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धारा 358 CrPC | Section 358 CrPC in Hindi | CrPC Section 358

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आज के इस आर्टिकल में मै आपको “निराधार गिरफ्तार करवाए गए व्यक्तियों को प्रतिकर | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 358 क्या है | section 358 CrPC in Hindi | Section 358 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 358 | Compensation to persons groundlessly arrestedके विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 358 |  Section 358 in The Code Of Criminal Procedure

[ CrPC Sec. 358 in Hindi ] –

निराधार गिरफ्तार करवाए गए व्यक्तियों को प्रतिकर-

(1) जब कभी कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पुलिस अधिकारी से गिरफ्तार कराता है, तब यदि उस मजिस्ट्रेट को, जिसके द्वारा वह मामला सुना जाता है यह प्रतीत होता है कि ऐसी गिरफ्तारी कराने के लिए कोई पर्याप्त आधार नहीं था तो, वह मजिस्ट्रेट अधिनिर्णय दे सकता है कि ऐसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इस संबंध में उसके समय की हानि और व्यय के लिए एक हजार रुपए] से अनधिक इतना प्रतिकर जितना मजिस्ट्रेट ठीक समझे, गिरफ्तार कराने वाले व्यक्ति द्वारा दिया जाएगा।

(2) ऐसे मामलों में यदि एक से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार किए जाते हैं तो मजिस्ट्रेट उनमें से प्रत्येक के लिए उसी रीति से एक हजार रुपए] से अनधिक उतना प्रतिकर अधिनिर्णीत कर सकेगा, जितना ऐसा मजिस्ट्रेट ठीक समझे।

(3) इस धारा के अधीन अधिनिर्णीत समस्त प्रतिकर ऐसे वसूल किया जा सकता है मानो वह जुर्माना है और यदि वह ऐसे वसूल नहीं किया जा सकता तो उस व्यक्ति को, जिसके द्वारा वह संदेय है, तीस दिन से अनधिक की इतनी अवधि के लिए, जितनी मजिस्ट्रेट निर्दिष्ट करे, सादे कारावास का दंडादेश दिया जाएगा जब तक कि ऐसी राशि उससे पहले न दे दी जाए।

धारा 358 CrPC

[ CrPC Sec. 358 in English ] –

“Compensation to persons groundlessly arrested”–

(1) Whenever any person causes a police officer to arrest another person, if it appears to the Magistrate by whom the case is heard that there was no sufficient ground for causing such arrest, the Magistrate may award such compensation, not exceeding one hundred rupees, to be paid by the person so causing the arrest to the person so arrested, for his loss of time and expenses in the matter, as the Magistrate thinks fit.
(2) In such cases, if more persons than one are arrested, the Magistrate may, in like manner, award to each of them such compensation, not exceeding one hundred rupees, as such Magistrate thinks fit.
(3) All compensation awarded under this section may be recovered as if it were a fine, and, if it cannot be so recovered, the person by whom it is payable shall be sentenced to simple imprisonment for such term not exceeding thirty days as the Magistrate directs, unless such sum is sooner paid.

धारा 358 CrPC

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