आज के इस आर्टिकल में मै आपको “शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना | भारतीय दंड संहिता की धारा 102 क्या है | 102 Ipc in Hindi | IPC Section 102 ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 102 क्या है | 102 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 102 ] हिंदी में –
शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना-
शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या धमकी से शरीर के संकट की युक्तियुक्त आशंका पैदा होती है, चाहे वह अपराध न किया गया हो, और वह तब तक बना रहता है जब तक शरीर के संकट की ऐसी आशंका बनी रहती है।
102 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 102 ] अंग्रेजी में –
“ Commencement and continuance of the right of private defence of the body ”–
The right of private defence of the body commences as soon as a reasonable apprehension of danger to the body arises from an attempt or threat to commit the offence though the offence may not have been committed; and it continues as long as such apprehension of danger to the body continues.
- सामान्य आशय क्या है
- संविदा का उन्मोच
- संविदा कल्प या आभासी संविदा क्या है
- समाश्रित संविदा किसे कहते हैं
- उपनिधान उपनिहिती और उपनिधाता
- उपनिहिति का धारणाधिकार
- गिरवी से आप क्या समझते है
- क्षतिपूर्ति की संविदा
- आर्टिकल 35A क्या है
- गॄह-भेदन किसे कहते हैं
- आपराधिक अतिचार किसे कहते हैं
- संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा
- शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा
- कौन से करार संविदा हैं
- स्वतंत्र सहमती किसे कहते हैं
- शून्य और शून्यकरणीय संविदा
- प्रतिफल क्या है
- स्वीकृति क्या है
- प्रस्ताव से क्या समझते हो
- संविदा किसे कहते है