Home ALL POST तुलसी विवाह कथा | Tulsi vivah devutthana ekadashi

तुलसी विवाह कथा | Tulsi vivah devutthana ekadashi

2269
0

तुलसी विवाह का इतिहास | Tulsi vivah devutthana ekadashi

Tulsi vivah devutthana ekadashi

Tulsi vivah devutthana ekadashi

हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व होता हैं। सभी हिन्दू परिवार के घर के आंगन में तुलसी का पौधा जरूर लगा होता हैं।

भगवान की पूजा के अलावा हर दिन तुलसी के पौधे की पूजा का भी एक विशेष महत्व होता हैं।

कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह के रूप में उत्सव मनाया जाता हैं। वही इस बार 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह होता हैं।

चार महीने की निद्रा के बाद भगवान विष्णु कार्तिक माह की एकादशी के दिन जागते हैं। जिसके बाद सभी देवी और देवता खुशी में देव दीपावली मनाते हैं।

इसी दिन भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी का विवाह भी भगवान शालीग्राम से होता हैं। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती हैं।

तुलसी का एक नाम वृंदा भी हैं। आज हम आपको बताएंगे तुलसी के वृंदा बनने की पूरी कहानी ।

Tulsi vivah devutthana ekadashi

तुलसी विवाह कथा

प्राचीन काल में जालंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ़ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था।

उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह सर्वजंयी बना हुआ था।

जालंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गये तथा रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया।

उधर, उसका पति जालंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था, वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया।

जब वृंदा को इस बात का पता लगा तो क्रोधित होकर उसने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, ‘जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम भी अपनी स्त्री का छलपूर्वक हरण होने पर स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्यु लोक में जन्म लोगे।

‘ यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। जिस जगह वह सती हुई वहाँ तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।

Tulsi vivah devutthana ekadashi

एक अन्य प्रसंग के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है।

अत: तुम पत्थर के बनोगे। विष्णु बोले, ‘हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी।

जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा।’ बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है।

 Madhyprdesh ki nadiya | मध्यप्रदेश की नदिया

BUY

 Madhyprdesh ki nadiya | मध्यप्रदेश की नदिया

BUY

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here