Home ALL POST दहेज़ क्या है जानिए | Dahej pratha par indian kanoon

दहेज़ क्या है जानिए | Dahej pratha par indian kanoon

4240
0

दहेज़ क्या है जानिए | Dahej pratha par indian kanoon

Dahej pratha par indian kanoon

इस आर्टिकल में मै आपको दहेज़ निषेध अधिनियम 1961 की बहुत ही महत्वपूर्ण धारा 2 के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ . आशा करता हूँ की मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा .तो चलिए जान लेते हैं की-

दहेज़ निषेध अधिनियम 1961 के महत्वपूर्ण प्रावधान

दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 को दहेज़ (निषेध) अधिनियम संशोधन अधिनियम 1984 और 1986 के तौर पर संशोधित किया गया जिसमें दहेज़ को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया है:-

“दहेज़” का अर्थ है प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर दी गयी कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति सुरक्षा या उसे देने की सहमति”:-

विवाह के एक पक्ष के द्वारा विवाह के दूसरे पक्ष को; याविवाह के किसी पक्ष के अभिभावकों द्वारा; याविवाह के किसी पक्ष के किसी व्यक्ति के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को;शादी के वक्त, या उससे पहले या उसके बाद कभी भी जो कि उपरोक्त पक्षों से संबंधित हो जिसमें मेहर की रकम सम्मिलित नहीं की जाती, अगर व्यक्ति पर मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) लागू होता हो।

Dahej pratha par indian kanoon

इस प्रकार दहेज़ से संबंधित तीन स्थितियां हैं-

1 – विवाह से पूर्व

2 – विवाह के अवसर पर

3 – विवाह के बाद

दहेज़ लेने और देने या दहेज लेने और देने के लिए उकसाने पर या तो 6 महीने का अधिकतम कारावास है या 5000 रूपये तक का जुर्माना अदा करना पड़ता है।

वधु के माता-पिता या अभिभावकों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दहेज़ की मांग करने पर भी यही सजा दी जाती है।

बाद में संशोधन अधिनियम के द्वारा इन सजाओं को भी बढाकर न्यूनतम 6 महीने और अधिकतम दस साल की कैद की सजा तय कर दी गयी है।

वहीँ जुर्माने की रकम को बढ़ाकर 10,000 रूपये या ली गयी, दी गयी या मांगी गयी दहेज की रकम, दोनों में से जो भी अधिक हो, के बराबर कर दिया गया है।

हालाँकि अदालत ने न्यूनतम सजा को कम करने का फैसला किया है लेकिन ऐसा करने के लिए अदालत को जरूरी और विशेष कारणों की आवश्यकता होती है (दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4)।

Dahej pratha par indian kanoon

निचे दी हुई निम्न बातें दंडनीय है-

दहेज़ देना दहेज़ लेना दहेज़ लेने और देने के लिए उकसाना वधु के माता-पिता या अभिभावकों से सीधे या परोक्ष तौर पर दहेज़ की मांग

(दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4)

दहेज़ के लेन और देन के सम्बन्ध में सारे समझौते बेकार हैं और इन्हें कोई भी विधि अदालत लागू नहीं कर सकती है।

वधु के अलावा अगर किसी व्यक्ति को दहेज़ मिलता है तो उसे वधु के खाते में तीन महीने के अन्दर रसीद समेत जमा करना होगा।

अगर वधु नाबालिग है तो उसके बालिग़ होने के तीन महीने के अन्दर संपत्ति को हस्तांतरित करना होगा।

अगर वधु की इस प्रकार के हस्तांतरण से पहले मृत्यु हो जाती है तो उसके उत्तराधिकारियों को उक्त समान शर्तों के तहत दहेज़ को हस्तांतरित करना होगा।

ऐसा नहीं कर पाने की दशा में दहेज़ अधिनियम के तहत यह दंडनीय अपराध होगा और किसी भी सूरत में अदालत को नियत न्यूनतम सजा से कम दंड देने का अधिकार नहीं होगा।

दहेज़ के मुक़दमे पर निर्णय लेने का क्षेत्राधिकार मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को ही है।

Dahej pratha par indian kanoon

दहेज़ के अपराध का संज्ञान या तो मजिस्ट्रेट खुद ले सकता है या वह पुलिस रिपोर्ट में दर्ज तथ्यों जिनसे अपराध का पता चलता है, के आधार पर या ऐसे व्यक्ति के माता-पिता या अन्य रिश्तेदार द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर या मान्यताप्राप्त कल्याणकारी संस्थान या संगठन के द्वारा दर्ज कराई गयी शिकायत के आधार पर संज्ञान ले सकता है।

आमतौर पर लड़की वाले शिकायत दर्ज करने में हिचकते हैं, इसलिए कल्याणकारी संस्थाओं द्वारा दर्ज शिकायतों को मान्यता मिलने से इस अधिनियम की संभावनाएं व्यापक हुई हैं।

मुख्य विधि में मौजूद कमियों को दूर करने के लिए दहेज़ निषेध अधिनियम में संशोधन किये गये।

महिला एवम बाल विकास मंत्रालय दहेज निषेध अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों में और बदलाव करना चाह रही है ताकि दहेज़ निषेध कानूनों को और अधिक धारदार बनाया जा सके।

2009 में राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस अधिनियम में कुछ परिवर्तन प्रस्तावित किये थे। इन सिफारिशों पर एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में विचार-विमर्श किया गया और विधि एवम न्याय मंत्रालय के परामर्श से दहेज़ निषेध (संशोधन) विधेयक 2010 की रूपरेखा तैयार की गयी।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के लिए नियुक्त किये गए सुरक्षा अधिकारियों को दहेज़ सुरक्षा अधिकारियों के दायित्व भी निभाने के लिए अधिकृत किया जाए।

महिला जहाँ कहीं भी स्थायी या अस्थायी तौर पर रह रही है वहीँ से दहेज की शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी जाए।

Dahej pratha par indian kanoon

दहेज़ देने के लिए कम सजा और दहेज़ लेने के लिए अधिक दंड की व्यवस्था की जाए क्योंकि अक्सर लड़की के माता-पिता अपनी मर्जी के खिलाफ दहेज़ देने के लिए मजबूर किये जाते हैं। और उनके लिए भी समान दंड की व्यवस्था की जाए जो लड़कीवालों को शिकायत करने के लिए हतोत्साहित करते हैं।

स्वैच्छिक तौर पर दिए गये “उपहारों” और दबाव या मजबूरी में आकर दिए गये तोहफों में साफ़ अंतर किया जाना चाहिए।

दंपत्ति के लिए शपथ पत्र के प्रपत्र में विवाह के सम्बन्ध में आदान-प्रदान किये गए उपहारों की सूची बनाई जाए और दहेज़ निषेध अधिकारी के द्वारा सूची को नोटरी द्वारा प्रमाणित किया जाए।

उपरोक्त सम्बन्ध में गैर-अनुपालन वर, वधु और उनके माता-पिता के लिए दंडनीय अपराध होगा।

Dahej pratha par indian kanoon

अधिनियम से जुडी प्रमुख धाराएँ

धारा 2 – 

दहेज का मतलब है कोई सम्पति या बहुमूल्य प्रतिभूति देना या देने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप सेः

(क) विवाह के एक पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार को; या

(ख) विवाह के किसी पक्षकार के

अविभावक या दूसरे व्यक्ति द्वारा विवाह के किसी पक्षकार को विवाह के समय या पहले या बाद देने या देने के लिए सहमत होना। लेकिन जिन पर मुस्लिम विधि लागू होती है उनके संबंध में महर दहेज में शामिल नहीं होगा।

 

धारा-3 –

दहेज लेने या देने का अपराध करने वाले को कम से कम पाँच वर्ष के कारावास साथ में कम से कम पन्द्रह हजार रूपये या उतनी राशि जितनी कीमत उपहार की हो, इनमें से जो भी ज्यादा हो, के जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

लेकिन शादी के समय वर या वधू को जो उपहार दिया जाएगा और उसे नियमानुसार सूची में अंकित किया जाएगा वह दहेज की परिभाषा से बाहर होगा।

Dahej pratha par indian kanoon

धारा 4 –

दहेज की मांग के लिए जुर्माना-

यदि किसी पक्षकार के माता पिता, अभिभावक या रिश्तेदार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दहेज की मांग करते हैं तो उन्हें कम से कम छः मास और अधिकतम दो वर्षों के कारावास की सजा और दस हजार रूपये तक जुर्माना हो सकता है।

 

धारा 4ए –

किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रकाशन या मिडिया के माध्यम से पुत्र-पुत्री के शादी के एवज में व्यवसाय या सम्पत्ति या हिस्से का कोई प्रस्ताव भी दहेज की श्रेणी में आता है और उसे भी कम से कम छह मास और अधिकतम पाँच वर्ष के कारावास की सजा तथा पंद्रह हजार रूपये तक जुर्माना हो सकता है।

Dahej pratha par indian kanoon

धारा 6 –

यदि कोई दहेज विवाहिता के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति द्वारा धारण किया जाता है तो दहेज प्राप्त करने के तीन माह के भीतर या औरत के नाबालिग होने की स्थिति में उसके बालिग होने के एक वर्ष के भीतर उसे अंतरित कर देगा। यदि महिला की मृत्यु हो गयी हो और संतान नहीं हो तो अविभावक को दहेज अन्तरण किया जाएगा और यदि संतान है तो संतान को अन्तरण किया जाएगा।

 

धारा 8-A –

यदि घटना से एक वर्ष के अन्दर शिकायत की गयी हो तो न्यायालय पुलिस रिपोर्ट या क्षुब्ध द्वारा शिकायत किये जाने पर अपराध का संज्ञान ले सकेगा।

 

धारा 8-B –

दहेज निषेध पदाधिकारी की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी जो बनाये गये नियमों का अनुपालन कराने या दहेज की मांग के लिए उकसाने या लेने से रोकने या अपराध कारित करने से संबंधित साक्ष्य जुटाने का कार्य करेगा।

 Madhyprdesh ki nadiya | मध्यप्रदेश की नदिया

BUY

 Madhyprdesh ki nadiya | मध्यप्रदेश की नदिया

BUY

 
 
 
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here