आज के इस आर्टिकल में मै आपको “न्यायालयों का खुला होना | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 327 क्या है | section 327 CrPC in Hindi | Section 327 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 327 | Court to be open ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 327 | Section 327 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 327 in Hindi ] –
न्यायालयों का खुला होना-
(1)] वह स्थान, जिसमें कोई दंड न्यायालय किसी अपराध की जांच या विचारण के प्रयोजन से बैठता है, खुला न्यायालय समझा जाएगा, जिसमें जनता साधारणतः प्रवेश कर सकेगी जहां तक कि सुविधापूर्वक वे उसमें समा सके :
परन्तु यदि पीठासीन न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट ठीक समझता है तो वह किसी विशिष्ट मामले की जांच या विचारण के किसी प्रक्रम में आदेश दे सकता है कि जनसाधारण या कोई विशेष व्यक्ति उस कमरे में या भवन में, जो न्यायालय द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है, न तो प्रवेश करेगा, न होगा और न रहेगा।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, भारतीय दंड संहिता, (1860 का 45) की धारा 376, धारा 376क, धारा 376ब, [धारा 376ग, धारा 376ष या धारा 3768] के अधीन बलात्संग या किसी अपराध की जांच या उसका विचारण बंद कमरे में किया जाएगा:
परन्तु पीठासीन न्यायाधीश, यदि वह ठीक समझता है तो, या दोनों में से किसी पक्षकार द्वारा आवेदन किए जाने पर, किसी विशिष्ट व्यक्ति को, उस कमरे में या भवन में, जो न्यायालय द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है, प्रवेश करने, होने या रहने की अनुज्ञा दे सकता है :
‘[परंतु यह और कि बंद कमरे में विचारण यथासाध्य किसी महिला न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा।]
(3) जहाँ उपधारा (2) के अधीन कोई कार्यवाही की जाती है वहां किसी व्यक्ति के लिए किसी ऐसी कार्यवाही के संबंध में किसी बात को न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा के बिना, मुद्रित या प्रकाशित करना विधिपूर्ण नहीं होगा :]
परंतु बलात्संग के अपराध के संबंध में विचारण की कार्यवाहियों के मुद्रण या प्रकाशन पर पाबंदी, पक्षकारों के नाम और पते की गोपनीयता को बनाए रखने के अध्यधीन हटाई जा सकेगी।]