आज के इस आर्टिकल में मै आपको “अवमान के कुछ मामलों में प्रक्रिया | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 345 क्या है | section 345 CrPC in Hindi | Section 345 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 345 | Procedure in certain cases of contempt ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 345 | Section 345 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 345 in Hindi ] –
अवमान के कुछ मामलों में प्रक्रिया–
(1) जब कोई ऐसा अपराध, जैसा भारतीय दंड संहिता, (1860 का 45) की धारा 175, धारा 178, धारा 179, धारा 180 या धारा 228 में वर्णित है, किसी सिविल, दंड या राजस्व न्यायालय की दृष्टिगोचरता या उपस्थिति में किया जाता है तब न्यायालय अभियुक्त को अभिरक्षा में निरुद्ध करा सकता है और उसी दिन न्यायालय के उठने के पूर्व किसी समय, अपराध का संज्ञान कर सकता है और अपराधी को ऐसा कारण दर्शित करने का, कि क्यों न उसे इस धारा के अधीन दंडित किया जाए. उचित अवसर देने के पश्चात् अपराधी को दो सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का और जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर एक मास तक की अवधि के लिए, जब तक कि ऐसा जुर्माना उससे पूर्वतर न दे दिया जाए. सादा कारावास का दंडादेश दे सकता है।
(2) ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय वे तथ्य जिनसे अपराध बनता है, अपराधी द्वारा किए गए कथन के (यदि कोई हो) सहित, तथा निष्कर्ष और दंडादेश भी अभिलिखित करेगा।
(3) यदि अपराध भारतीय दंड संहिता, (1860 का 45) की धारा 228 के अधीन है तो अभिलेख में यह दर्शित होगा कि जिस न्यायालय के कार्य में विघ्न डाला गया था या जिसका अपमान किया गया था, उसकी बैठक किस प्रकार की न्यायिक कार्यवाही के संबंध में और उसके किस प्रक्रम पर हो रही थी और किस प्रकार का विघ्न डाला गया या अपमान किया गया था।