परक्राम्य लिखत अधिनियम 105 वस्तुनिष्ट प्रश्न | Negotiable instrument act
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1 – सही कथन बताइये:
परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के अधिनियमन का उद्देश्य है :
(अ) वचन-पत्रों, विनिमय-पत्रों और चैकों से संबंधित विधि का निर्माण करना
(ब) वचन-पत्रों, विनिमय-पत्रों और चैकों से संबंधित विधि को परिभाषित करना
(स) वचन-पत्रों, विनिमय-पत्रों और चैकों से संबंधित विधि का संशोधन करना
(द) वचन-पत्रों, विनिमय-पत्रों और चैकों से संबंधित विधि को परिभाषित और संशोधित करना
negotiable act in hindi
2 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 कब प्रवृत्त हुआ ?
(अ) 23 मार्च, 1881
(ब) 1 मार्च, 1882
(स) 12 दिसम्बर, 1881
(द) 1 अप्रैल, 1882
3 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के विस्तार के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है :
(अ) इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है
(ब) इसका विस्तार जनजातीय क्षेत्रों के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है
(स) इसका विस्तार नागालैण्ड राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर
(द) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है
4 – परक्राम्य लिखत अधिनियम निम्न में से किस के संबंध में लागू नहीं होता :
(अ) इण्डियन पेपर करेंसी एक्ट, 1871 (1871 का 3) की धारा 21
(ब) किसी प्राच्य भाषा में की किसी भी लिखत से संबंधित कोई स्थानीय प्रथा
(स) उपरोक्त (अ) और (ब) दोनों पर लागू नहीं होता
(द) उपरोक्त (अ) और (ब) दोनों पर ही लागू होता है।
परक्राम्य लिखत अधिनियम 105 वस्तुनिष्ट प्रश्न
5 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 में कितनी धाराएँ हैं ?
(अ) 147 धाराएँ हैं
(ब) 140 धाराएँ हैं
(स) 138 धाराएँ हैं
(द) 135 धाराएँ हैं
6 – परक्राम्य लिखत (संशोधन एवं प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम, 2002 (क्र. 55 सन् 2002) को राष्ट्रपति की अनुमति कब प्राप्त हुई?
(अ) 20 अक्टूबर, 2002
(ब) 26 नवम्बर, 2002
(स) 18 दिसम्बर, 2002
(द) 4 जनवरी, 2003
7 – परक्राम्य लिखत (संशोधन एवं प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम, 2002 (क्र. 55 सन् 2002) कौन सी तारीख से प्रवृत्त हुआ :
(अ) 5 जनवरी, 2003
(ब) 6 फरवरी, 2003
(स) 16 मार्च, 2003
(द) 22 अप्रैल, 2003
8 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 4 द्वारा किसे निम्नानुसार परिभाषित किया गया है :
“ऐसी लेखबद्ध लिखत, जिसमें एक निश्चित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार या उस लिखत के वाहक को धन की एक निश्चित राशि संदत्त करने का उसके रचयिता द्वारा हस्ताक्षरित अशर्त वचन अन्तर्विष्ट हो”।
(अ) चैक
(ब) वचन पत्र
(स) विनिमय पत्र
(द) वचन पत्र या विनिमय पत्र
negotiable instrument act in hindi
9 – ‘क’ निम्नलिखित शब्दों वाली लिखतों पर हस्ताक्षर करता है, बताइये इनमें से किसे वचन-पत्र नहीं माना जाएगा:
(अ) मैं ‘ख’ को या उसके आदेशानुसार 500 रुपये संदत्त करने का वचन देता हूँ
(ब) मैं स्वीकार करता हूँ कि प्राप्त मूल्य के लिए मैं ‘ख’ का एक हजार रुपये का ऋणी हूँ जो मांग पर संदत्त किए जाने हैं
(स) ‘ग’ के साथ अपने विवाह के 7 दिन पश्चात् मैं ‘ख’ को 500 रुपये संदत्त करने का वचन देता हूँ
(द) उपरोक्त सभी वचन पत्र के उदाहरण हैं
10 – ‘क’ निम्नलिखित शब्दों वाली लिखतों पर हस्ताक्षर करता है, बताइये इनमें से किसे वचन-पत्र माना जाएगा:
(अ) मैं ‘ख’ को या उसके आदेशानुसार 2000 रुपये संदत्त करने का वचन देता हूँ
(ब) श्री ‘ख’ मैं, आपका 1,000 रुपये का देनदार हूँ
(स) ‘ग’ के साथ अपने विवाह के 7 दिन पश्चात् मैं ‘ख’ को 500 रुपये संदत्त करने का वचन देता हैं।
(द) मैं वचन देता हैं कि मैं निकटतम आगामी पहली जनवरी को ‘ख’ को 500 रुपये संदत्त करूंगा और अपना काला घोड़ा उसे परिदत्त करुंगा
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -2
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
11- परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कौन-सी धारा “विनिमय-पत्र” को परिभाषित करती है?
(अ) धारा 4
(ब) धारा 5
(स) धारा 6
(द) धारा 7
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12 – निम्नलिखित में से कौन सा परक्राम्य विलेख, किसी लेखीवाल को दायी करने अथवा भुगतान की मांग करने के पूर्व उसकी स्वीकृति की अपेक्षा करता है ?
(अ) मांग वचन पत्र
(ब) विनिमय पत्र
(स) चैक
(द) ‘ब’ एवं ‘स’ दोनों
13 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 5 द्वारा किसे निम्नानुसार परिभाषित किया गया है- “ऐसी लेखबद्ध लिखत, जिसमें एक निश्चित व्यक्ति को यह निदेश देने वाला उसके रचयिता द्वारा हस्ताक्षरित अशर्त आदेश अन्तर्विष्ट हो कि वह एक निश्चित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार या उस लिखत के वाहक को ही धन की एक निश्चित राशि संदत्त करे।”
(अ) चैक
(ब) वचन पत्र
(स) विनिमय पत्र
(द) वचन पत्र या विनिमय पत्र
14 – उत्तर दिनांकित चैक (Post Dated Cheque) निम्न में से किसके अन्तर्गत आता है:
(अ) विनिमय पत्र
(ब) वचन पत्र
(स) उपरोक्त (अ) एवं (ब) दोनों
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
15 – सभी चैक विनिमय पत्र हैं, लेकिन सभी विनिमय पत्र चैक नहीं होते हैं :
(अ) सत्य है
(ब) गलत है
(स) आधा सत्य है व आधा गलत है
(द) उपरोक्त कोई भी नहीं
परक्राम्य लिखत अधिनियम 105 वस्तुनिष्ट प्रश्न
16 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कौन-सी धारा चैक को परिभाषित करती है ?
(अ) धारा 4
(ब) धारा 5
(स) धारा 6
(द) धारा 7 में
17 – एक ऐसा विनिमय-पत्र जो विनिर्दिष्ट बैंकार पर लिखा गया है और जिसका मांग पर से अन्यथा देय होना अभिव्यक्त नहीं है, कहलाता है :
(अ) वचन पत्र
(ब) चैक
(स) विनिमय पत्र
(द) साधारण लिखत
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18 – परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 6 के अनुसार चैक में सम्मिलित है:
(अ) इलेक्ट्रानिक रूपक से निकाला हुआ छंटित चैक
(ब) इलेक्ट्रानिक रूप में कोई चैक
(स) उपरोक्त (अ) एवं (ब) दोनों
(द) उपरोक्त (अ) एवं (ब) के सिवाय सभी विनिमय-पत्र जो विनिर्दिष्ट बैंकार पर लिखे गए हों
19 – ऐसा चैक जो कागजी चैक की भाँति यथावत रूप से अंकित तथा न्यूनतम सुरक्षा स्तर के साथ अंकीय हस्ताक्षर के उपयोग के साथ सुरक्षित-प्रणाली में उत्पादित, लिखित और हस्ताक्षरित (बायोगी हस्ताक्षर से युक्त या अयुक्त) एवं ऐसीमैट्रिक क्रिपटो प्रणाली से अंतर्विष्ट है, कहा जायेगा –
(अ) इलेक्ट्रानिक रूपक में चैक
(ब) छंटित चैक
(स) साधारण चैक
(द) बैंक ड्राफ्ट
20 – ऐसा चैक जो कि समाशोधन गृह के द्वारा या बैंक के द्वारा चाहे अदायगी करते हये या , करते हये निकासी अवधि के अनुक्रम के दौरान छंटित किया जाता है जो तत्काल र उत्पादन पर पारेषित किया जाता है प्रतिस्थापना आगे शारीरिक संचलन से लिखित चेक है कहा जाएगा:
(अ) इलेक्ट्रानिक रूपक में चैक
(ब) छंटित चैक
(स) साधारण चैक
(द) बैंक ड्राफ्ट
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -2
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
21 – धारा 6 के प्रयोजनों के लिए अभिव्यक्ति “समाशोधन गृह” का आशय है :
(अ) समाशोधन गृह जिसका प्रबंध रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के द्वारा किया जाता हो
(ब) समाशोधन गृह जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा मान्यता प्राप्त हो
(स) समाशोधन गृह जिसे केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा “समाशोधन गृह” होना घोषित करे
(द) उपरोक्त (अ) अथवा (ब)
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22 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कौन सी धारा लेखीवाल, ऊपरवाल, जिकरीवाल, प्रतिगृहीता, आदरणार्थ प्रतिगृहीता तथा पाने वाला को परिभाषित करती है ?
(अ) धारा 3 (निर्वचन खण्ड)
(ब) धारा 7
(स) धारा 8
(द) धारा 9
23 – किसी विनिमय पत्र या चैक के रचयिता को क्या कहा जाएगा ?
(अ) लेखीवाल
(ब) ऊपरवाल
(स) जिकरीवाल
(द) प्रतिगृहीता
24 – संदाय करने के लिये निर्दिष्ट व्यक्ति क्या कहा जाता है ?
(अ) लेखीवाल
(ब) प्रतिगृहीता
(स) जिकरीवाल
(द) ऊपरवाल
25 – जब कि विनिमय-पत्र में या उस पर के किसी पृष्ठांकन में ऊपरवाल के अतिरिक्त किसी व्यक्ति का नाम दिया हुआ है जिसके पास आवश्यकता पड़ने पर लेनगी के लिए माना जाना है तब ऐसा व्यक्ति……………….कहलाता है।
(अ) लेखीवाल
(ब) ऊपरवाल
(स) जिकरीवाल
(द) प्रतिगृहीता
परक्राम्य लिखत अधिनियम 105 वस्तुनिष्ट प्रश्न
26 – लिखत में नामनिर्दिष्ट वह व्यक्ति जिसे या जिसके आदेश पर, धन, लिखत द्वारा संदत्त किया जाना निर्दिष्ट हो, कहलाता है :
(अ) प्रतिगृहीता
(ब) पाने वाला
(स) लेखीवाल
(द) जिकरीवाल
27 – वह व्यक्ति जो स्वयं अपने नाम से वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक पर कब्जा रखने का और उस पर शोध्य रकम उसके पक्षकारों से प्राप्त करने या वसूल करने का हकदार है, कहलाता है:
(अ) पाने वाला
(ब) ऊपरवाल
(स) धारक
(द) प्रतिगृहीता
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28 – एक व्यक्ति परक्राम्य विलेख को मूल्य देकर सद्भावना से ग्रहण करता है, वह कहलाता है –
(अ) धारक
(ब) मूल्यवान धारक
(स) सम्यक् अनुक्रम धारक
(द) धारक अधिकारित्व
29 – अधिनियम का कौन-सा प्रावधान ‘सम्यक अनुक्रम में संदाय’ के सम्बन्ध में विचार करता है?
(अ) धारा 9
(ब) धारा 10
(स) धारा 36
(द) धारा 78
30 – भारत में लिखित या रचित और भारत में देय किया गया या भारत में निवासी किसी व्यक्ति, पर लिखित वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक ……..समझा जाएगा।
(अ) परक्राम्य लिखत
(ब) विदेशी लिखत
(स) साधारण लिखत
(द) अन्तर्देशीय लिखत
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -2
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
31 – परक्राम्य लिखत से या तो आदेशानुसार या वाहक को देय….. ..अभिप्रेत है।
(अ) वचन पत्र
(ब) विनिमय पत्र
(स) चैक
(द) वचन पत्र, विनिमय पत्र या चैक
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32. – परक्राम्य लिखत अधिनियम तीन विशिष्ट विलेखों का उल्लेख करता है, जैसे- चैक, विनिमय पत्र तथा :
(अ) प्रोमेसरी नोट
(ब) हुंडी
(स) बैंक ड्राफ्ट
(द) उपरोक्त सभी
33 – निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है :
(अ) वह वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक वाहक को देय है जिसमें यह अभिव्यक्ति हो कि वह ऐसे देय है या जिस पर एकमात्र या अन्तिम पृष्ठांकन निरंक पृष्ठांकन है.
(ब) जहां कि वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक का या तो मूलत: या पृष्ठांकन द्वारा विनिर्दिष्ट व्यक्ति के आदेशानुसार, न कि उसे या उसके आदेशानुसार देय होना अभिव्यक्त हो, वहाँ उसे संदाय नहीं किया जाएगा
(स) परक्राम्य लिखत दो या अधिक पाने वालों को संयुक्ततः देय रचित की जा सकेगी
(द) परक्राम्य लिखत अनुकल्पत: दो पाने वालों में से एक को या कई पाने वालों में से एक को या कुछ को देय रचित की जा सकेगी
34 – निम्नलिखित में से कौन एक बैंक परक्राम्य विलेख नहीं बना सकता है ?
(अ) एक दिवालिया
(ब) कम्पनी
(स) अभिकर्ता
(द) दोनों ‘ब’ व ‘स’
परक्राम्य लिखत अधिनियम 105 वस्तुनिष्ट प्रश्न
35 – जबकि वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक किसी व्यक्ति को ऐसे अन्तरित कर दिया जाता है कि वह व्यक्ति उसका धारक हो जाता है, तब यह कहलाता है :
(अ) परक्रामण
(ब) पृष्ठांकन
(स) उपस्थापन
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
36 – परकाय लिखत अधिनियम, 1881 की कौन सी धारा पृष्ठांकन को परिभाषित करती है ?
(अ) धारा 13
(ब) धारा 14
(स) धारा 15
(द) धारा 16
37 – परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 16 के अनुसार ऐसा पृष्ठांकन जिसमें पृष्ठांकक केवल अपना नाम हस्ताक्षरित करता है, कहा जाता है :
(अ) निरंक पृष्ठांकन
(ब) पूर्ण पृष्ठांकन
(स) संदिग्धार्थी लिखत
(द) अधूरी लिखत
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38 – किसी ऐसे पृष्ठांकन जिसमें पृष्ठांकनकर्ता परक्राम्य विलेख के अनादरण की स्थिति में विलेख पर स्वयं के दायित्व को अपवर्जित करता हो, का वर्णन करने के लिए किस शब्द का उपयोग किया जाता है ?
(अ) आंशिक पृष्ठांकन
(ब) बिना अवलम्ब पृष्ठांकन
(स) अवरोधक पृष्ठांकन
(द) सशर्त पृष्ठांकन
39 – इस सामान्य नियम कि कूटरचित पृष्ठांकन विधि में पृष्ठांकन नहीं होता है, का अपवाद क्या है ?
(अ) खाता बंद करना
(ब) संदाय बैंकर को संरक्षण
(स) परक्राम्य विलेख का समनुदेशन
(द) चैक का रेखन
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40 – जब लिखत का अर्थ वचन-पत्र या विनिमय-पन्न दोनों लगाया जा सकता हो वहाँ धारक उसे किस रूप में बरत सकेगा:
(अ) वचन-पत्र के रूप में
(ब) विनिमय-पत्र के रूप में
(स) वचन-पत्र या विनिमय-पत्र दोनों में से किसी भी रूप में
(द) ऐसी लिखत अवैध होगी
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
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- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
41 – “मांग पर देय लिखत” में निम्न में से किसे सम्मिलित माना जाएगा:
(अ) वचन पत्र जिसमें संदाय का कोई समय विनिर्दिष्ट नहीं है
(ब) विनिमय पत्र जिसमें संदाय का कोई समय विनिर्दिष्ट नहीं है
(स) चैक
(द) उपरोक्त सभी
42 – परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 21 के अनुसार ‘दर्शन पर’ और ‘उपस्थापन पर’ से आशय है :
(अ) परिपक्वता के पूर्व
(ब) परिपक्वता के पश्चात्
(स) मांग पर
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
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43 – वचन-पत्र या विनिमय-पत्र की परिपक्वता उस तारीख को होती है:
(अ) जिसको वह शोध्य हो जाता है
(ब) जिसको वह पेश किया जाता है
(स) जिसको वह लिखा जाता है।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
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44 – हर वचन-पत्र या विनिमय-पत्र, जिसका मांग पर, दर्शन पर या उपस्थापन पर देय होना अभिव्यक्त नहीं है, परिपक्वता होगी:
(अ) उस तारीख को जिसको उसका देय होना अभिव्यक्त है
(ब) उस तारीख के अगले दिन जिसको उसका देय होना अभिव्यक्त है
(स) उस तारीख के तीसरे दिन जिसको उसका देय होना अभिव्यक्त है
(द) उस तारीख के पाँचवे दिन जिसको उसका देय होना अभिव्यक्त है
45 – 30 अगस्त, 2010 तारीख की एक परक्राम्य लिखत ऐसे रचित है कि वह उस तारीख के तीन मास पश्चात् देय है। उक्त लिखत कौनसी तारीख को परिपक्व होगी:
(अ) 3 दिसम्बर, 2010
(ब) 29 नवम्बर, 2010
(स) 30 नवम्बर, 2010
(द) 1 दिसम्बर, 2010
46 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कौन सी धारा में हस्ताक्षर करने वाले अभिकर्ता का दायित्व बताया गया है?
(अ) धारा 27
(ब) धारा 28
(स) धारा 29
(द) धारा 30
47 – चैक का ऊपरवाल परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कौनसी धारा के अधीन दायित्वाधीन है ?
(अ) धारा 30
(ब) धारा 31
(स) धारा 32
(द) धारा 33
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48 – निम्न में से कौन व्यक्ति प्रतिग्रहण द्वारा अपने को आबद्ध कर सकता है:
(अ) विनिमय-पत्र के ऊपरवाल
(ब) जिकरीवाल
(स) आदरणार्थ प्रतिगृहीता के रूप में उसमें नामित व्यक्ति
(द) उपरोक्त सभी
49 – जहां कि विनिमय-पत्र के अनेक ऐसे ऊपरवाल हैं, जो भागीदार नहीं हैं, वहाँ :
(अ) उनमें से हर एक उसे अपने लिए प्रतिगृहीत कर सकता है
(ब) उनमें से कोई भी उसे किसी दूसरे के लिए उसके प्राधिकार के बिना प्रतिगृहीत नहीं कर सकता
(स) उनमें से कोई भी उसे किसी दूसरे के लिए उसके प्राधिकार के बिना भी प्रतिगृहीत कर सकता है
(द) उपरोक्त (अ) एवं (ब)
50 – निम्न में से कौन सी जोड़ी सही नहीं है:
(अ) लेखीवाल का दायित्व – धारा 30
(ब) चैक के ऊपरवाल का दायित्व – धारा 31
(स) पृष्ठांकक का दायित्व – धारा 34
(द) सम्यक् अनुक्रम धारक के प्रति पूर्विक पक्षकारों का दायित्व – धारा 36
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- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
51 – ‘क’ स्वयं अपने आदेशानुसार देय विनिमय-पत्र पर ‘ख’ पर लिख देता है, जो उसे प्रतिगहीत कर लेता है: तत्पश्चात ‘क’ विनिमय-पत्र को ‘ग’ के नाम, ‘ग’, ‘घ’ के नाम और ‘घ’, ‘ड’ के नाम पष्ठांकित कर देता है। जहाँ तक ” और ‘ख’ का संबंध है, ‘ख’:
(अ) मूल ऋणी है
(ब) प्रतिभू है
(स) की हैसियत सम्यक-अनुक्रम धारक की है क्योंकि मूल ऋणी तो ‘क’ ही है
(घ) की हैसियत पृष्ठांकक की तरह है
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52 – ‘क’ अपने आदेशानुसार देय 500 रुपये का विनिमय-पत्र ‘ख’ पर लिखता है। ‘ख’ विनिमयपत्र को प्रतिग्रुहित कर लेता है। किन्तु तत्पश्चात् संदाय न करके उसे अनादृत कर देता है। ‘क’ विनिमयपत्र के आधार पर ‘ख’ पर वाद लाता है। ‘ख’ साबित कर देता है कि 400 रुपये के मूल्यार्थ प्रतिग्रहीत किया गया था और अवशिष्ट के लिए वादी के सौकर्य के लिए परि था। क:
(अ) 500 रुपये वसूल कर सकता है।
(ब) 400 रुपये वसूल कर सकता है।
(स) कुछ नहीं वसूल कर सकता है
(द) उपरोक्त सभी कथन गलत है
53 – वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक की रचना, या उसका प्रतिग्रहण या पृष्ठांकन कब पूर्ण होता है –
(अ) केवल वास्तविक परिदान द्वारा
(ब) केवल आन्वयिक परिदान द्वारा
(स) वास्तविक या आन्वयिक परिदान द्वारा
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
54 – निम्न में से कौन-सा कथन धारा 47 के अनुसार सबसे उपयुक्त है –
वाहक को देय वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक धारा 58 के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए :
(अ) उसके परिदान द्वारा परक्राम्य है।
(ब) उसके पृष्ठांकन द्वारा परक्राम्य है
(स) उसके प्रतिग्रहण द्वारा परक्राम्य है।
(द) उसके भुगतान द्वारा परक्राम्य है
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55 – वाहक को देय परक्राम्य लिखत का धारक ‘क’ उसे ‘ख’ के अभिकर्ता को ‘ख’ के लिए रखने को परिदत्त करता है। इसे क्या कहा जाएगा ?
(अ) लिखत पृष्ठांकित हो गई
(ब) लिखत प्रतिगृहीत हो गई
(स) लिखत परक्राम्य हो गई।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं ।
56 – विधिमान्य पृष्ठांकन की कौन सी आवश्यक शर्ते हैं –
(अ) ऐसा पृष्ठांकन प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा होना चाहिए
(ब) पृष्ठांकन पर पृष्ठांकक के हस्ताक्षर होने चाहिए
(स) पृष्ठांकन के पश्चात् लिखत का परिदान होना चाहिए
(द) उक्त सभी
57 – परक्रामण कौन कर सकेगा यह बताया गया है :
(अ) धारा 50 में
(ब) धारा 51 में
(स) धारा 52 में
(द) धारा 53 में
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58 – परक्रामण कौन कर सकेगा ?
(अ) रचयिता एवं लेखीवाल
(ब) पाने वाला
(स) पृष्ठांकिती
(द) उपरोक्त सभी
59 – विनिमय पत्र ‘क’ को या आदेशानुसार देय लिखा गया है। ‘क’ से ‘ख’ के नाम पृष्ठांकित करता है। पृष्ठांकन में “या आदेशानुसार” शब्द या कोई समतुत्य शब्द अन्तर्विष्ट नहीं है। खः
(अ) लिखत को परक्रामित कर सकेगा
(ब) लिखत को परक्रामित नहीं कर सकेगा
(स) को एक पृथक् विनिमय पत्र ‘क’ से लेना होगा
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
60 – आदेशानुसार देय और मृतक द्वारा पृष्ठांकित किन्तु अपरिदत्त, वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक को मृतक का विधिक प्रतिनिधि :
(अ) केवल परिदान द्वारा परक्रामित कर सकता है।
(ब) केवल परिदान द्वारा परक्रामित नहीं कर सकता
(स) किसी भी प्रकार से परक्रामित कर सकता है।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
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- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
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- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
61 – प्रतिग्रहण के लिए उपस्थापन कौन सी धारा में उल्लिखित है ?
(अ) धारा 61
(ब) धारा 62
(स) धारा 63
(द) धारा 64
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62 – यदि उस विनिमय-पत्र का ऊपरवाल जो प्रतिग्रहण के लिए उसके समक्ष उपस्थापित किया गया है धारक से ऐसी अपक्षा करे तो वह ऊपरवाल को यह विचार करने के लिए कि क्या वह उसे प्रतिगृहीत करेगा, ………. देगा।
(अ) चौबीस घण्टे का समय (लोक अवकाश दिनों का अपवर्जन करके)
(ब) छत्तीस घण्टे का समय (लोक अवकाश दिनों का अपवर्जन करके)
(स) अड़तालीस घण्टे का समय (लोक अवकाश दिनों का अपवर्जन करके)
(द) बहत्तर घण्टे का समय (लोक अवकाश दिनों का अपवर्जन करके)
63 – जहाँ कि वचन-पत्र मांग पर देय है और विनिर्दिष्ट स्थान पर देय नहीं है, वहाँ उसके रचयिता को मारित करने के लिए:
(अ) उपस्थापन आवश्यक है
(ब) कोई उपस्थापन आवश्यक नहीं है
(स) डाकघर के माध्यम से उपस्थापन करना आवश्यक है
(द) उपरोक्त (अ) एवं (स) सही हैं
64 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कौन सी धारा यह उपबंध करती है कि संदाय के लिए उपस्थापन कारबार के प्रायिक समय के दौरान में और यदि वह किसी बैंकार के यहाँ किया जाना है तो बैंककारी कारबार के समय के अन्दर करना होगा ?
(अ) धारा 65
(ब) धारा 66
(स) धारा 67
(द) धारा 68
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65 – यदि परक्राम्य लिखत के रचयिता, लेखीवाल या प्रतिगृहीता का कोई कारबार का ज्ञात स्थान या नियत निवास-स्थान नहीं है और लिखत में प्रतिग्रहणार्थ या संदायार्थ उपस्थापन के लिए कोई स्थान विनिर्दिष्ट नहीं है तो:
(अ) ऐसे में उपस्थापन नहीं कराया जा सकता
(ब) यह आवश्यक है कि समाचार-पत्र में प्रकाशित करके उपस्थापन कराया जाए
(स) ऐसा उपस्थापन स्वयं उसको किसी ऐसे स्थान में किया जा सकेगा जहाँ कहीं वह पाया जा सके
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
66 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 74 यह उपबंध करती है कि मांग पर देय परकाम्य लिखत धारक द्वारा उसे प्राप्त करने के पश्चात्………..… संदाय के लिए उपस्थापित करनी होगी।
(अ) 15 दिन के अंदर
(ब) 30 दिन के अंदर
(स) 6 माह के अंदर
(द) युक्तियुक्त समय के अंदर
67 – जब कि लिखत में ब्याज की कोई दर विनिर्दिष्ट नहीं है तब उस पर शोध्य रकम मद्धे ब्याज की गणना :
(अ) छह प्रतिशत प्रतिवर्ष
(ब) बारह प्रतिशत प्रतिवर्ष
(स) अठारह प्रतिशत प्रतिवर्ष
(द) चौबीस प्रतिशत प्रतिवर्ष
की दर से की जाएगी.
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68 – परक्राम्य लिखत के रचयिता, प्रतिगृहीता या पृष्ठांकक का अपने-अपने दायित्व से उन्मोचन निम्न में किसके द्वारा होता है ?
(अ) रद्दकरण द्वारा
(ब) निर्मुक्ति द्वारा
(स) संदाय द्वारा
(द) उपरोक्त सभी के द्वारा
69 – यदि विनिमय पत्र का धारक ऊपरवाल को यह विचार करने के लिए कि वह उसे प्रतिगृहीत करेगा या नहीं, कितनी अवधि के लिए अनुज्ञात कर देता है तो ऐसी अनुज्ञा से सम्मत न होने वाले सब पूर्विक पक्षकार ऐसे धारक के प्रति दायित्व से तद्वारा उन्मोचित हो जाते हैं ?
(अ) लोक अवकाश दिनों को छोड़कर अड़तालीस घण्टे से अधिक की अवधि
(ब) लोक अवकाश दिनों सहित अड़तालीस घण्टे से अधिक की अवधि
(स) लोक अवकाश दिनों को छोड़कर बहत्तर घण्टे से अधिक की अवधि
(द) लोक अवकाश दिनों सहित बहत्तर घण्टे से अधिक की अवधि
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70 – ‘क’ 1000 रुपये के लिए चैक लिखता है, और जब उपस्थापित किया जाना चाहिए था उस समय बैंक में उसके संदाय के लिए उसका रुपया है । चैक उपस्थापित किए जाने से पूर्व बैंक फेल हो जाता है, तब :
(अ) ‘क’ उन्मोचित नहीं होगा
(ब) ‘क’ उन्मोचित हो जाता है
(स) धारक चैक की रकम के लिए बैंक के विरुद्ध अपना दावा साबित कर सकता है
(द) उपरोक्त (ब) एवं (स) दोनों सही हैं
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -2
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
71 – आदेशानुसार देय ड्राफ्ट जो बैंक की एक शाखा द्वारा दूसरी शाखा पर लिखे जाते हैं, उनके बारे में उपबंध परक्राम्य लिखत अधिनियम की कौन-सी धारा में किया गया है ?
(अ) धारा 85
(ब) धारा 85क
(स) धारा 86
(द) धारा 87
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72 – निम्नलिखित में से कौन-सा परक्राम्य लिखत का ऐसा तात्विक परिवर्तन नहीं समझा जाएगा, जो उसको शून्य बनाता हो अथवा लिखत को ही उन्मोचित करता हो –
(अ) ब्याज दर में परिवर्तन
(ब) वाहक चैक का आदेश में संपरिवर्तिन
(स) अन्क्रास्ड चैक को क्रास करना
(द) एक लिपिकीय त्रुटि को सही करने के उद्देश्य से किया गया परिवर्तन
73 – परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 91 के अनुसार कब विनिमय-पत्र अनादूत कर दिया गया माना जा सकेगा ?
(अ) जहाँ कि ऊपरवाल संविदा करने में अक्षम है
(ब) जहाँ कि प्रतिग्रहण विशेषित है
(स) उपरोक्त (अ) एवं (ब) दोनों
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
74 – अनादर की सूचना निम्न में से कौन सी परिस्थिति में आवश्यक नहीं है:
(अ) जबकि उसके हकदार पक्षकार को उसके दिए जाने से अभिमुक्ति दे दी गई है
(ब) जबकि भारित पक्षकार को कोई नुकसान सूचना के अभाव से नहीं हो सकता था
(स) उस वचन-पत्र के बारे में आवश्यक नहीं है, जो परक्राम्य नहीं है
(द) उपरोक्त सभी परिस्थितियों में आवश्यक नहीं है
Negotiable instrument act
75 – यदि सूचना डाक द्वारा ठीक पते पर भेजी जाती है और गलत जगह चली जाती है तो ऐसी गलत जगह सूचना चली जाने से वह सूचना :
(अ) विधिमान्य नहीं रह जाती
(ब) अविधिमान्य नहीं हो जाती
(स) कोई प्रभाव नहीं रखती
(द) उपरोक्त (अ) एवं (स) दोनों सही हैं
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76 – निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है :
(अ) वह पक्षकार जिसे कि अनादर की सूचना भेजी गई है. मर गया है, किन्तु सुचना भेजने वाले पक्षकार को उसकी मृत्यु की जानकारी नहीं है तब वह सूचना पर्याप्त नहीं मानी जाती
(ब) अनादर की कोई भी सूचना लेखीवाल को भारित करने के लिए तब आवश्यक नहीं है जब कि उसने संदाय प्रत्यादिष्ट कर दिया है
(स) अनादर की कोई भी सूचना लेखीवालों को भारित करने के लिए तब आवश्यक नहीं है जब कि प्रतिगृहीता उसका लेखीवाल भी है
(द) अनादर की कोई भी सूचना तब आवश्यक नहीं है जब कि सूचना का हकदार पक्षकार लिखत पर शोध्य रकम देने का अशर्त वचन तथ्यों को जानते हुए दे देता है
77 – जबकि वचन पत्र या विनिमय पत्र अप्रतिग्रहण या असंदाय द्वारा अनादृत हो गया है, तब धारक ऐसे अनादरण को …….. ………. द्वारा युक्तियुक्त समय के भीतर टिप्पणित और प्रमाणित करा सकेगा।
(अ) नोटरी पब्लिक
(ब) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
(स) कार्यपालक मजिस्ट्रेट
(द) उपरोक्त में से कोई भी
78 – प्रसाक्ष्य की अन्तर्वस्तुओं में सम्मिलित है :
(अ) या तो स्वयं लिखत या लिखत की और जिसके ऊपर लिखी या मुद्रित हर बात की अक्षरशः अनुलिपि
(ब) उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए और जिसके विरुद्ध लिखत प्रसाक्ष्यित की गई है
(स) प्रसाक्ष्य करने वाले नोटरी पब्लिक के हस्ताक्षर
(द) उपरोक्त सभी
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79 – अधिनियम का कौन-सा प्रावधान अभिकथित करता है कि विदेशी विनिमय पत्र अनादर के लिए प्रसाध्यित होंगे, यह ऐसा उस स्थान की विधि द्वारा अपेक्षित है, जहां वे लिखे गए हैं:
(अ) धारा 100
(ब) धारा 102
(स) धारा 104
(द) धारा 103
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80 – परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की कोन सी धारा आदरणार्थ प्रतिग्रहण के संबंध में उपबंध करती है ?
(अ) धारा 106
(ब) धारा 107
(स) धारा 108
(द) धारा 109
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -2
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- Aपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३
81 – प्रतिकर के बारे में नियम कौन सी धारा में उल्लिखित हैं ?
(अ) धारा 116
(ब) धारा 117
(स) धारा 118
(द) धारा 119
82 – धारा 118 में वर्णित उपधारणाओं में निम्न में से कौन-सी उपधारणा सम्मिलित नहीं है ?
(अ) यह कि ऐसी हर परक्राम्य लिखत जिस पर तारीख पड़ी है, ऐसी तारीख को रचित या लिखी गई
(ब) यह कि ऐसी परक्राम्य लिखत पर हस्ताक्षर उसे जारी करने वाले के ही हैं
(स) यह कि परक्राम्य लिखत का हर अन्तरण उसकी परिपक्वता के पूर्व किया गया था
(द) यह कि खोया गया वचन-पत्र, विनिमय-पत्र या चैक सम्यक् रूप से स्टाम्पित था
83 – अधिनियम की धारा 118 के अन्तर्गत उपधारणों में सम्मिलित नहीं है:
(अ) चैक के धारक ने वह किसी ऋण अथवा अन्य दायित्व के उन्मोचन के लिए प्राप्त किया है
(ब) प्रतिग्रहण के समय के बारे में
(स) तारीख के बारे में
(द) पृष्ठांकनों के क्रम के बारे में
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84 – निम्नलिखित में से कौन से प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि अधिनियम की धारा 118 (क) और 139 के अन्तर्गत सांविधिक उपधारणाओं का खण्डन करने के लिए परिवादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य पर निर्भर किया जा सकता है –
(अ) प्रेमचंद विजयकुमार वि. यशपालसिंह
(ब) के. भास्करन वि. शंकरन वैद्यन बालन
(स) गोआ प्लास्ट लिमिटेड वि. चिको उर्मूला डिसूजा
(द) एम.एस. नारायण मेनन वि. केरल राज्य
85 – जबकि किसी चैक पर केवल दो समानान्तर आड़ी रेखाएँ “परक्राम्य नहीं है” शब्दों के सहित या बिना हों, तो ऐसा चैक समझा जाएगा :
(अ) साधारणतः क्रॉस किया हुआ चैक
(ब) विशेषत: क्रॉस किया हुआ चैक
(स) उपरोक्त (अ) अथवा (ब) दोनों में से कोई भी
(द) न तो (अ) और न (ब)
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86 – निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है :
(अ) जहाँ कि चैक क्रॉस किया हुआ नहीं है वहाँ धारक उसे साधारणत: या विशेषतः क्रॉस कर सकेगा
(ब) जहाँ कि चैक साधारणत: क्रॉस किया हुआ है वहाँ धारक उसे विशेषतः क्रॉस नहीं कर सकता
(स) जहाँ कि चैक साधारणत: या विशेषतः क्रॉस किया हुआ है वहाँ धारक उसमें “परक्राम्य नहीं है” शब्द बढ़ा सकेगा
(द) जहाँ कि चैक विशेषत: क्रॉस किया हुआ है वहाँ वह बैंकार जिसके पक्ष में वह क्रॉस किया हुआ है, उसे संग्रह करने के लिए अपने अभिकर्ता के रूप में दूसरे बैंकार के पक्ष में पुन: विशेषतः क्रॉस कर सकेगा
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87- निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है ?
अध्याय 14 के उपबंध ड्राफ्ट को ऐसे लागू होंगे :
(अ) मानो ड्राफ्ट चैक हो
(ब) मानो ड्राफ्ट विनिमय-पत्र हो
(स) मानो ड्राफ्ट वचन-पत्र हो
(द) मानो ड्राफ्ट चैक, विनिमय-पत्र या वचन-पत्र हो
88 – लेखों में जमा राशि अपर्याप्त होने आदि के कारण चैकों का अनादृत हो जाना कौन-सी धारा के अधीन दण्डनीय है?
(अ) धारा 135
(ब) धारा 136
(स) धारा 137
(द) धारा 138
89 – धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम सम्बन्धित है:
(अ) चैक के अमान्य होने पर दण्ड
(ब) धारक के अधिकार
(स) सम्यक् अनुक्रम धारक के अधिकारों से
(द) उपरोक्त कोई भी नहीं
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90 – धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम के अधीन कितने दण्ड का प्रावधान किया गया है ?
(अ) एक वर्ष का कारावास अथवा उतनी राशि का जुर्माना जो चैक की राशि से दुगुनी हो सकेगी अथवा दोनों
(ब) दो वर्ष का कारावास अथवा उतनी राशि का जुर्माना जो चैक की राशि से दुगुनी हो सकेगी अथवा दोनों
(स) तीन वर्ष का कारावास अथवा उतनी राशि का जुर्माना जो चैक की राशि से दुगुनी हो सकेगी अथवा दोनों
(द) पाँच वर्ष का कारावास अथवा उतनी राशि का जर्माना जो चैक की राशि से दुगुनी हो सकेगी अथवा दोनों
91 – धारा 138 के प्रावधान तभी लागू होते हैं जबकि चैक बैंक में पेश नहीं कर दिया जाता :
(अ) चैक जारी होने की तिथि से छ: मास के अन्दर
(ब) चैक के विधिमान्य रहने की अवधि के अन्दर
(स) जारी होने की तिथि से एक वर्ष के अन्दर
(द) उपरोक्त (अ) अथवा (ब)
92 – चैक के अधीन राशि पाने वाला अथवा सामान्य अनुक्रम में चैक का धारक, यथास्थिति, बैंक से चैक के अनादूत होकर लौटने की जानकारी प्राप्त होने की तिथि से कितनी अवधि के अन्दर चैक के लेखीवाल को लिखित में सूचना-पत्र देने के द्वारा उक्त धनराशि का संदाय करने के लिए मांग करेगा ?
(अ) सात दिन के अन्दर
(ब) पन्द्रह दिन के अन्दर
(स) तीस दिन के अन्दर
(द) साठ दिन के अन्दर
93 – लेखीवाल को सूचना की प्राप्ति के कितने दिन के अन्दर अनादरित चैक की राशि का संदाय करना होता है ?
(अ) सात दिन के अन्दर
(ब) पन्द्रह दिन के अन्दर
(स) तीस दिन के अन्दर
(द) साठ दिन के अन्दर
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94 – सट्टा लगाने हेतु लिये गये ऋण को चुकाने में दिया गया चैक अनादूत होने पर अभियोजन –
(अ) धारा 138 एन.आई.ए. के अन्तर्गत हो सकेगा
(ब) धारा 138 एन.आई.ए. के अन्तर्गत नहीं हो सकेगा
(स) द्यूत अधिनियम के अंतर्गत हो सकेगा
(द) संविदा विधि के प्रावधान आकर्षित होंगे
95 – धारा 139 के अधीन किसके पक्ष में उपधारणा की जाती है ?
(अ) पाने वाले के पक्ष में
(ब) लेखीवाल के पक्ष में
(स) धारक के पक्ष में
(द) ऊपरवाल के पक्ष में
96 – ऐसी कम्पनियां जिनके निदेशक धारा 138 एन.आई.ए. के अतर्गत अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं है –
(अ) प्राईवेट कम्पनी
(ब) बहुराष्ट्रीय कम्पनी
(स) सरकारी कम्पनी
(द) ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
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97 – बीएचएल भोपाल के द्वारा जारी किया गया चैक अनादूत होने की दशा में उक्त कम्पनी के केंद्र सरकार के द्वारा नियुक्त निदेशक के विरुद्ध प्राईवेट परिवाद –
(अ) प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के यहाँ प्रस्तुत नहीं होगा
(ब) सत्र न्यायालय में प्रचलन योग्य है
(स) धारा 197 सी.आर.पी.सी. की अनुमति के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिये
(द) ऐसे निदेशक के विरुद्ध प्रचलन योग्य नहीं है।
98 – धारा 141 एन.आई.ए. में संशोधन किया गया –
(अ) परक्राम्य लिखत (संशोधन और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम 2000 द्वारा
(ब) परक्राम्य लिखत (संशोधन और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम 2001 द्वारा
(स) परक्राम्य लिखत (संशोधन और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम 2002 द्वारा
(द) परक्राम्य लिखत (संशोधन और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम 2003 द्वारा
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99 – अध्याय 17 के अंतर्गत सभी अपराधों का विचारण किसके द्वारा किया जाएगा?
(अ) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा
(ब) मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा
(स) कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा
(द) उपरोक्त (अ) अथवा (ब) द्वारा
100 – धारा 143 (3) के अनुसार विचारण का निष्कर्ष निकालने का प्रयास कितनी अवधि के अंदर किया जाएगा?
(अ) 30 दिन के अंदर
(ब) 60 दिन के अंदर
(स) 6 माह के अंदर
(द) 9 माह के अंदर
101 – परक्राम्य लिखत अधिनियम के अधीन प्रत्येक अपराध :
(अ) शमनीय होगा
(ब) अशमनीय होगा
(स) केवल न्यायालय की अनुमति से शमनीय होगा
(द) शमनीय या अशमनीय होना न्यायालय के विवेक पर निर्भर होगा
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102 – वचन पत्र के सम्बन्ध में निम्न में सत्य कथन छांटिये –
(अ) वचन पत्र का मौखिक समनुदेशन मान्य है ।
(ब) वचन पत्र का मौखिक समनुदेशन मान्य नहीं है
(स) वचन पत्र समनुदेशन के योग्य नहीं
(द) उक्त सभी असत्य हैं।
103. धारा 91 (अप्रतिग्रहण द्वारा अनादर) सम्बन्धी उपबन्ध निम्न में से किस पर लागू होते हैं –
(अ) दर्शन पर देय विनिमय पत्र
(ब) मांग पर देय विनिमय पत्र
(स) उक्त दोनों पर
(द) उक्त किसी पर नहीं
104 – जहाँ कि प्रतिग्रहण यह अभिव्यक्त नहीं करता कि वह किसके आदरणार्थ किया गया है वहाँ वह निम्न के आदरणार्थ किया गया समझा जाएगा –
(अ) लेखीवाल
(ब) जिकरीवाल
(स) ऊपरवाल
(द) उक्त सभी
105 – वचन पत्र, विनिमय पत्र या चैक के अनादृत हो जाने पर धारक के प्रतिकर प्राप्त करने में निम्न में से क्या शामिल है –
(अ) देय रकम
(ब) मूल धन पर ब्याज
(स) उपस्थापित, टिप्पणित, प्रसाक्ष्यित कराने के व्यय
(द) उक्त सभी
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -1
- भारतीय दंड संहिता 100 वस्तुनिष्ट प्रश्न भाग -2
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – १
- अपरिसीमा अधिनियम 1963 भाग – २
- परिसीमा अधिनियम 1963 भाग – ३