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गिरफ़्तारी से क्या समझते हो | Giraftari CrPC 41

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गिरफ़्तारी (Giraftari CrPC 41) से क्या समझते हो

Giraftari CrPC 41

इस आर्टिकल में मै आपको दंड प्रक्रिया संहिता की बहुत ही महत्वपूर्ण धारा 41  के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ . आशा करता हूँ की मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा . तो चलिए जान लेते हैं की –

गिरफ़्तारी किसे कहते है ?

दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में कहीं भी गिरफ़्तारी को परिभाषित नहीं किया गया है , लेकिन गिरफ्तारी को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –

किसी प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य प्राधिकृत व्यक्ति को उसकी दैहिक स्वतंत्रता से वंचित कर देना गिरफ़्तारी है .

गिरफ़्तारी दो प्रकार से की जा सकती है –

१ – वारंट के बिना गिरफ़्तारी

२ – वारेंट के अधीन गिरफ़्तारी

हम सभी जानते हैं की पुलिस वारेंट पर तो गिरफ्तार कर ही सकती है परन्तु यह जानना अतिआवश्यक है की पुलिस कब हमें बिना वारेंट के भी गिरफ्तार कर सकती है .

Giraftari CrPC 41

पुलिस वारेंट के बिना कब गिरफ्तार कर सकती है ?

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 उन परिस्थितियों को बताती है जब हमें पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है –

(1) कोई पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारण्ट के बिना किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।-

(क) जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध करता है,

(ख) जिसके विरुद्ध इस बारे में उचित परिवाद किया जा चुका है या विश्वासनीय इतिला प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेह विद्यमान है कि उसने कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, चाहे वह जुर्माने सहित हो अथवा जुर्माने के बिना, दण्डनीय संज्ञेय अपराध किया है, यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी कर दी जाती है अर्थात-

(1) पुलिस अधिकारी के पास ऐसे परिवाद, इतिला या संदेह के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति ने उक्त अपरध किया है,

(2) पुलिस अधिकारी का यह समाधान हो गया है कि ऐसी गिरफ्तारी-

(क) ऐसे व्यक्ति को कोइ्र और अपराध करने से निवारित करने के लिए या

(ख) अपराध के समूचित अन्वेषण के लिए या

(ग) ऐसे व्यक्ति को ऐसे अपराध के साक्ष्य को गायब करने या ऐसे साक्ष्य के साथ किसी भी रीति में छेड़छाड़ करने से निवारित करने के लिए या

(घ) उस व्यक्ति को, किसी ऐसे व्यक्ति को जो मामले के तथ्यों से परिचित है, उत्प्रेरित करने, उसे धमकी देने या उससे वायदा करने से, जिससे उसे न्यायालय या पुलिस अधिकारी को ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिए मनाया जा सके, निवारित करने के लिए या

Giraftari CrPC 41

(ङ) जब तक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता न्यायसालय में उसकी उपस्थिति, जब भी अपेक्षित हो, सुनिश्चित नहीं की जा सकती,

आवश्यक है, और पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी करते समय अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा

(परन्तु यह कि पुलिस अधिकारी ऐसे सभी मामलों में जहा व्यक्ति की गिरफ्तारी, इस उपधारा के प्रावधानों के अधीन अपेक्षित न हो, गिरफ्तारी न करने के कारणों को लिखित में अभिलिखित करेगा।)

(ख क) जिसके विरुद्ध विश्वसनीय इतिला प्राप्त हो चुकी है कि उसने कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से अधिक की हो सकेगी, चाहे वह जुर्माने सहित हो अथवा संज्ञेय अपराध किया है और पुलिस अधिकारी के पास उस इतिला के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है।

(ग) जो या जो इस संहिता के अधीन या राज्य सरकार के आदेश द्वारा अपराधी उद्घाषित किया जा चुका है अथवा

(घ) जिसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पाई जाती है जिसके चुराई हुई सम्पति होने का उचित रूप से संदेह किया जा सकता है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित रूप से संदेह किया जा सकता है अथवा

(ङ) जो पुलिस अधिकारी को उस समय बाधा पहुंचाता है ज बवह अपना कर्तव्य कर रहा है या जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागा है या निकल भागने का प्रयत्न करता है अथवा

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(च) जिस पर संघ के सशस्त्र बलों में से किसी से अभित्याजक होने का उचित संदेह है अथवा

(छ) जो भारत से बाहर किसी स्थान में किसी ऐसे कार्य किए जाने से, जो यदि भारत में किया गया होता तो अपराध के रूप में दण्डनीय होता, और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण संबंधी किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकड़े जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किए जाने का भागी है, संबद्ध रह चुका हैया जिसके विरुद्ध इस बारे में उचित परिवाद किया जा युका है या विश्वसनीय इतिला प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेह विद्यमान है कि वह ऐसे संबंध रह चुका है अथव

(ज) जो छोड़ा गया सिद्धदोष होते हुए धारा 356 की उपधारा (5) के अधीन बनाए गए किसी नियम को भंग करता है अथवा
(झ) जिसकी गिरफ्तारी के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक अध्यपेक्षा प्राप्त हो चुकी है, परन्तु यह तब जब कि अध्यपेक्षा में उस व्यक्ति का, जिसे गिरफ्तार किया जाना है, और उस अपराध का या अन्य कारण का, जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी है, विनिर्देश है और उससे यह दर्शित होता है कि अध्यपेक्षा जारी करने वाले अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना वह व्यक्ति विधिपुर्वक गिरफ्तार किया जा सकता था।

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