आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ भारतीय दंड संहिता की धारा 38 क्या है | 38 Ipc in Hindi | IPC Section 38 | Persons concerned in criminal act may be guilty of different offences” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 38 क्या है | 38 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 38 ] हिंदी में –
आपराधिक कार्य में संपॄक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे –
जहां कि कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या सम्पॄक्त हैं, वहां वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे ।
दृष्टांत-
क गम्भीर प्रकोपन की ऐसी परिस्थतियों के अधीन य पर आक्रमण करता है कि य का उसके द्वारा वध किया जाना केवल ऐसा आपराधिक मानववध है, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है । ख जो य से वैमनस्य रखता है, उसका वध करने के आशय से और प्रकोपन के वशीभूत न होते हुए य का वध करने में क की सहायता करता है । यहां, यद्यपि क और ख दोनों य की मॄत्यु कारित करने में लगे हुए हैं, ख हत्या का दोषी है और क केवल आपराधिक मानव वध का दोषी है ।
[ Ipc Sec. 38 ] अंग्रेजी में –
“Persons concerned in criminal act may be guilty of different offences ”–
Where several persons are engaged or concerned in the commission of a criminal act, they may be guilty of different offences by means of that act.
Illustration –
A attacks Z under such circumstances of grave provocation that his killing of Z would be only culpable homicide not amounting to murder. B, having ill-will towards Z and intending to kill him, and not having been subject to the provocation, assists A in killing Z. Here, though A and B are both engaged in causing Z’s death, B is guilty of murder, and A is guilty only of culpable homicide.
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