आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ कपट या भूल का प्रभाव | परिसीमा अधिनियम की धारा 17 क्या है | Section 17 limitation act in Hindi | Section 17 of limitation act | धारा 17 परिसीमा अधिनियम | Effect of fraud or mistake” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
परिसीमा अधिनियम की धारा 17 | Section 17 of limitation act
[ limitation act Sec. 17 in Hindi ] –
कपट या भूल का प्रभाव–
(1) जहां कि किसी ऐसे वाद या आवेदन के मामले में, जिसके लिए इस अधिनियम द्वारा कोई परिसीमा काल विहित है
(क) वह वाद या आवेदन प्रतिवादी या प्रत्यर्थी या उसके अभिकर्ता के कपट पर आधारित है ; अथवा
(ख) उस अधिकार या हक का ज्ञान, जिस पर वाद या आवेदन आधारित है, किसी यथापूर्वोक्त व्यक्ति के कपट द्वारा छिपाया गया है ; अथवा
(ग ) वह वाद या आवेदन किसी भूल के परिणाम से मुक्ति के लिए है ; अथवा
(घ ) बादी या आवेदक के अधिकार को स्थापित करने के लिए आवश्यक कोई दस्तावेज उससे कपटपूर्वक छिपाई गई है,
वहाँ परिसीमा काल का चलना तब तक के बिना आरम्भ न होगा जब वादी या आवेदक को उस कपट या भूल का पता चल न जाए या सम्यक् तत्परता से पता चल सकता था, अथवा छिपाई गई दस्तावेज की दशा में तब तक के बिना आरम्भ न होगा, जबकि छिपाई गई दस्तावेज के पेश करने या उसका पेश किया जाना विवश करने के साधन वादी या आवेदक को सर्वप्रथम प्राप्त न हुए हों :
परन्तु इस धारा की कोई भी बात किसी ऐसी सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के या उसके विरुद्ध कोई भार प्रवर्तित कराने के या तत्संबंधी किसी संव्यवहार को अपास्त कराने के बाद का संस्थित किया जाना या आवेदन का किया जाना शक्य नहीं बनाएगी जो-
(i) कपट के मामले में, किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा मूल्यवान प्रतिफलेन क्रय की गई हो जिसका न तो कपट में कोई हाथ था, और न जो क्रय के समय यह जानता या यह विश्वास करने का कारण रखता था कि कोई कपट किया गया है, अथवा
(ii) भूल के मामले में, उस संव्यवहार के पश्चात् जिसमें भूल की गई. ऐसे व्यक्ति द्वारा मूल्यवान प्रतिफलेन क्रय की गई है, जो न यह जानता या विश्वास करने का कारण रखता था कि भूल की गई है, अथवा
(iii) छिपाई गई दस्तावेज के मामले में, ऐसे व्यक्ति द्वारा मूल्यवान प्रतिफलेन क्रय की गई है जिसका न तो छिपाने में कोई हाथ था और न जो क्रय करने के समय यह जानता या विश्वास करने का कारण रखता था कि वह दस्तावेज छिपाई गई है।
(2) जहां कि किसी निर्णीतऋणी ने किसी डिक्री या आदेश का परिसीमा काल के भीतर निष्पादन कपट या बल प्रयोग द्वारा निवारित कर दिया हो, वहां न्यायालय उक्त परिसीमा काल के अवसान के पश्चात् निर्णीत लेनदार द्वारा किए गए आवेदन पर डिक्री या आदेश के निष्पादन के लिए परिसीमा काल को बढ़ा सकेगा:
परन्तु यह तब जबकि ऐसा आवेदन, यथास्थिति, कपट का पता लगाने की या बल प्रयोग के बन्द होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर किया गया हो।
धारा 17 limitation act
[ limitation act Sec. 17 in English ] –
“ Effect of fraud or mistake ”–
धारा 17 limitation act
Limitation act Pdf download in hindi
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