आज के इस आर्टिकल में मै आपको “राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र के लिए अभियोजना | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 क्या है | section 196 CrPC in Hindi | Section 196 in The Code Of Criminal Procedure | CrPC Section 196 | Prosecution for offences against the State and for criminal conspiracy to commit such offence” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 | Section 196 in The Code Of Criminal Procedure
[ CrPC Sec. 196 in Hindi ] –
राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र के लिए अभियोजना-
(1) कोई न्यायालय,
(क) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 6 के अधीन या धारा 153क, ‘[धारा 295क या धारा 505 की उपधारा (1)] के अधीन दंडनीय किसी अपराध का ; अथवा
(ख) ऐसा अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र का ; अथवा
(ग) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 108क में यथावर्णित किसी दुप्रेरण का, संज्ञान केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी से ही करेगा, अन्यथा नहीं।
*[(1क) कोई न्यायालय-
(क) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 153 या धारा 505 की उपधारा (2) या उपधारा (3) के अधीन दंडनीय किसी अपराध का, अथवा
(ख) ऐसा अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र का, संज्ञान केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट की पूर्व मंजूरी से ही करेगा, अन्यथा नहीं।]
(2) कोई न्यायालय भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 120ब के अधीन दंडनीय किसी आपराधिक षडयंत्र के किसी ऐसे अपराध का, जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध] करने के आपराधिक षडयंत्र से भिन्न है, संज्ञान तब तक नहीं करेगा जब तक राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट ने कार्यवाही शुरू करने के लिए लिखित सम्मति नहीं दे दी है :
परंतु जहाँ आपराधिक षडयंत्र ऐसा है जिसे धारा 195 के उपबंध लागू हैं वहां ऐसी कोई सम्मति आवश्यक न होगी।
(3) केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार, उपधारा (1) या उपधारा (1क) के अधीन मंजूरी देने के पूर्व और जिला मजिस्ट्रेट, उपधारा (1क) के अधीन मंजूरी देने से पूर्व.] और राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट, उपधारा (2) के अधीन सम्मति देने के पूर्व, ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा जो निरीक्षक की पंक्ति से नीचे का नहीं है, प्रारंभिक अन्वेषण किए जाने का आदेश दे सकता है और उस दशा में ऐसे पुलिस अधिकारी की वे शक्तियां होंगी जो धारा 155 की उपधारा (3) में निर्दिष्ट हैं।