आज के इस आर्टिकल में मै आपको “मानहानि के लिए अभियोजन | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 199 क्या है | section 199 CrPC in Hindi | Section 199 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 199 | Prosecution for defamation ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 199 | Section 199 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 199 in Hindi ] –
मानहानि के लिए अभियोजन–
(1) कोई न्यायालय भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 21 के अधीन दंडनीय अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध से व्यथित किसी व्यक्ति द्वारा किए गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं:
परंतु जहां ऐसा व्यक्ति अठारह वर्ष से कम आयु का है अथवा जड़ या पागल है अथवा रोग या अंग-शैथिल्य के कारण परिवाद करने के लिए असमर्थ है, या ऐसी स्त्री है, जो स्थानीय रूढ़ियों और रीतियों के अनुसार लोगों के सामने आने के लिए विवश नहीं की जानी चाहिए, वहां उसकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति न्यायालय की इजाजत से परिवाद कर सकता है।
(2) इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी, जब भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 21 के अधीन आने वाले किसी अपराध के बारे में यह अभिकथित है कि वह ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध, जो ऐसा अपराध किए जाने के समय भारत का राष्ट्रपति, या भारत का उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल या किसी संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासक या संघ या किसी राज्य का या किसी संघ राज्यक्षेत्र का मंत्री अथवा संघ या किसी राज्य के कार्यकलापों के संबंध में नियोजित अन्य लोक सेवक था, उसके लोक कृत्यों के निर्वहन को उसके आचरण के संबंध में किया गया है तब सेशन न्यायालय, ऐसे अपराध का संज्ञान, उसको मामला सुपुर्द हुए बिना, लोक अभियोजक द्वारा किए गए लिखित परिवाद पर कर सकता है।
(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट ऐसे प्रत्येक परिवाद में वे तथ्य, जिनसे अभिकथित अपराध बनता है, ऐसे अपराध का स्वरूप और ऐसी अन्य विशिष्टियां वर्णित होंगी जो अभियुक्त को उसके द्वारा किए गए अभिकथित अपराध की सूचना देने के लिए उचित रूप से पर्याप्त है। (4) उपधारा (2) के अधीन लोक अभियोजक द्वारा कोई परिवाद
(क) किसी ऐसे व्यक्ति की दशा में जो किसी राज्य का राज्यपाल है या रहा है या किसी राज्य की सरकार का मंत्री है या रहा है, उस राज्य सरकार की;
(ख) किसी राज्य के कार्यकलापों के संबंध में नियोजित किसी अन्य लोक सेवक की दशा में, उस राज्य सरकार की;
(ग) किसी अन्य दशा में केंद्रीय सरकार की, पूर्व मंजूरी से ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
(5) कोई सेशन न्यायालय उपधारा (2) के अधीन किसी अपराध का संज्ञान तभी करेगा जब परिवाद उस तारीख से छह मास के अंदर कर दिया जाता है जिसको उस अपराध का किया जाना अभिकथित है।
(6) इस धारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति के, जिसके विरुद्ध अपराध का किया जाना अभिकथित है, उस अपराध की बाबत अधिकारिता वाले किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद करने के अधिकार पर या ऐसे परिवाद पर अपराध का संज्ञान करने की ऐसे मजिस्ट्रेट की शक्ति पर प्रभाव डालेगी।