आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ संज्ञा किसे कहते हैं | Sangya kise kahate Hain | What is Noun“, के बारे में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा ।
शब्द और पद
जब शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है और वाक्य के बाहर होता है तो यह ‘शब्द’ होता है, किन्तु जब शब्द वाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होता है तो इसे ‘पद’ कहा जाता है । मतलब कि स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने पर शब्द ‘शब्द’ कहलाता है, किन्तु वाक्य के अंतर्गत प्रयुक्त होने पर शब्द ‘पद’ कहलाता है।
पद के भेद : पद के पांच भेद होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय ।
संज्ञा किसे कहते हैं | What is Noun | Sangya kise kahate Hain
परिभाषा : संज्ञा को ‘नाम’ भी कहा जाता है। किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि का ‘नाम’ ही उसकी संज्ञा कही जाती है। दूसरे शब्दों में किसी का नाम ही उसकी संज्ञा है तथा इस नाम से ही उसे पहचाना जाता है। संज्ञा न हो तो पहचान अधूरी है और भाषा का प्रयोग भी बिना संज्ञा के सम्भव नहीं है।
संज्ञा के प्रकार | Sangya ke prakar
१ – व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा तीन प्रकार की होती है—रूढ़ (जैसे—कृष्ण, यमुना), यौगिक (जैसे—पनघट, पाठशाला) और योगरूढ़ (जैसे–जलज, यौगिक अर्थ-जल में उत्पन्न वस्तु, योगरूढ़ अर्थ—कमल)।
२ – अर्थ की दृष्टि से संज्ञा पाँच प्रकार की होती है—व्यक्तिवाचक संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, द्रव्यवाचक संज्ञा, समूहवाचक संज्ञा एवं भाववाचक संज्ञा।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) : जो किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध कराती है। जैसे— राम, गंगा, पटना आदि।
- जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) : जो संज्ञा किसी जाति का बोध कराती है, वे जातिवाचक संज्ञा कही जाती हैं। जैसे—नदी, पर्वत, लड़की आदि।
‘नदी’ जातिवाचक संज्ञा है क्योंकि यह सभी नदियों का बोध कराती है किन्तु गंगा एक विशेष नदी का नाम है इसलिए गंगा व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
- द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun): जिस संज्ञा शब्द से उस सामग्री या पदार्थ का बोध होता है जिससे कोई वस्तु बनी है। जैसे—ठोस पदार्थ : सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, ऊन आदि; द्रव पदार्थ : तेल, पानी, घी, दही आदि; गैसीय पदार्थ : धुआँ, ऑक्सीजन आदि।
- समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun) : जो संज्ञा शब्द किसी एक व्यक्ति का वाचक न होकर समूह | समुदाय के वाचक हैं। जैसे—वर्ग, टीम, सभा, समिति, आयोग, परिवार, पुलिस, सेना, अधिकारी, कर्मचारी, ताश, टी-सेट, आर्केस्ट्रा आदि।
- भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) : किसी भाव, गुण, दशा आदि का ज्ञान कराने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा होते हैं। जैसे- क्रोध, मिठास, यौवन, कालिमा आदि।
संज्ञाओं के विशिष्ट प्रयोग
१ – व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा रूप में- कभी कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा रूप में होता है। जैसे- आज के युग में भी हरिश्चंद्रों का नहीं है। (यहाँ ‘हरिश्चन्द्र’ किसी व्यक्ति का नाम न होकर यनिष्ठ व्यक्तियों की जाति का बोधक है।)
देश को हानि जयचंदों से होती है। (यहाँ ‘जयचंदो’ किसी व्यक्ति का नाम न होकर विश्वासघाती व्यक्तियों की जाति का बोधक है।)
रामचरितमानस हिन्दुओं की बाइबिल है।
२ – जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवचाक संज्ञा के रूप में – कभी कभी जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में होता है। जैसे
गोस्वामी जी ने रामचरितमानस की रचना की। [ यहा ‘गोस्वामी’ किसी जाति का नाम न होकर व्यक्ति (गोस्वामी तुलसीदास) का बोधक है।)।
शुक्ल जी ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा । [यहाँ ‘शुक्ल’ किसी जाति का नाम न होकर व्यक्ति (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल) का बोधक है।)
पंडित जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। (पंडित जवाहरलाल नेहरू)
पद-परिचय (Parsing) : पद-परिचय में वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग करके उसका व्याकरणिक स्वरूप बताते हुए अन्य पदों से उसका संबंध बताना पड़ता है। इसे पद-अन्वय भी कहते हैं।
( Sangya ka pad parichay )संज्ञा का पद परिचय (Parsing of Noun)
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का पद परिचय देते समय संज्ञा, उसका भेद, लिंग, वचन, कारक एवं अन्य पदो से उसका संबंध बताना चाहिए। जैसेराम ने रावण को वाण से मारा।
- राम : संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक, ‘मारा’ क्रिया का कर्ता।
- रावण : संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘मारा’ क्रिया का कर्म ।
- वाण : संज्ञा, जातिवाचक, पुलिंग, एकवचन, करण कारक ‘मारा’ क्रिया का साधन ।
संज्ञा का रूप परिवर्तन लिंग, वचन, कारक के अनुरूप होता है, अतः इन पर भी विचार करना आवश्यक है।
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