आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ आपराधिक बल क्या है | Criminal force | 350 Ipc in Hindi ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
आपराधिक बल क्या है | Criminal force | 350 Ipc in Hindi
भारतीय दंड संहिता की धारा 350 के अनुसार- “ आपराधिक बल क्या है ”
आपराधिक बल- जो कोई किसी व्यक्ति पर उस व्यक्ति की सम्मति के बिना बल का प्रयोग किसी अपराध को करने के लिए या उस व्यक्ति को, जिस पर बल का प्रयोग किया जाता है, क्षति, भय या क्षोभ, ऐसे बल के प्रयोग से कारित करने के आशय से, या ऐसे बल के प्रयोग से सम्भाव्यत: कारित करेगा, यह जानते हुए साशय करता है, वह उस अन्य व्यक्ति पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है, यह कहा जाता है।
दृष्टान्त
(क) य नदी के किनारे रस्सी से बंधी हुई नाव पर बैठा है। क रस्सियों को उद्बन्धित करता है और उस प्रकार नाव को धार में साशय बहा देता है। यहाँ क, य को साशय गतिमान करता है, और वह ऐसा उन पदार्थों को ऐसी रीति से व्ययनित करके करता है कि किसी व्यक्ति की ओर से कोई अन्य कार्य किए बिना ही गति उत्पन्न हो जाती है। अतएव, क ने य पर बल का प्रयोग साशय किया है, और यदि उसने य की सम्मति के बिना यह कार्य कोई अपराध करने के लिए, यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि ऐसे बल के प्रयोग से वह य को क्षति, भय या क्षोभ कारित करे, तो क ने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
(ख) य एक रथ में सवार होकर चल रहा है, क, य के घोड़ों को चाबुक मारता है, और उसके द्वारा उनकी चाल को तेज कर देता है। यहाँ क ने जीव-जन्तुओं को उनकी अपनी गति परिवर्तित करने के लिए उत्प्रेरित करके य का गतिपरिवर्तन कर दिया है। अतएव, क ने य पर बल का प्रयोग किया है, और यदि क ने य की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि वह उससे य को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करे तो क ने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
आपराधिक बल के दृष्टान्त
(ग) य एक पालकी में सवार होकर चल रहा है। य को लूटने का आशय रखते हुए क पालकी का डण्डा पकड़ लेता है, और पालकी को रोक देता है । यहाँ, क ने य को गतिहीन किया है, और यह उसने अपनी शारीरिक शक्ति द्वारा किया है। अतएव क ने य पर बल का प्रयोग किया है, और क ने य की सम्मति के बिना यह कार्य अपराध करने के लिए साशय किया है, इसलिए क ने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
(घ) क सड़क पर साशय य को धक्का देता है। यहाँ क ने अपनी निजी शारीरिक शक्ति द्वारा अपने शरीर को इस प्रकार गति दी है कि वह य के संस्पर्श में आए। अतएव उसने साशय य पर बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने य की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि वह उससे य को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करे, तो उसने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
Criminal force | 350 Ipc
(ङ) क यह आशय रखते हुए या यह बात सम्भाव्य जानते हुए एक पत्थर फेंकता है कि वह पत्थर इस प्रकार य, या य के वस्त्र के या य द्वारा ले जाई जाने वाली किसी वस्तु के संस्पर्श में अरिंगा या कि वह पानी में गिरेगा और उछलकर पानी य के कपड़ों पर या य द्वारा ले जाई जाने वाली किसी वस्तु पर जा पड़ेगा। यहाँ, यदि पत्थर के फेंके जाने से यह परिणाम उत्पन्न हो जाए कि कोई पदार्थ य या य के वस्त्रों के संस्पर्श में आ जाए, तो क ने य पर बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने य की सम्मति के बिना यह कार्य उसके द्वारा य को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करने का आशय रखते हुए किया है, तो उसने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
Criminal force | 350 Ipc
(च) क किसी स्त्री का चूंघट साशय हटा देता है। यहाँ, क ने उस पर साशय बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने उस स्त्री की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि उससे उसको क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न हो, तो उसने उस पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
(छ) य स्नान कर रहा है। क स्नान करने के टब में ऐसा जल डाल देता है जिसे वह जानता है कि वह उबल रहा है। यहाँ, उबलते हुए जल में ऐसी गति को अपनी शारीरिक शक्ति द्वारा साशय उत्पन्न करता है कि उस जल का संस्पर्श य से होता है या अन्य जल से होता है, जो इस प्रकार स्थित है कि ऐसे संस्पर्श से य की संवेदन शक्ति प्रभावित होती है, इसलिए क ने य पर साशय बल का प्रयोग किया है, और यदि उसने य की सम्मति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए किया है कि वह उससे य को क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न करे, तो क ने आपराधिक बल का प्रयोग किया
(ज) क, य की सम्मति के बिना, एक कते को य पर झपटने के लिए भडकाता है। यहाँ यदि क का आशय य को क्षति, भय या क्षोभ कारित करने का है, तो उसने य पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।
Criminal force | Section 350 in The Indian Penal Code
Criminal force.—Whoever intentionally uses force to any person, without that person’s consent, in order to the committing of any offence, or intending by the use of such force to cause, or knowing it to be likely that by the use of such force he will cause injury, fear or annoyance to the person to whom the force is used, is said to use criminal force to that other.
Criminal force – Illustrations
Criminal force | 350 Ipc – Illustrations
Criminal force | 350 Ipc
Criminal force | 350 Ipc – Illustrations
Criminal force | 350 Ipc
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