकारी उसे आशुलिपि में लिखवाएगा और जैसे ही अनुलिपि तैयार हो जाती है वैसे ही खुले न्यायालय में उस पर और उसके प्रत्येक पृष्ठ पर हस्ताक्षर करेगा, और उस पर निर्णय दिए जाने की तारीख डालेगा।
(3) जहां निर्णय या उसका प्रवर्तनशील भाग, यथास्थिति, उपधारा (1) के खंड (ख) या खंड (ग) के अधीन पढ़कर सुनाया जाता है,
वहां पीठासीन अधिकारी द्वारा खुले न्यायालय में उस पर तारीख डाली जाएगी और हस्ताक्षर किए जाएंगे और यदि वह उसके द्वारा स्वयं अपने हाथ से नहीं लिखा गया है तो निर्णय के प्रत्येक पृष्ठ पर उसके द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।
(4) जहां निर्णय उपधारा (1) के खंड (ग) में विनिर्दिष्ट रीति से सुनाया जाता है, वहां संपूर्ण निर्णय या उसकी एक प्रतिलिपि पक्षकारों या उनके प्लीडरों के परिशीलन के लिए तुरंत निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
(5) यदि अभियुक्त अभिरक्षा में है तो निर्णय सुनने के लिए उसे लाया जाएगा।
(6) यदि अभियुक्त अभिरक्षा में नहीं है तो उससे न्यायालय द्वारा सुनाए जाने वाले निर्णय को सुनने के लिए हाजिर होने की अपेक्षा की जाएगी, किन्तु उस दशा में नहीं की जाएगी जिसमें विचारण के दौरान उसकी वैयक्तिक हाजिरी से उसे अभिमुक्ति दे दी गई है और दंडादेश केवल जुर्माने का है या उसे दोषमुक्त किया गया है :
परन्तु जहां एक से अधिक अभियुक्त हैं और उनमें से एक या एक से अधिक उस तारीख को न्यायालय में हाजिर नहीं हैं जिसको निर्णय सुनाया जाने वाला है तो पीठासीन अधिकारी उस मामले को निपटाने में अनुचित विलंब से बचने के लिए उनकी अनुपस्थिति में भी निर्णय सुना सकता है।
(7) किसी भी दंड न्यायालय द्वारा सुनाया गया कोई निर्णय केवल इस कारण बिधित: अमान्य न समझा जाएगा कि उसके सुनाए जाने के लिए सूचित दिन को या स्थान में कोई पक्षकार या उसका प्लीडर अनुपस्थित था या पक्षकारों पर या उनके प्लीडरों पर या उनमें से किसी पर ऐसे दिन और स्थान की सूचना की तामील करने में कोई लोप या त्रुटि हुई थी।
(8) इस धारा की किसी बात का अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह धारा 465 के उपबंधों के विस्तार को किसी प्रकार से परिसीमित करती है।