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क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा | Guru Purnima

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क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा | Guru Purnima

Guru Purnima

गुरु का दर्जा बहुत बड़ा होता है धर्म में भी गुरु और ईश्वर को एक समान माना गया है।

गुरुमें भगवान की छवि देखी जाती है, क्योंकि वे ही जीवन का असली मतलब, इसे जीने के गुण आदि बताते हैं।

गुरु के इसी महत्व को देखते हुए हर वर्ष ‘गुरु पूर्णिमा’ (Guru Purnima) मनाई जाती है। इस साल यह 16 जुलाई को मनाई जाएगी।

महार्षि वेद व्यास जी के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इंसान शांति और मोक्ष की प्राप्ति तब कर पाता है, जब वह अपने गुरु के सिखाये हुए रास्ते पर चलता है। महान संत और कवि कबीरदास ने भी गुरु की महिमा को भगवान से ऊपर बताया।

कब और क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?

गुरु पूर्णिमा को महार्षि वेद व्यास जी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। महार्षि वेद व्यास कई वेदों और पुराणों के रचयिता थे।

हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ‘गुरु पूर्णिमा’ के रूप में मनाया जाता है। इस बार 16 जुलाई को यह पर्व मनाया जाएगा।

भारत में प्राचीनकाल से ही गुरुओं का काफी महत्व रहा है। शिष्य अपने गुरु के साथ ही गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु की पूजा करते थे।

Guru Purnima in hindi pdf

गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा का पर्व अपने गुरु के प्रति श्रद्धाभाव व्यक्त करने का एक अवसर है। इस दिन भगवान के बराबर दर्जा रखने वाले गुरु के महत्व को समझ कर उनका आदर किया जाता है।

इस दिन वस्त्र, फल, फूल और अर्पण कर गुरु को प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। विद्यार्थियों के लिए यह दिन काफी कल्याणकारी माना जाता है।

इसके अलावा ये दिन गुरु का ही नहीं बल्कि माता-पिता और भाई बहन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जीवन में कोई भी पाठ पढ़ा सकता है।

इस तरह से हमे किसी भी प्रकार की शिक्षा देने वाला व्यक्ति हमारा गुरु होता है। इसलिए इस दिन सभी गुरुओं का आदर करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण और गुरु पूर्णिमा

16 जुलाई 2019 को गुरु पूर्णिमा है। 16 और 17 जुलाई को इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। 149 सालों बाद गुरु पूर्णिमा के अवसर पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा।

यह चंद्र ग्रहण भारत समेत यूरोप अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी एवं दक्षिण पूर्व अमेरिका प्रशांत एवं हिंद महासागर से नजर आएगा।

इस वर्ष का यह आखिरी चंद्र ग्रहण काफी अहम है, क्योंकि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन ग्रहण लग रहा है।

पिछली बार 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा के ही दिन ऐसा चंद्र ग्रहण लगा था, जिसका राशियों पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

ज्योतिषों की मानें तो उस ग्रहण के दौरान चंद्रमा शनि, राहु और केतु के साथ धनु राशि में था। इस बार भी ऐसा ही कुछ होने जा रहा है।

ज्योतिष विद्या के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर अलग- अलग प्रभाव पड़ेगा।

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