आज के इस आर्टिकल में मै आपको “लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध | भारतीय दंड संहिता की धारा 183 क्या है | 183 Ipc in Hindi | IPC Section 183 | Resistance to the taking of property by the lawful authority of a public servant ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 183 क्या है | 183 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 183 ] हिंदी में –
लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध–
जो कोई किसी लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा किसी संपत्ति के ले लिए जाने का प्रतिरोध यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए करेगा कि वह ऐसा लोक सेवक है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
183 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 183 ] अंग्रेजी में –
“ Resistance to the taking of property by the lawful authority of a public servant ”–
Whoever offers any resistance to the taking of any property by the lawful authority of any public servant, knowing or having reason to believe that he is such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.
183 Ipc in Hindi
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