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नागरिकों के मूल कर्तव्य | Fundamental duties Hindi

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इस आर्टिकल में मै आपको “ नागरिकों के मूल कर्तव्य | Fundamental duties Hindi “, के बारे में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा ।

नागरिकों के मूल कर्तव्य | What are the fundamentals duties of the citizen of India?

भारत के संविधान में मूल अधिकारों के साथ मूल कर्तव्‍यों ( मौलिक कर्तव्‍यों ) को भी शामिल किया गया है। वस्‍तुत: अधिकार और कर्तव्‍य एक-दूसरे के पूरक हैं।

अधिकार विहीन कर्तव्‍य निरर्थक होते हैं जबकि कर्तव्‍य विहीन अधिकार निरंकुशता पैदा करते हैं।

यदि व्‍यक्ति को ‘गरिमापूर्ण जीवन’ का अधिकार प्राप्‍त है तो उसका कर्तव्‍य बनता है कि वह अन्‍य व्‍यक्तियों के गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार का भी ख्‍याल रखे।

यदि व्‍यक्ति को ‘अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता’ प्‍यारी है तो यह भी जरूरी है कि उसमें दूसरों की ‘अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता’ के प्रति धैर्य और सहिष्‍णुता विद्यमान हो ।

मूल कर्तव्य कब शामिल किए गए | When were the Fundamental duties included

भारतीय संविधान में भी प्रारंभ में मूल कर्तव्‍य शामिल नहीं थे , इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्‍व काल में 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई थी।

तभी सरदार स्‍वर्ण सिंह के नेतृत्‍व में संविधान में उपयुक्‍त संशोधन सुझाने के लिये एक समिति का गठन किया गया था।

इस समिति में यह सुझाव दिया कि संविधान में मूल अधिकारों के साथ-साथ मूल कर्तव्‍यों का समावेश होना चाहिए।

समिति का तर्क यह था कि भारत में अधिकांश लोग अधिकारों पर बल देते हैं, यह नहीं समझते कि हर अधिकार किसी न किसी कर्तव्‍य के सापेक्ष होता है।

स्‍वर्ण सिंह समिति की अनुशंसाओं के आधार पर ‘42वें संशोधन अधिनियम 1976’ के द्वारा संविधान के भाग-4 के पश्‍चात् भाग – 4क अंत:स्‍थापित किया गया और उसके भीतर अनुच्‍छेद 51क को रखते हुए 10 मूल कर्तव्‍यों की सूची प्रस्‍तुत की गई।

आगे चलकर ‘86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002’ के माध्‍यम से एक और मूल कर्तव्‍य जोड़ा गया।

जिसके तहत 6-14 वर्ष की आयु के बच्‍चों के माता-पिता और संरक्षकों पर यह कर्तव्‍य आरोपित किया गया है कि वे अपने बच्‍चे अथवा प्रतिपाल्‍य को शिक्षा प्राप्‍त करने का अवसर प्रदान करेंगे।

भारतीय संविधान में कितने मूल कर्तव्य है | How many basic duties are there in Indian constitution

वर्तमान में संविधान के भाग 4क तथा अनुच्‍छेद-51क के अनुसार भारत के प्रत्‍येक नागरिक के कुल 11 मूल कर्तव्‍य हैं।

मूल कर्तव्य कहाँ से लिया गया | Where was the original duty taken from?

सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन (1976 ई)० के द्वारा मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया. इसे रूस के संविधान से लिया गया है.

नागरिकों के मूल कर्तव्य क्या है | What are the 11 fundamental duties

भारत के प्रत्‍येक नागरिक का यह कर्तव्‍य होगा कि वह-

१ – संविधान का पालन करे , और उसके आदर्शों, संस्‍थाओं, राष्‍ट्रध्‍वज और राष्‍ट्रगान का आदर करें।

२ – स्‍वतंत्रता के लिये हमारे राष्‍ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्‍च आदर्शों को ह्दय में संजोए रखे पालन करें।

३ – भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्‍ण रखे।

४ – देश की रक्षा करें और आवाहन किए जाने पर राष्‍ट्र की सेवा करें।

५ – भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्‍व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्‍याग करे जो स्त्रियों के सम्‍मान के विरूद्ध हैं।

६ – हमारी सामासिक संस्‍कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्‍व समझे और उसका परिरक्षण करें।

७ – प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्‍य जीव हैं, रक्षा करे और उसका सवर्द्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे।

८ – वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।

९ – सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे।

१० – व्‍यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्‍कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्‍ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्‍न से उपलब्धि की नई ऊॅचाइयों को छू ले।

११ – यदि माता-पिता या संरक्षक हों, छ: से चौदह वर्ष के बीच की आयु के यथास्थिति, अपने बच्‍चे अथवा प्रतिपाल्‍य को शिक्षा प्राप्‍त करने के अवसर प्रदान करे।

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