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क्षतिपूर्ति की संविदा | Contract of indemnity hindi

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क्षतिपूर्ति की संविदा | Contract of indemnity hindi

Contract of indemnity hindi

आज के इस आर्टिकल में मै आपको भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 124 क्षतिपूर्ति की संविदा के बारे में बताने जा रहा हूँ , आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा .

क्षतिपूर्ति की संविदा – भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 124 के अनुसार-

क्षतिपूर्ति की संविदा एक ऐसी संविदा होती है जिसमे एक पक्षकार दुसरे पक्षकार कप –

१ – स्वयं वाचंदाता के आचरण से , या

२ – किसी अन्य व्यक्ति के आचरण से

उस दुसरे पक्षकार को बचने का वचन देता है . क्षतिपूर्ति की संविदा कहलाती है .

उदहारण –

१ – बीमा की संविदाएं क्षतिपूर्ति की संविदा हैं .

२ – “क” ऐसी कार्यवाहीं के परिणामो के लिए , जो “ग” 200 रुपये की अमुक राशी के सम्बन्ध में “ख” के विरुद्ध चलाये , “ख” की क्षतिपूर्तिकरने की संविदा करता है .यह क्षतिपूर्ति की संविदा है .

वैध क्षतिपूर्ति की संविदा के आवश्यक तत्व

 १ – Contract of Indemnity में विधिमान्य संविदा के सभी आवश्यक तत्व विद्यमान रहते हैं –

(¡) दो पक्षकार
(¡¡) प्रस्थापना
(¡¡¡) स्वीकृति
(iv) स्वतंत्र सम्मति
(v) प्रतिफल आदि।

१ -इसमें एक पक्षकार द्वारा दूसरे को कुछ हानियों से बचाने का वचन दिया जाता है।

क – इसमें मुख्यतया दो पक्षकार होते हैं
(¡) क्षतिपूर्तिकर्ता (Indemnifier)
(¡¡) क्षतिपूर्तिधारी (Indemnified)

ख – क्षतिपूर्ति की संविदा समाश्रित संविदा होती है।

ग – यह सदविश्वास पर आधारित होती है।

घ  -इसमें क्षतिपूर्तिधारी वास्तविक क्षति की पूर्ति कराने का हकदार होता है न कि अनुबंधित संपूर्ण राशि पाने का।

क्षतिपूर्ति के अधिकार जब उस पर वाद लाया जाये

भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 125 के अनुसार- क्षतिपूर्ति कि संविदा का वचनग्रहीता , अपने प्राधिकार के क्षेत्र के भीतर कार्य करता हुआ , वचनदाता से निम्नलिखित वसूल करने का हकदार है –

१ – वह सब नुकसानी , जिसके संदाय के लिए वह ऐसे किसी वाद में विवश किया जाये , जो किसी ऐसी बात के बारे में हो ; जिसे क्षतिपूर्ति करने का वह वचन लागु हो ;

२ – वे सब खर्चे , जिनको देने के लिए किसी वाद में विवश किया जाये , यदि वह वाद लाने या प्रतिरक्षा करने में उसने वचनदाता के आदेशो का उलंग्घन न किया हो और इस प्रकार कार्य किया हो , जिस प्रकार कार्य करना क्षतिपूर्ति की किसी संविदा के आभाव में उसके लिए प्रज्ञायुक्त होता , अथवा यदि वचनदाता ने वह वाद लाने या प्रतिरक्षा करने के लिए उसे प्राधिकृत किया हो .

३ – वे सब धनराशियाँ , जो उसने ऐसे किसी वाद के किसी समझौते के निबंधनो के अधीन दी हो , यदि वह समझौता वचनदाता के आदेशो के प्रतिकूल न रहा हो और ऐसा रहा हो , जैसा समझौता क्षतिपूर्ति की संविदा के आभाव में वचनग्रहीता के लिए करना प्रज्ञायुक्त होता ; अथवा यदि वचनदाता ने उस वाद का समझोता करने के लिए उसे प्राधिकृत किया हो .

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क्षतिपूर्ति एवं प्रत्याभूति संविदा में अंतर

1 –  धारा 124 संविदा अधिनियम के अनुसार वह संविदा जिसके द्वारा एक पक्षकार दुसरे पक्षकार को स्वयं वचनदाता के आचरण से या किसी अन्य व्यति के आचरण से उस दुसरे पक्षकार को हुई हानि से बचाने का वचन देता है क्षतिपूर्ति की संविदा कहलाती है .

जबकि धारा 126 के अनुसार किसी परव्यक्ति द्वारा व्यतिक्रम की दशा में उस बचन का पालन या उसके दायित्व का निर्वहन करने की संविदा प्रत्याभूति की संविदा है .

२ – क्षतिपूर्ति के अधीन दायित्व समाश्रित इस अर्थ में होता है की हो सकता है की दायित्व कभी उत्पन्न ही न हो , जबकि प्रत्याभूति के अधीन दायित्व विधमान होता है म क्योंकि एक बार प्रत्याभूति के आधार पर कोई कार्य होने से दायित्व अपने आप उत्पन्न हो जाता है.

३ – क्षतिपूर्ति की संविदा में दो पक्षकार होते हैं जबकि प्रत्याभूति की संविदा में तीन पक्षकार होते हैं .लेनदार , मूलऋणी और प्रतिभू

४ – क्षतिपूर्ति में केवल एक संविदा होती है जबकि प्र्त्याभुतियों में दो संविदाएं होती हैं .

५ – प्रत्याभूति में वचन संपार्श्विक होता है , जबकि क्षतिपूर्ति में वह मुलरुपी होता है .

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