Home ALL POST संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

3255
0

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

मूल भारतीय संविधान में केवल 8 अनुसूचियों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान संविधान में अनुसूचियों की संख्या 12 हो गई है। संविधान के प्रथम संशोधन द्वारा 9वीं अनुसूची को संविधान में सम्मिलित किया गया है।

1974 में संविधान के 35वें संशोधन द्वारा 10वीं अनुसूची को संविधान में स्थान दिया गया। संविधान के 36वें संशोधन अधिनियम द्वारा इस अनुसूची को समाप्त कर दिया गया और 52वें संविधान संशोधन द्वारा इसके स्थान पर एक नयी 10वीं अनुसूची को स्थापित किया गया।

संविधान संशोधन अधिनियम, 1992के अंतर्गत क्रमशः संविधान के 73वें और 74वें संशोधन द्वारा 11वीं एवं 12वीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया हैं।

अनुसूचियां

वर्तमान भारतीय संविधान में अनुसूचियों की संख्या 12 है, जिनका विवरण इस प्रकार है-

पहली अनुसूची

इस अनुसूची में भारतीय गणराज्य के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का उल्लेख है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की वर्तमान संख्या क्रमशः 29 और 7 है।

नोट – संविधान के 62वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है. 
नोट – 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना राज्‍य बनाया गया. इससे पहले राज्‍यों की संख्‍या 28 थी.

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

दूसरी अनुसूची

इस अनुसूची में भारत के विशिष्ट पदाधिकारियों के संबंध में उपबंधों का उल्लेख किया गयाहै। राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति और उपसभापति, राज्य की विधान सभाओं के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष तथा विधान परिषद के सभापति और उप-सभापतियों के साथ-साथ भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के वेतन और उपलब्धियों के संबंध में प्रावधान किया गया है।

अनुसूची में उल्लिखित विभिन्न महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के वेतन एवं भत्तों का विवरण निम्नानुसार है-

राष्ट्रपति

राष्ट्रपति को निःशुल्क शासकीय निवास (राष्ट्रपति। भवन) उपलब्ध होता है। राष्ट्रपति उन सभी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होगा जो संसद द्वारा समय-समय पर निश्चित किये जाएंगे। संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार राष्ट्रपति की उपलब्धियां और भत्ते उसके कार्यकाल में घटाये नहीं जा सकते।

राज्यपाल

राज्यपाल की मासिक वेतन प्रदान किया जाता है। उसे निःशुल्क सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाता है। वह वे सभी भत्ते और सुविधाएं पाने का अधिकारी है, जो संविधान के आरंभिक वर्षों में प्रांतीय गवर्नर को दिए जाते थे।

संसद की राज्यपाल के वेतन, भत्ते तथा अन्य सुविधाओं से संबंधित कानून बनाने का अधिकार है लेकिन उसके पद पर बने रहने के दौरान उसके वेतन और भत्ते घटाए नहीं जा सकते [(अनुच्छेद 158(3) (4)]।

राज्यपाल के वेतन और भत्ते राज्य के संचित कोषों में से दिए जाते हैं, जिस पर राज्य के विधान मंडल को मतदान का अधिकार नहीं होता है।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एवं अन्य न्यायाधीशों को प्रतिमाह वेतन प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त पेंशन व भत्ते का निर्धारण समय-समय पर संसद द्वारा निर्धारित किया जाता है।

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष वेतनादि प्राप्त होता है।

 

तीसरी अनुसूची

इस अनुसूची में राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, संघ के मंत्रियों, उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, नियंत्रक-महालेखा परीक्षक वाली शपथ अथवा प्रतिज्ञान का प्रारूप है।

  1. संघ के मंत्री के लिए पद के शपथ का प्रारूप –

मैं, अमुख, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठ से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

  1. संघ के मंत्री के लिए गोपनीयता की शपथ का प्रारूप

मैं, अमुख, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठ से प्रतिज्ञान करता हूं की जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएंगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक् निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूगा।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

  1. (क) संसद के लिए निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप-

मैं, अमुक, जो राज्य सभा (या लोकसभा) में स्थान करने के लिए अभ्यर्थी के रूप में में नामनिर्देशित हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठ से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा।

(ख) संसद के सदस्य द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप

“मैं, अमुक, जो राज्य सभा (या लोकसभा) का सदस्य निर्वाचित (या नामनिर्देशित) हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठ से प्रतिज्ञान करता हूं- कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा औरं निष्ठा रखूंगा, में भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

  1. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप-

मैं, अमुक, जो भारत के उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति (या न्यायाधीश) (या भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक) नियुक्त हुआ हूं इश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं की मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूगा तथा सम्यक प्रकार से और श्रद्धापूर्वक तथा अपनी पूरी योग्यता, ज्ञान और विवेक से अपने पद के कर्तव्यों का भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना पालन करूंगा तथा संविधान और विधियों की मर्यादा बनाए रखूंगा।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

  1. किसी राज्य के मंत्री पर के लिए शपथ का प्रारूप

मैं, अमुख, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूगा, मैं भारतको प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं………….राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।

  1. किसी राज्य के मंत्री के लिए गोपनीयता एवं शपथ का प्रारूप

मैं, अमुख, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि जो विषय…………राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक् निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा।

  1. (क) किसी राज्य के विधान-मंडल के लिए निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप

मैं अमुक, ……………………..जो विधान-सभा (या विधान परिषद्) में स्थान भरने के लिए अभ्यर्थी के रूप में नामनिर्देशित हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

(ख) किसी राज्य के विधान-मंडल के सदस्य द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप-

मैं, अमुक, जो विधान-सभा (या विधान परिषद्) का सदस्य निर्वाचित (या नाम निर्देशित) हुआ हूं ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूगा।

  1. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप-

मैं, अमुक,जो…………………….उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति (या न्यायाधीश) नियुक्त हुआ हूं  ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूगा तथा मैं सम्यक् प्रकार से और श्रद्धापूर्वक तथा अपनी पूरी योग्यता, ज्ञान और विवेक से अपने पद के कर्तव्यों का भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना पालन करूंगा तथा मैं संविधान और विधियों की मर्यादा बनाए रखूगा।

 

चौथी अनुसूची

इस अनुसूची में विभिन्न राज्यों को संसद के उच्च एवं स्थायी सदन राज्य सभा के लिए स्थानों के आवंटन की सूची का उपबंध है।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

पांचवी अनुसूची

इस अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन के संबंध में प्रावधान किया गया है (विस्तृत जानकारी हेतु अध्याय-20 अनुसूचित एव जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन देखें)।

 

छठी अनुसूची

इस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा तथा मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में उपबंध है। 6 सितम्बर, 2005 को केंद्र सरकार ने दार्जिलिंग गोरखा पहाड़ी परिषद को छठी अनुसूची में सम्मिलित कर कर लिया। छठी अनुसूची के प्रमुख प्रावधान हैं-

स्वायत्त जिले एवं स्वायत्त क्षेत्र

उत्तरी कछार पहाड़ी क्षेत्र, कर्बी आांग्लॉन्ग जिला एवं बोडोलैण्ड जिला (2003 के संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा समाविष्ट) असम; खासी पहाड़ी क्षेत्र, जयंतिया पहाड़ी क्षेत्र, गारो पहाड़ी क्षेत्र जिले (मेघालय); चकमा, मारा एवं लई जिले (मिजोरम), तथा; त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र (त्रिपुरा) स्वायत्त जिले हैं।

यदि इन स्वायत्त जिलों के भीतर पृथक् अनुसूचित जनजातियां हो तो राज्यपाल एक जन-अधिसूचना जारी करके उस क्षेत्र अथवा क्षेत्रों (जनजातियों द्वारा निवासित) को पृथक् क्षेत्र घोषित कर सकता है। संविधान (संशोधन) अधिनियम, 2008 के पश्चात् यह उपबंध बोडोलैण्ड क्षेत्र पर लागू नहीं होता।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

राज्यपाल द्वारा निम्नलिखित विषयों में जन-अधिसूचना जारी की जा सकती है-

  1. वह उल्लिखित स्वायत्त क्षेत्रों में किसी भी क्षेत्र को समाविष्ट कर सकता है;
  2. aवह उल्लिखित स्वायत्त क्षेत्रों में से किसी भी क्षेत्र को बाहर कर सकता है;
  3. वह नए स्वायत्त जिले का गठन कर सकता है;
  4. किसी भी स्वायत्त जिले का आकार घटा अथवा बढ़ा सकता है, तथा;
  5. वह दो अथवा तीन स्वायत्त जिलों अथवा भागों को संयुक्त करके एक स्वायत्त जिले का गठन कर सकता है।

जिला एवं क्षेत्रीय परिषदें

संविधानतः प्रत्येक स्वायत्त जिले में एक जिला परिषद का प्रावधान किया गया है। इस जिला परिषद में कुल 30 सदस्य होंगे, जिनमें से अधिकतम चार सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाएंगे और शेष अन्य सदस्य प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित होंगे। 2008 के संशोधन अधिनियम द्वारा इस उपबंध में संशोधन करके जिला परिषद में अधिकतम 46 सदस्य होंगे, जिनमें से 40 सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होंगे।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

इन 40 निर्वाचित सदस्यों में से 30 सदस्य अनुसूचित जनजाति के होंगें, जिनके लिए स्थान आरक्षित होंगें (तीस सीटें)। पांच सदस्य गैर-जनजातीय समुदायों से, पांच अन्य समस्त समुदायों से तथा शेष छह सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होंगे। राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्यों की भी मताधिकार सहित वे समस्त अधिकार प्राप्त होंगे जो अन्य सदस्यों को प्राप्त हैं। बोडोलैण्ड क्षेत्र जिला परिषद के गैर-निर्वाचित सदस्यों में से दो महिलाओं का होना आवश्यक है।

जिला परिषदों की भांति ही प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक पृथक् क्षेत्रीय परिषद भी होती है।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

सातवीं अनुसूची

इस अनुसूची में तीन सूचियां है- (i) संघ-सूची, (ii) राज्य-सूची, और; (iii) समवर्ती-सूची।

(1) संघ सूची – इस सूची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है. संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 98 विषय हैं. 
(2) राज्य सूची – इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है. राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है. संविधान के लागू होने के समय इसके अन्‍तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय हैं. 
(3) समवर्ती सूची – इसके अन्‍तर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं. परंतु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है. राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केंद्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है. संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

आठर्वी अनुसूची

इसमें भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख किया गया है. मूल रूप से आंठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थीं, 1967 ई० में सिंधी को और 1992 ई० में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया. 2004 ई० में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो को आंठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

नौवीं अनुसूची

संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई , इस अनुसूची में उन अधिनियमों को सम्मिलित किया गया है, जिनकी वैधानिकता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। इस अनुसूची में सम्मिलित अधिनियमों की संख्या 284 है।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

दसवीं अनुसूची

यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है, इस अनुसूची में दल-बदल संबंधी कानून का प्रावधान है।

 

ग्यारहवीं अनुसूची

यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है , इस अनुसूची में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इस अनुसूची में कुल 29 विषय हैं जिन पर कानून निर्माण का अधिकार ग्राम पंचायतों को है।

संविधान की अनुसूचियां | Schedules of the Constitution

बारहवीं अनुसूची

यह अनुसूची 74वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है , इस अनुसूची में नगरपालिकाओं की संरचना,गठन, सदस्यों की योग्यता, निर्वाचन, नगर पंचायतों के अधिकार एवं शक्तियों तथा उत्तरदायित्वों के विषय में प्रावधान किया गया है। 12वीं अनुसूची में ऐसे कुल 18 विषयों का उल्लेख किया गया है, जिन पर कानून बनाने का अधिकार नगरपालिकाओं को प्राप्त है।

 

 

भारत का संविधान भाग १ | Constitution of India part 1 in Hindi

BUY

 

भारत का संविधान भाग १ | Constitution of India part 1 in Hindi

BUY

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here