इस आर्टिकल में मै आपको “ भारतीय वन अधिनियम की क़ानूनी धाराएं | Indian Forest act Section list ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय वन अधिनियम की क़ानूनी धाराएं | Indian Forest act Section list
अध्याय 1
प्रारम्भिक
- 1 – संक्षिप्त नाम और विस्तार
- 2 – निर्वचन खण्ड
अध्याय 2
आरक्षित वनों के सम्बन्ध में
- 3 – वनों को आरक्षित करने की शक्ति
- 4 – राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना
- 5 – वन अधिकारों के प्रोद्भूत होने का वर्जन
- 6 – वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा उद्घोषणा
- 7 – वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा जांच
- 8 – वन व्यवस्थापन अधिकारी की शक्तियां
- 9 – अधिकारों का निर्वापन
- 10 – स्थानान्तरी खेती की पद्धति सम्बन्धी दावों से बरतना
- 11 – ऐसी भूमि को अर्जित करने की शक्ति जिस पर अधिकार का दावा किया गया है
- 12 – चरागाह या वन–उपज पर के अधिकारों के दावों पर आदेश
- 13 – वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा तैयार किए जाने वाले अभिलेख
- 14 – जहां वह दावा मंजूर करता है वहां अभिलेख
- 15 – मंजूर किए गए अधिकारों का प्रयोग
- 16 – अधिकारों का रूपांतरण
- 17 – धारा 11, धारा 12, धारा 15 या धारा 16 के अधीन पारित आदेश के विरुद्ध अपील
- 18 – धारा 17 के अधीन अपील
- 19 – प्लीडर
- 20 – वन को आरक्षित वन घोषित करने की अधिसूचना
- 21 – ऐसी अधिसूचना के अनुवाद का वन के आसपास में प्रकाशन
- 22 – धारा 15 या 18 के अधीन किए गए प्रबन्ध का पुनरीक्षण करने की शक्ति
- 23 – आरक्षित वन में कोई अधिकार इसमें उपबंधित के अनुसार अर्जित होने के सिवाय अर्जित नहीं होगा
- 24 – मंजूरी के बिना अधिकारों का अन्य-संक्रामण न किया जाएगा
- 25 – आरक्षित वनों में के पथों और जलमार्गों को बन्द करने की शक्ति
- 26 – ऐसे वनों में प्रतिषिद्ध कार्य
- 27 – यह घोषित करने की शक्ति कि वन आरक्षित वन नहीं रहा है
अध्याय 3
ग्राम वनों के सम्बन्ध में
अध्याय 4
संरक्षित वनों के सम्बन्ध में
- 29 – संरक्षित वन
- 30 – वृक्ष आदि को आरक्षित करने की अधिसूचना निकालने की शक्ति
- 31 – ऐसी अधिसूचना के अनुवाद का आसपास में प्रकाशन
- 32 – संरक्षित वनों के बारे में नियम बनाने की शक्ति
- 33 – धारा 30 के अधीन अधिसूचना या धारा 32 के अधीन वाले नियमों के उल्लंघन में किए गए कार्यों के लिए शास्तियां
- 34 – इस अध्याय की कोई बात कतिपय मामलों में किए गए कार्यों का प्रतिषेध नहीं करेगी
अध्याय 5
जो वन और भूमियां सरकार की सम्पत्ति नहीं हैं उन पर नियन्त्रण के सम्बन्ध में
- 35 – विशेष प्रयोजनों के लिए वनों का संरक्षण
- 36 – वनों का प्रबन्ध संभालने की शक्ति
- 37 – कुछ अवस्थाओं में वनों का स्वत्वहरण
- 38 –स्वामियों की प्रार्थना पर वनों का संरक्षण
अध्याय 6
इमारती लकड़ी और अन्य वन–उपज पर शुल्क के सम्बन्ध में
- 39 – इमारती लकड़ी और अन्य वन–उपज पर शुल्क अधिरोपित करने की शक्ति
- 40 – सीमा सम्बन्धी उपबन्ध क्रय–धन या स्वामिस्व के सम्बन्ध में लागू नहीं होगा
अध्याय 7
अभिवहन के दौरान इमारती लकड़ी और वन–उपज के नियंत्रण के सम्बन्ध में
- 41 – वन–उपज के अभिवहन को विनियमित करने के लिए नियम बनाने की शक्ति
- 41aसीमाशुल्क सीमान्तों के पार इमारती लकड़ी के स्थानान्तरण विषयक केन्द्रीय सरकार की शक्तियां
- 42 – धारा 41 के अधीन बनाए गए नियमों के भंग के लिए शास्ति
- 43 –डिपो में रखी वन–उपज को हुए नुकसान के लिए सरकार या वन अधिकारी उत्तरदायी नहीं होंगे
- 44 – डिपो पर दुर्घटना की अवस्था में सब व्यक्ति सहायता करने के लिए आबद्ध होंगे
अध्याय 8
बहती हुई और अटकी हुई इमारती लकड़ी के संग्रहण के सम्बन्ध में
- 45कतिपय प्रकार की इमारती लकड़ी, जब तक कि उसके बारे में हक साबित नहीं कर दिया जाता, सरकार की सम्पत्ति समझी जाएगी और तदनुसार संगृहीत की जा सकेगी
- 46 – बहती हुई इमारती लकड़ी के दावेदारों को सूचना
- 47 – ऐसी इमारती लकड़ी पर किए गए दावे के बारे में प्रक्रिया
- 48 – जिसका दावा नहीं किया गया उस इमारती लकड़ी का व्ययन
- 49 – ऐसी इमारती लकड़ी को हुए नुकसान के लिए सरकार और उसके अधिकारी उत्तरदायी नहीं होंगे
- 50 – इमारती लकड़ी के परिदान के पूर्व दावेदार द्वारा की जाने वाली अदायगी
- 51 – नियम बनाने और शास्तियां विहित करने की शक्ति
अध्याय 9
शास्तियां और प्रक्रिया
- 52 – अधिहरणीय सम्पत्ति का अभिग्रहण
- 53 – धारा 52 के अधीन अभिगृहीत सम्पत्ति को निर्मुक्त करने की शक्ति
- 54 – तदुपरि प्रक्रिया
- 55 – वन–उपज, औजार आदि कब अधिहरणीय होंगे
- 56 – वन–अपराध के लिए हुए विचारण की समाप्ति पर, उस वन–उपज का व्ययन जिसके सम्बन्ध में यह अपराध हुआ है
- 57 – जब अपराधी अज्ञात है, या पाया न जा सके, तब प्रक्रिया
- 58 – धारा 52 के अधीन अभिगृहीत विनश्वर सम्पत्ति विषयक प्रक्रिया
- 59 – धारा 55, धारा 56 या धारा 57 के अधीन आदेशों की अपील
- 60 – सम्पत्ति कब सरकार में निहित होगी
- 61 – अभिगृहीत सम्पत्ति को निर्मुक्त करने की शक्ति की व्यावृत्ति
- 62 – दोषपूर्ण अभिग्रहण के लिए दण्ड
- 63वृक्षों और इमारती लकड़ी पर चिह्नों के कूटकरण करने और उन्हें विरूपित करने और सीमा चिह्नों को बदलने के लिए शास्ति
- 64 – वारंट के बिना गिरफ्तार करने की शक्ति
- 65 – किसी गिरफ्तार व्यक्ति को बन्ध–पत्र पर निर्मुक्त करने की शक्ति
- 66 – अपराधों का किया जाना निवारित करने की शक्ति
- 67 – अपराधों का संक्षिप्ततः विचारण करने की शक्ति
- 68 – अपराधों का शमन करने की शक्ति
- 69 – यह उपधारणा कि वन–उपज सरकार की है
अध्याय 10
पशु अतिचार
अध्याय 11
वन अधिकारियों के सम्बन्ध में
- 72 – राज्य सरकार वन अधिकारियों में कतिपय शक्तियां विनिहित कर सकेगी
- 73 – वन अधिकारियों को लोक सेवक समझा जाएगा
- 74 – सद्भावपूर्वक किए गए कार्यों के लिए परित्राण
- 75 – वन अधिकारी व्यापार नहीं करेंगे
अध्याय 12
समनुषंगी नियम
- 76 – नियम बनाने की अतिरिक्त शक्तियां
- 77 – नियमों के भंग के लिए शास्तियां
- 78 – नियमों को कब विधि का बल प्राप्त होता है
अध्याय 13
प्रकीर्ण
- 79 – वन अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को सहायता देने के लिए आबद्ध व्यक्ति
- 80 – उन वनों का प्रबन्ध जो सरकार और अन्य व्यक्तियों की संयुक्त सम्पत्ति है
- 81ऐसी सेवा करने में असफलता जिसके लिए सरकारी वन में की उपज के किसी अंश का उपभोग किया जाता है
- 82 – सरकार को शोध्य धन की वसूली
- 83 – ऐसे धन के लिए वन–उपज पर धारणाधिकार
- 84इस अधिनियम के अधीन अपेक्षित भूमि की बाबत यह समझा जाना कि उसकी आवश्यकता भूमि अर्जन अधिनियम, 1894 के अधीन लोक प्रयोजन के लिए है
- 85 – बन्धपत्र के अधीन शोध्य शास्तियों की वसूली
- 85a – केन्द्रीय सरकार के अधिकारों के लिए व्यावृत्ति
- 86 – निरसन
भारतीय वन अधिनियम 1927
Indian Forest Act 1927
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