Home LAW उपनिहिति का धारणाधिकार | Upnihiti ka dharnadhikar

उपनिहिति का धारणाधिकार | Upnihiti ka dharnadhikar

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उपनिहिति का धारणाधिकार | Upnihiti ka dharnadhikar

Upnihiti ka dharnadhikar

आज के इस आर्टिकल में मै आपको भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 170-171 उपनिहिति का धारणाधिकार के बारे में बताने जा रहा हूँ , आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा.

उपनिहिति का धारणाधिकार क्या है?

धारणाधिकार का अर्थ है किसी संपत्ति को अपने कब्जे में बनाये रखने का अधिकार, उपनिधान की संविदा के अंतर्गत चूँकि कोई वस्तु उपनिहिति को प्रदान की जाती है इसलिए ऐसी वस्तु को कुछ परिस्थितियों में वह अपने कब्जे में बनाये रख सकता है जिस अधिकार के अधीन वह ऐसा कर सकता है उसे उपनिहिति का धारणाधिकार कहा जाता है।

उपनिहिति के धारणाधिकार से संबंधित उपबंध संविदा अधिनियम की धाराओं 170 एवं 171 में किया गया है।

उपनिहिति के धाराणाधिकार को अधिनियम में उपबंधित धाराओं के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है–

(1) विशिष्ट धाराणाधिकार

(2) सामान्य धाराणाधिकार

Upnihiti ka dharnadhikar

विशिष्ट धाराणाधिकार

अधिनियम की धारा 170 उपनिहिति के विशिष्ट धारण से सबधित है इस धारा के अनुसार उपनिहिति ने उपनिहित वस्तु के संबंध में उपनिधान के  प्रयोजन के अनुसार कोई सेवा की है जिसमें श्रम या कौशल का प्रयोग अतंर्निहित है तो ऐसी दशा में यदि उनके बीच कोई प्रतिकूल संविदा नहीं है तो उपनिहिति उपनिहित वस्तु  को तब तक अपने पास रोके रह सकता है जब तक कि उन सेवाओं के बदले में उचित पारिश्रमिक नहीं प्राप्त कर लेता है . उदाहरण – 

क एक जौहरी ख को अनगढ़ हीरा काटने और पालिस किये जाबे के लिए  देता है जौहरी ख  ऐसा कार्य कर देता है ख उस हीरे को तब तक रोक सकता है जब तक उसे उसकी सेवाओं के बदले भुगतान नहीं हो जाता है।

विशिष्ट धारणाधिकार के विषय में कुछ बातें अत्यंत महत्वपूर्ण है –

1 – उपनिहिति को विशिष्ट धारणाधिकार केवल उसी वस्तु के संबंध में प्राप्त है जिसके संबंध में उपनिधान किया गया हो।

2 –  उपनिहिति विशिष्ट धारणाधिकार का प्रयोग तभी कर सकता है जबकि उपनिहिति   वस्तु के संबंध में उसके द्वारा की गई सेवाओं से कुछ सुधार हुआ है।

3 – विशिष्ट धारणाधिकार के लिए यह आवश्यक है की उपनिहिती ने उपनिहित वस्तु के सम्बन्ध में उपनिधान के प्रयोजन से श्रम या कौशल का प्रयोग किया है .

4 – विशिष्ट धारणाधिकार  केवल तभी तक प्राप्त होता है जब तक वस्तु उपनिहिति के कब्जे में हो .

5 – यदि कोई विपरीत संविदा है तो उपनिहिति को धर्नाधिकार प्राप्त नहीं होता है .

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सामान्य धारणाधिकार

इस विषय में संविदा अधिनियम की धारा 171 उपबंध करती है साधारण धारणाधिकार  में उपनिहिति उपनिधान के किसी भी वस्तु को रोक सकता है चाहे उसके सम्बन्ध में कार्य किया गया हो या नहीं। इस प्रकार इस अधिकार के अंतर्गत उपनिहिति उपनिधाता के उस माल को भी रोक सकता है जिसके लिये उसने सेवायें नहीं प्रदान की है –

बेंक , फैक्टर, घाटवाल, उच्चन्यायालय के एटार्नी और बीमा दलाल अपने को उपनिहित किसी वस्तु को किसी विपरीत संविदा के अभाव में समस्त लेखाओं की बाकी प्रतिभूति के रूप में धारण कर सकते हैं परंतु अन्य किन्हीं भी व्यक्तियों को यह अधिकार नहीं है कि वे अपने को निहित माल किसी भुगतान के लिए प्रतिभूति के रूप में अपने पास रख सके।

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