आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ ऐसे आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 335 क्या है | section 335 CrPC in Hindi | Section 335 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 335 | Person acquitted on such ground to be detained in safe custody” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 335 | Section 335 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 335 in Hindi ] –
ऐसे आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना—
(1) जब कभी निष्कर्ष में यह कथित है कि अभियुक्त व्यक्ति ने अभिकथित कार्य किया है तब वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय, जिसके समक्ष विचारण किया गया है, उस दशा में जब ऐसा कार्य उस असमर्थता के न होने पर, जो पाई गई, अपराध होता,
(क) उस व्यक्ति को ऐसे स्थान में और ऐसी रीति से, जिसे ऐसा मजिस्ट्रेट या न्यायालय ठीक समझे, सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध करने का आदेश देगा ; अथवा
(ख) उस व्यक्ति को उसके किसी नातेदार या मित्र को सौंपने का आदेश देगा। (2) पागलखाने में अभियुक्त को निरुद्ध करने का उपधारा (1) के खंड (क) के अधीन कोई आदेश राज्य सरकार द्वारा भारतीय पागलपन अधिनियम, 1912 (1912 का 4) के अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार ही किया जाएगा अन्यथा नहीं।
(3) अभियुक्त को उसके किसी नातेदार या मित्र को सौंपने का उपधारा (1) के खंड (ख) के अधीन कोई आदेश उसके ऐसे नातेदार या मित्र के आवेदन पर और उसके द्वारा निम्नलिखित बातों की बाबत मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समाधाप्रद प्रतिभूति देने पर ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं
(क) सौंपे गए व्यक्ति की समुचित देख-रेख की जाएगी और वह अपने आपको या किसी अन्य व्यक्ति को क्षति पहुंचाने से निवारित रखा जाएगा:
(ख) सौंपा गया व्यक्ति ऐसे अधिकारी के समक्ष और ऐसे समय और स्थानों पर, जो राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किए जाएं. निरीक्षण के लिए पेश किया जाएगा।
(4) मजिस्ट्रेट या न्यायालय उपधारा (1) के अधीन की गई कार्रवाई की रिपोर्ट राज्य सरकार को देगा।
धारा 335 CrPC
[ CrPC Sec. 335 in English ] –
“Person acquitted on such ground to be detained in safe custody”–
(1) Whenever the finding states that the accused person com- mitted the act alleged, the Magistrate or Court before whom or which the trial has been held, shall, if such act would, but for the incapacity found, have constituted an offence,-
(3) No order for the delivery of the accused to a relative or friend shall be made under clause (b) of sub- section (1), except upon the application of such relative or friend and on his giving security to the satisfaction of the Magistrate or Court that the person delivered shall-