आज के इस आर्टिकल में मै आपको “पूर्वतन सिद्धदोष अपराधी को अपने पते की सूचना देने का आदेश | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 356 क्या है | section 356 CrPC in Hindi | Section 356 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 356 | Order for notifying address of previously convicted offender” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 356 | Section 356 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 356 in Hindi ] –
पूर्वतन सिद्धदोष अपराधी को अपने पते की सूचना देने का आदेश-
(1) जब कोई व्यक्ति, जिसे भारत में किसी न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 215, धारा 489क, धारा 489ख, धारा 489ग या धारा 489 या धारा 506 (जहां तक वह आपराधिक अभिनास से संबंधित है जो ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय हो)] के अधीन दंडनीय अपराध के लिए या उसी संहिता के अध्याय 12 [या अध्याय 16] या अध्याय 17 के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया है, किसी अपराध के लिए, जो उन धाराओं में से किसी के अधीन दंडनीय है या उन अध्यायों में से किसी के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडनीय है, द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट के न्यायालय से भिन्न किसी न्यायालय द्वारा पुनः दोषसिद्ध किया जाता है तब, यदि ऐसा न्यायालय ठीक समझे तो वह उस व्यक्ति को कारावास का दंडादेश देते समय यह आदेश भी कर सकता है कि छोड़े जाने के पश्चात् उसके निवास स्थान की और ऐसे निवास स्थान की किसी तब्दीली की या उससे उसकी अनुपस्थिति की इसमें इसके पश्चात् उपबंधित रीति से सूचना ऐसे दंडादेश की समाप्ति की तारीख से पांच वर्ष से अनधिक अवधि तक दी जाएगी।
(2) उपधारा (1) के उपबंध, जहां तक वे उसमें उल्लिखित अपराधों के संबंध में हैं, उन अपराधों को करने के आपराधिक षडयंत्र और उन अपराधों के दुप्रेरण तथा उन्हें करने के प्रयत्नों को भी लागू होते हैं।
(3) यदि ऐसी दोषसिद्धि अपील में या अन्यथा अपास्त कर दी जाती है तो ऐसा आदेश शून्य हो जाएगा।
(4) इस धारा के अधीन आदेश अपील न्यायालय द्वारा, या उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा भी जब वह अपनी पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग कर रहा है, किया जा सकता है।
(5) राज्य सरकार, छोड़े गए सिद्धदोषों के निवास स्थान की या निवास-स्थान की तब्दीली की या उससे उनकी अनुपस्थिति की सूचना से संबंधित इस धारा के उपबंधों को क्रियान्वित करने के लिए नियम अधिसूचना द्वारा बना सकती है।
(6) ऐसे नियम उनके भंग किए जाने के लिए दंड का उपबंध कर सकते हैं और जिस व्यक्ति पर ऐसे किसी नियम को भंग करने का आरोप है उसका विचारण उस जिले में सक्षम अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता है जिसमें उस व्यक्ति द्वारा अपने निवासस्थान के रूप में अन्त में सूचित स्थान है।