आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ क्षमा की शर्तों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 308 क्या है | section 308 CrPC in Hindi | Section 308 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 308 | Trial of person not complying with conditions of pardon” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 308 | Section 308 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 308 in Hindi ] –
क्षमा की शर्तों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण–
(1) जहां ऐसे व्यक्ति के बारे में जिसने धारा 306 या धारा 307 के अधीन क्षमा-दान स्वीकार कर लिया है, लोक अभियोजक प्रमाणित करता है कि उसकी राय में ऐसे व्यक्ति ने या तो किसी अत्यावश्यक बात को जानबूझकर छिपा कर या मिथ्या साक्ष्य देकर उस शर्त का पालन नहीं किया है जिस पर क्षमा-दान किया गया था वहां ऐसे व्यक्ति का विचारण उस अपराध के लिए, जिसके बारे में ऐसे क्षमा-दान किया गया था या किसी अन्य अपराध के लिए, जिसका वह उस विषय के संबंध में दोषी प्रतीत होता है, और मिथ्या साक्ष्य देने के लिए भी अपराध के लिए भी विचारण किया जा सकता है:
परन्तु ऐसे व्यक्ति का विचारण अन्य अभियुक्तों में से किसी के साथ संयुक्तत: नहीं किया जाएगा:
परन्तु यह और कि मिथ्या साक्ष्य देने के अपराध के लिए ऐसे व्यक्ति का विचारण उच्च न्यायालय की मंजूरी के बिना नहीं किया जाएगा और धारा 195 या धारा 340 की कोई बात उस अपराध को लागू न होगी।
(2) क्षमा-दान स्वीकार करने वाले ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया और धारा 164 के अधीन किसी मजिस्ट्रेट द्वारा या धारा 306 की उपधारा (4) के अधीन किसी न्यायालय द्वारा अभिलिखित कोई कथन ऐसे विचारण में उसके विरुद्ध साक्ष्य में दिया जा सकता है।
(3) ऐसे विचारण में अभियुक्त यह अभिवचन करने का हकदार होगा कि उसने उन शतों का पालन कर दिया है जिन पर उसे क्षमादान दिया गया था, और तब यह साबित करना अभियोजन का काम होगा कि ऐसी शर्तों का पालन नहीं किया गया है।
(4) ऐसे विचारण के समय न्यायालय
(क) यदि वह सेशन न्यायालय है तो आरोप अभियुक्त को पढ़कर सुनाए जाने और समझाए जाने के पूर्व ;
(ख) यदि वह मजिस्ट्रेट का न्यायालय है तो अभियोजन के साक्षियों का साक्ष्य लिए जाने के पूर्व, अभियुक्त से पूछेगा कि क्या वह यह अभिवचन करता है कि उसने उन शर्तों का पालन किया है जिन पर उसे क्षमा-दान दिया गया था।
(5) यदि अभियुक्त ऐसा अभिवचन करता है तो न्यायालय उस अभिवाक् को अभिलिखित करेगा और विचारण के लिए अग्रसर होगा और वह मामले में निर्णय देने के पूर्व इस विषय में निष्कर्ष निकालेगा कि अभियुक्त ने क्षमा की शर्तों का पालन किया है या नहीं;
और यदि यह निष्कर्ष निकलता है कि उसने ऐसा पालन किया है तो वह इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी, दोषमुक्ति का निर्णय देगा।