आज के इस आर्टिकल में मै आपको “शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक दारा वह वैसा करने के लिए सम्यक रूप से अपेक्षित किया जाए | भारतीय दंड संहिता की धारा 178 क्या है | 178 Ipc in Hindi | IPC Section 178 | Refusing oath or affirmation when duly required by public servant to make it” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 178 क्या है | 178 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 178 ] हिंदी में –
शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक दारा वह वैसा करने के लिए सम्यक रूप से अपेक्षित किया जाए–
जो कोई सत्य कथन करने के लिए शपथ [या प्रतिज्ञान] द्वारा अपने आप को आबद्ध करने से इंकार करेगा, जबकि उससे अपने को इस प्रकार आबद्ध करने की अपेक्षा ऐसे लोक सेवक द्वारा की जाए जो यह अपेक्षा करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो कि वह व्यक्ति इस प्रकार अपने को आबद्ध करे वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
178 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 178 ] अंग्रेजी में –
“ Refusing oath or affirmation when duly required by public servant to make it ”–
Whoever refuses to bind himself by an oath 1[or affirmation] to state the truth, when required so to bind himself by a public servant legally competent to require that he shall so bind himself, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.
178 Ipc in Hindi
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