आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए दोषसिद्ध होने के मामलों में दंडादेश | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 क्या है | section 31 CrPC in Hindi | Section 31 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 31 | Sentences in cases of conviction of several offences at one trial ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 | Section 31 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 31 in Hindi ] –
एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए दोषसिद्ध होने के मामलों में दंडादेश–
(1) जब एक विचारण में कोई व्यक्ति दो या अधिक अपराधों के लिए दोषसिद्ध किया जाता है तब, भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 71 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, न्यायालय उसे उन अपराधों के लिए विहित विभिन्न दंडों में से उन दंडों के लिए, जिन्हें देने के लिए ऐसा न्यायालय सक्षम है. दंडादेश दे सकता है ; जज ऐसे दंड कारावास के रूप में हो तब, यदि न्यायालय ने यह निदेश न दिया हो कि ऐसे दंड साथ-साथ भोगे जाएंगे, तो वे ऐसे क्रम से एक के बाद एक प्रारंभ होंगे जिसका न्यायालय निदेश दे।
(2) दंडादेशों के क्रमवर्ती होने की दशा में केवल इस कारण से कि कई अपराधों के लिए संकलित दंड उस दंड से अधिक है जो वह न्यायालय एक अपराध के लिए दोषसिद्धि पर देने के लिए सक्षम है, न्यायालय के लिए यह आवश्यक नहीं होगा कि अपराधी को उच्चतर न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए भेजे
परंतु-
(क) किसी भी दशा में ऐसा व्यक्ति चौदह वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास के लिए दंडादिष्ट नहीं किया जाएगा;
(ख) संकलित दंड उस दंड की मात्रा के दुगने से अधिक न होगा जिसे एक अपराध के लिए देने के लिए वह न्यायालय सक्षम है।
(3) किसी सिद्धदोष व्यक्ति द्वारा अपील के प्रयोजन के लिए उन क्रमवर्ती दंडादेशों का योग, जो इस धारा के अधीन उसके विरुद्ध दिए गए हैं, एक दंडादेश समझा जाएगा।
धारा 31 CrPC
[ CrPC Sec. 31 in English ] –
“ Sentences in cases of conviction of several offences at one trial ”–
धारा 31 CrPC
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