आज के इस आर्टिकल में मै आपको “प्रक्रिया, जहां अभियुक्त उन्मोचित नहीं किया जाता | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 246 क्या है | section 246 CrPC in Hindi | Section 246 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 246 | Procedure where accused is not discharged ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 246 | Section 246 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 246 in Hindi ] –
प्रक्रिया, जहां अभियुक्त उन्मोचित नहीं किया जाता–
(1) यदि ऐसा साक्ष्य ले लिए जाने पर या मामले के किसी पूर्वतन प्रक्रम में मजिस्ट्रेट की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने इस अध्याय के अधीन विचारणीय ऐसा अपराध किया है जिसका विचारण करने के लिए वह मजिस्ट्रेट सक्षम है और जो उसकी राय में उसके द्वारा पर्याप्त रूप से दंडित किया जा सकता है तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप लिखित रूप में विरचित करेगा।
(2) तब वह आरोप अभियुक्त को पढ़कर सुनाया और समझाया जाएगा और उससे पूछा जाएगा कि क्या वह दोषी होने का अभिवाक् करता है अथवा प्रतिरक्षा करना चाहता है।
(3) यदि अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है तो मजिस्ट्रेट उस अभिवाक को लेखबद्ध करेगा और उसके आधार पर उसे, स्वविवेकानुसार, दोषसिद्ध कर सकेगा।
(4) यदि अभियुक्त अभिवचन करने से इन्कार करता है या अभिवचन नहीं करता है या विचारण किए जाने का दावा करता है या यदि अभियुक्त को उपधारा (3) के अधीन दोषसिद्ध नहीं किया जाता है तो उससे अपेक्षा की जाएगी कि वह मामले की अगली सुनवाई के प्रारंभ में, या, यदि मजिस्ट्रेट उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, ऐसा ठीक समझता है तो, तत्काल बताए कि क्या वह् अभियोजन के उन साक्षियों में से, जिनका साक्ष्य लिया जा चुका है, किसी की प्रतिपरीक्षा करना चाहता है और यदि करना चाहता है तो किस की।
(5) यदि वह कहता है कि वह ऐसा चाहता है तो उसके द्वारा नामित साक्षियों को पुनः बुलाया जाएगा और प्रतिपरीक्षा के और पुनःपरीक्षा (यदि कोई हो) के पश्चात् वे उन्मोचित कर दिए जाएंगे।
(6) फिर अभियोजन के किन्हीं शेष साक्षियों का साक्ष्य लिया जाएगा और प्रतिपरीक्षा के और पुनःपरीक्षा (यदि कोई हो) के पश्चात् वे भी उन्मोचित कर दिए जाएंगे।