आज के इस आर्टिकल में मै आपको “व्यक्तियों का अंतरण सुनिश्चित करने में सहायता | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 105b क्या है | section 105b CrPC in Hindi | Section 105b in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 105b | Assistance in securing transfer of persons” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 105b | Section 105b in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 105b in Hindi ] –
व्यक्तियों का अंतरण सुनिश्चित करने में सहायता–
(1) जहां भारत का कोई न्यायालय, किसी आपराधिक मामले के संबंध में यह चाहता है कि हाजिर होने अथवा किसी दस्तावेज या अन्य चीज को पेश करने के लिए, किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए किसी वारंट का, जो उस न्यायालय द्वारा जारी किया गया है, निष्पादन किसी संविदाकारी राज्य के किसी स्थान में किया जाए वहां वह ऐसे वारंट को दो प्रतियों में और ऐसे प्ररूप में ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को, ऐसे प्राधिकारी के माध्यम से भेजेगा, जो केंद्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, और, यथास्थिति, वह न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट उसका निष्पादन कराएगा।
(2) इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी, यदि, किसी अपराध के किसी अन्वेषण या किसी जांच के दौरान अन्वेषण अधिकारी या अन्वेषण अधिकारी से पंक्ति में वरिष्ठ किसी अधिकारी द्वारा यह आवेदन किया जाता है कि किसी ऐसे व्यक्ति की, जो किसी संविदाकारी राज्य के किसी स्थान में है, ऐसे अन्वेषण या जांच के संबंध में हाजिरी अपेक्षित है और न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी हाजिरी अपेक्षित है तो वह उक्त व्यक्ति के विरुद्ध ऐसे समन या वारंट को तामील और निष्पादन कराने के लिए, दो प्रतियों में, ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को ऐसे प्ररूप में जारी करेगा, जो केंद्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।
(3) जहाँ भारत किसी न्यायालय को, किसी आपराधिक मामले के संबंध में, किसी संविदाकारी राज्य के किसी न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया कोई वारंट किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए प्राप्त होता है जिसमें ऐसे व्यक्ति से उस न्यायालय में या किसी अन्य अन्वेषण अभिकरण के समक्ष हाजिर होने अथवा हाजिर होने और कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने की अपेक्षा की गई है वहां वह उसका निष्पादन इस प्रकार कराएगा मानो यह ऐसा वारंट हो जो उसे भारत के किसी अन्य न्यायालय से अपनी स्थानीय अधिकारिता के भीतर निष्पादन के लिए प्राप्त हुआ है।
(4) जहां उपधारा (3) के अनुसरण में किसी संविदाकारी राज्य को अंतरित कोई व्यक्ति भारत में बंदी है वहां भारत का न्यायालय या केंद्रीय सरकार ऐसी शर्ते अधिरोपित कर सकेगी जो वह न्यायालय या सरकार ठीक समझे।
(5) जहां उपधारा (1) या उपधारा (2) के अनुसरण में भारत को अंतरित कोई व्यक्ति किसी संविदाकारी राज्य में बंदी है वहां भारत का न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि उन शर्तों का, जिनके अधीन बंदी भारत को अंतरित किया जाता है. अनुपालन किया जाए और ऐसे बंदी को ऐसी शर्तों के अधीन अभिरक्षा में रखा जाएगा, जो केंद्रीय सरकार लिखित रूप में निर्दिष्ट करे।