आज के इस आर्टिकल में मै आपको “स्थानीय अधिकारिता के परे किए गए अपराध के लिए समन या वारंट जारी करने की शक्ति | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 187 क्या है | section 187 CrPC in Hindi | Section 187 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 187 | Power to issue summons or warrant for offence committed beyond local jurisdiction ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 187 | Section 187 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 187 in Hindi ] –
स्थानीय अधिकारिता के परे किए गए अपराध के लिए समन या वारंट जारी करने की शक्ति–
(1) जब किसी प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण दिखाई देता है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर के किसी व्यक्ति ने ऐसी अधिकारिता के बाहर, (चाहे भारत के अंदर या बाहर) ऐसा अपराध किया है जिसकी जांच या विचारण 177 से 185 तक की धाराओं के (जिनके अंतर्गत ये दोनों धाराएं भी हैं), उपबंधों के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन ऐसी अधिकारिता के अंदर नहीं किया जा सकता है किंतु जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन भारत में विचारणीय है तब ऐसा मजिस्ट्रेट उस अपराध की जांच ऐसे कर सकता है मानो वह ऐसी स्थानीय अधिकारिता के अंदर किया गया है और ऐसे व्यक्ति को अपने समक्ष हाजिर होने के लिए इसमें इसके पूर्व उपबंधित प्रकार से विवश कर सकता है और ऐसे व्यक्ति को ऐसे अपराध की जांच या विचारण करने की अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट के पास भेज सकता है या यदि ऐसा अपराध मृत्यु से या आजीवन कारावास से दंडनीय नहीं है और ऐसा व्यक्ति इस धारा के अधीन कार्रवाई करने वाले मजिस्ट्रेट को समाधानप्रद रूप में जमानत देने के लिए तैयार और इच्छुक है तो ऐसी अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष उसकी हाजिरी के लिए प्रतिभुओं सहित या रहित बंधपत्र ले सकता है।
(2) जब ऐसी अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट एक से अधिक हैं और इस धारा के अधीन कार्य करने वाला मजिस्ट्रेट अपना समाधान नहीं कर पाता है कि किस मजिस्ट्रेट के पास या समक्ष ऐसा व्यक्ति भेजा जाए या हाजिर होने के लिए आबद्ध किया जाए, तो मामले की रिपोर्ट उच्च न्यायालय के आदेश के लिए की जाएगी।