आज के इस आर्टिकल में मै आपको “आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 110 क्या है | section 110 CrPC in Hindi | Section 110 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 110 | Security for good behaviour from habitual offenders ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 110 | Section 110 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 110 in Hindi ] –
आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति—
जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट] को यह इत्तिला मिलती है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो
(क) अभ्यासतः लुटेरा, गृहभेदक, चोर या कूटरचयिता है ; अथवा (ख) चुराई हुई संपत्ति का, उसे चुराई हुई जानते हुए, अभ्यासतः प्रापक है ; अथवा
(ग) अभ्यासतः चोरों की संरक्षा करता है या चोरों को संश्रय देता है या चुराई हुई संपत्ति को छिपाने या उसके व्ययन में सहायता देता है ; अथवा
(घ) व्यपहरण, अपहरण, उद्दापन, छल या रिष्टि का अपराध या भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 12 के अधीन या उस संहिता की धारा 489क, धारा 489ख, धारा 489ग या धारा 489घ के अधीन दंडनीय कोई अपराध अभ्यासत: करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुप्रेरण करता है ; अथवा
(ङ) ऐसे अपराध अभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है, जिनमें परिशांति भंग समाहित है ; अथवा
(च) कोई ऐसा अपराध अभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है जो-
(i) निम्नलिखित अधिनियमों में से एक या अधिक के अधीन कोई अपराध है, अर्थात् :
(क) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (1940 का 23);
(ख) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (1973 का 46);]
(ग) कर्मचारी भविष्य-निधि [और कुटुंब पेंशन निधि] अधिनियम, 1952 (1952 का 19);
(घ) खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (1954 का 37);
(ङ) आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10);
(च) अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (1955 का 22);
(छ) सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 (1962 का 52),* * *
‘[(ज) विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 (1946 का 31); या]
(ii) जमाखोरी या मुनाफाखोरी अथवा खाद्य या औषधि के अपमिश्रण या भ्रष्टाचार के निवारण के लिए उपबंध करने वाली किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई अपराध है ; या
(झ) ऐसा दुसाहसिक और भयंकर है कि उसका प्रतिभूति के बिना स्वच्छन्द रहना समाज के लिए परिसंकटमय है,
तब ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति से इसमें इसके पश्चात् उपबंधित रीति से अपेक्षा कर सकता है कि वह कारण दर्शित करे कि तीन वर्ष से अनधिक की इतनी अवधि के लिए, जितनी वह मजिस्ट्रेट ठीक समझता है. उसे अपने सदाचार के लिए प्रतिभुओं सहित बंधपत्र निष्पादित करने का आदेश क्यों न दिया जाए।
धारा 110 CrPC
[ CrPC Sec. 110 in English ] –
“ Security for good behaviour from habitual offenders ”–
When[ an Executive Magistrate.] 1 receives information that there is within his local jurisdiction a person who-