आज के इस आर्टिकल में मै आपको “339 Ipc | wrongful restraint | सदोष अवरोध “, के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
सदोष अवरोध क्या है ?
भारतीय दंड संहिता की धारा 339 के अनुसार –
जो कोई किसी व्यक्ति को स्वेच्छया ऐसे बाधा डालता है कि उस व्यक्ति को उस दिशा में, जिसमें उस को जाने का अधिकार है, जाने से निवारित करे, तो वह सदोष अवरोध करना कहलाता है।
अपवाद – भूमि या जल के ऐसे निजी मार्ग में बाधा डालना जिसके सम्बन्ध में किसी व्यक्ति को सद्भावपूर्वक विश्वास है कि वहां बाधा डालने का उसे विधिपूर्ण अधिकार है, इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत अपराध नहीं है।
[ 339 Ipc | wrongful restraint ]
Whoever voluntarily obstructs any person so as to prevent that person from proceeding in any direction in which that person has a right to proceed, is said wrongfully to restrain that person.
यदि आपका ” आईपीसी की धारा 339 | 339 IPC | wrongful restraint “ से सम्बंधित कोई प्रश्न है तो आप कमेट के माध्यम से हम से पूछ सकते हैं ।
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