आज के इस आर्टिकल में मै आपको “दंडादेशों का निलम्बन या परिहार करने की शक्ति | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 432 क्या है | section 432 CrPC in Hindi | Section 432 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 432 | Power to suspend or remit sentences” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 432 | Section 432 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 432 in Hindi ] –
दंडादेशों का निलम्बन या परिहार करने की शक्ति–
(1) जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दंडादेश दिया जाता है तब समुचित सरकार किसी समय, शर्तों के बिना या ऐसी शर्तों पर जिन्हें दंडादिष्ट व्यक्ति स्वीकार करे उसके दंडादेश के निष्पादन का निलंबन या जो दंडादेश उसे दिया गया है उसका पूरे का या उसके किसी भाग का परिहार कर सकती है।
(2) जब कभी समुचित सरकार से दंडादेश के निलम्बन या परिहार के लिए आवेदन किया जाता है तब समुचित सरकार उस न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से, जिसके समक्ष दोषसिद्धि हुई थी या जिसके द्वारा उसकी पुष्टि की गई थी, अपेक्षा कर सकेगी कि वह इस बारे में कि आवेदन मंजर किया जाए या नामंजूर किया जाए, अपनी राय ऐसी राय के लिए अपने कारणों सहित कथित करे और अपनी राय के कथन के साथ विचारण के अभिलेख की या उसके ऐसे अभिलेख की, जैसा विद्यमान हो, प्रमाणित प्रतिलिपि भी भेजे।
(3) यदि कोई शर्त, जिस पर दंडादेश का निलम्बन या परिहार किया गया है, समुचित सरकार की राय में पूरी नहीं हुई है तो समुचित सरकार निलम्बन या परिहार को रद्द कर सकती है और तब, यदि वह व्यक्ति, जिसके पक्ष में दंडादेश का निलम्बन या परिहार किया गया था मुक्त है तो वह किसी पुलिस अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना गिरफ्तार किया जा सकता है और दंडादेश के अनवसित भाग को भोगने के लिए प्रतिप्रेषित किया जा सकता है।
(4) वह शर्त, जिस पर दंडादेश का निलम्बन या परिहार इस धारा के अधीन किया जाए, ऐसी हो सकती है जो उस व्यक्ति द्वारा, जिसके पक्ष में दंडादेश का निलम्बन या परिहार किया जाए, पूरी की जाने वाली हो या ऐसी हो सकती है जो उसकी इच्छा पर आश्रित न हो।
(5) समुचित सरकार दंडादेशों के निलम्बन के बारे में, और उन शर्तों के बारे में जिन पर अर्जियां उपस्थित की और निपटाई जानी चाहिएं, साधारण नियमों या विशेष आदेशों द्वारा निदेश दे सकती है :
परन्तु अठारह वर्ष से अधिक की आयु के किसी पुरुष के विरुद्ध किसी दंडादेश की दशा में (जो जुर्माने के दंडादेश से भिन्न है। दंडादिष्ट व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई कोई ऐसी अर्जी तब तक ग्रह्ण नहीं की जाएगी जब तक दंडादिष्ट व्यक्ति जेल में न हो, तथा
(क) जहाँ ऐसी अर्जी दंडादिष्ट व्यक्ति द्वारा दी जाती है वहां जब तक वह जेल के भारसाधक अधिकारी की मार्फत उपस्थित न की जाए; अथवा
(ख) जहाँ ऐसी अर्जी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी जाती है वहाँ जब तक उसमें यह घोषणा न हो कि दंडादिष्ट व्यक्ति जेल में है।
(6) ऊपर की उपधाराओं के उपबंध दंड न्यायालय द्वारा इस संहिता की या किसी, अन्य विधि की किसी धारा के अधीन पारित ऐसे आदेश को भी लागू होंगे जो किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को निर्बन्धित करता है या उस पर या उसकी सम्पत्ति पर कोई दायित्व अधिरोपित करता है।
(7) इस धारा में और धारा 433 में “समुचित सरकार” पद से,
(क) उन दशाओं में जिनमें दंडादेश ऐसे विषय से सम्बद्ध किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए हैं, या उपधारा (6) में निर्दिष्ट आदेश ऐसे विषय से संबद्ध किसी विधि के अधीन पारित किया गया है, जिस विषय पर संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, केन्द्रीय सरकार, अभिप्रेत है;
(ख) अन्य दशाओं में, उस राज्य की सरकार अभिप्रेत है जिसमें अपराधी दंडादिष्ट किया गया है या उक्त आदेश पारित किया गया है।
धारा 432 CrPC
[ CrPC Sec. 432 in English ] –
“Power to suspend or remit sentences”–
viction was had or confirmed, to state his opinion as to whether the application should be granted or refused, together with his reasons for such opinion and also to forward with the statement of such opinion a certified copy of the record of the trial or of such record thereof as exists.