आज के इस आर्टिकल में मै आपको “जहां न्यायालय का विचार है कि मामले में धारा 345 के अधीन कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए वहां प्रक्रिया | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 346 क्या है | section 346 CrPC in Hindi | Section 346 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 346 | Procedure where Court considers, that case should not be dealt with under section 345 ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 346 | Section 346 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 346 in Hindi ] –
जहां न्यायालय का विचार है कि मामले में धारा 345 के अधीन कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए वहां प्रक्रिया–
(1) यदि किसी मामले में न्यायालय का यह विचार है कि धारा 345 में निर्दिष्ट और उसकी दृष्टिगोचरता या उपस्थिति में किए गए अपराधों में से किसी के लिए अभियुक्त व्यक्ति जुर्माना देने में व्यतिक्रम करने से अन्यथा कारावासित किया जाना चाहिए या उस पर दो सौ रुपए से अधिक जुर्माना अधिरोपित किया जाना चाहिए या किसी अन्य कारण से उस न्यायालय की यह राय है कि मामला धारा 345 के अधीन नहीं निपटाया जाना चाहिए तो वह न्यायालय उन तथ्यों को जिनसे अपराध बनता है और अभियुक्त के कथन को इसमें इसके पूर्व उपबंधित प्रकार से अभिलिखित करने के पश्चात्, मामला उसका विचारण करने की अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को भेज सकेगा और ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष ऐसे व्यक्ति की हाजिरी के लिए प्रतिभूति दी जाने की अपेक्षा कर सकेगा, अथवा यदि पर्याप्त प्रतिभूति न दी जाए तो ऐसे व्यक्ति को अभिरक्षा में ऐसे मजिस्ट्रेट के पास भेजेगा।
(2) वह मजिस्ट्रेट, जिसे कोई मामला इस धारा के अधीन भेजा जाता है, जहाँ तक हो सके इस प्रकार कार्यवाही करने के लिए अग्रसर होगा मानो वह मामला पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित है।