आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ कारक किसे कहते हैं | Karak kise kahate hain“, के बारे में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा ।
कारक किसे कहते हैं | Karak kise kahate hain
कारक (Case) परिभाषा – संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के अन्य पदों (विशेषतः क्रिया) से जो संबंध होता है, उसे कारक कहते हैं। जैसे-राम ने रावण को वाण से मारा ।
इस वाक्य राम क्रिया (मारा) का कर्ता, रावण मारण क्रिया का कर्म है। वाण यह क्रिया सम्पन्न की गई। अत: वाण क्रिया का साधन होने से करण है।
कारक एवं कारक, चिह
हिन्दी में कारकों की संख्या 8 मानी गई है। इन कारका के नाम एवं उनके कारक चिन्हो का विवरण इस प्रकार है –
करक | करक चिन्ह |
कर्ता | ने |
करण | से, के द्वारा |
अपादान | से |
अधिकरण | में , पर |
कर्म | को , ए , ऐं |
सम्प्र्दान | को , के लिए, ए , ऐं |
सम्बन्ध | का , की , के, रा , री , रे, ना , नी , ने |
सम्बोधन | ऐ ! , हे ! , अरे ! , ओ ! |
करण और अपादान में अन्तर
करण और अपादान दोनों कारकों में से’ चिह्न का प्रयोग होता है किन्तु इन दोनों में मूलभूत अंतर है। करण क्रिया का साधन या उपकरण है। कर्ता कार्य सम्पन्न करने के लिए जिस उपकरण या साधन का प्रयोग करता है, उसे करण कहते हैं। जैसे- मैं कलम से लिखता हूँ।
यहाँ कलम लिखने का उपकरण है अतः कलम शब्द का प्रयोग करण कारक में हुआ है।
अपादान में अपाय (अलगाव) का भाव निहित है। जैसेपड़ से पत्ता गिरा।
अपादान कारक पेड़ में है, पत्ते में नहीं। जो अलग हुआ है, उसमें अपादान कारक नहीं माना जाता अपितु जहाँ से अलग हुआ है, उसमें अपादान कारक होता है। पेड़ तो अपनी जगह स्थिर है, पत्ता अलग हो गया अतः ध्रुव (स्थिर) वस्तु में अपादान होगा। एक अन्य उदाहरण वह गाँव से चला आया। यहाँ गाँव में अपादान कारक है।
कारकों की पहचान
कारकों की पहचान कारक चिह्नी से की जाती है। कोई शब्द किस कारक में प्रयुक्त है, यह वाक्य के अर्थ पर भी निर्भर है। सामान्यतः कारक निम्न प्रकार पहचाने जाते हैं-
कर्ता (Nominative) | क्रिया को सम्पन्न करने वाला |
कर्म (Accurative) | क्रिया से प्रभावित होने वाला |
करण (Instrumental) | क्रिया का साधन या उपकरण |
सम्प्रदान (Dative) | जिससे क्रिया के उद्देश्य/प्रयोजन का बोध हो, जिसके लिए कोई क्रिया सम्पन्न की जाय या जिसे कुछ प्रदान किया जाय |
अपादान (Ablative) | जहाँ अलगाव हो वहाँ ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है। अलगाव के अलावे कारण, तुलना, भिन्नता, आरंभ, सीखने आदि का बोधक |
संबंध (Genitive) | जहाँ दो पदों का पारस्परिक संबंध बताया जाए |
अधिकरण (Locative) | जो क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर) आदि का बोध कराये। |
सम्बोधन (Vocative) | किसी को पुकार कर सम्बोधित किया जाय। |
Karak kise kahate hain
वाक्य में कारक संबंधी अनेक अशुद्धियां होती हैं। इनका निराकरण करके वाक्य को शुद्ध बनाया जाता है। जैसे-
अशुद्ध वाक्य |
शुद्ध वाक्य |
तेरे को कहां जाना है ? | तुझे कहाँ जाना है ? |
वह घोड़े के ऊपर बैठा है। | वह घोड़े पर बैठा है। |
रोगी से दाल खाई गई। | रोगी के द्वारा दाल खाई गई। |
मैं कलम के साथ लिखता हूं। | मैं कलम से लिखता हूं। |
मुझे कहा गया था। | मुझसे कहा गया था। |
लड़का मिठाई को रोता है। | लड़का मिठाई के लिए रोता है। |
इस किताब के अन्दर बहुत कुछ है। | इस किताब में बहुत कुछ है। |
मैंने आज पटना जाना है। | मुझे आज पटना जाना है। |
तेरे को मेरे से क्या लेना-देना? | तुझे मुझसे क्या लेना देना? |
उसे कह दो कि भाग जाय। | उससे कह दो कि भाग जाय। |
सीता से जाकर के कह देना। | सीता से जाकर कह देना। |
तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकता। | तुमसे कोई काम नहीं हो सकता। |
मैं पत्र लिखने को बैठा। | मैं पत्र लिखने के लिए बैठा । |
मैंने राम को यह बात कह दी थी। | मैंने राम से यह बात कह दी थी। |
इन दोनों घरों में एक दीवार है। | इन दोनों घरों के बीच एक दीवार है। |
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Karak kise kahate hain
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