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दंड प्रक्रिया संहिता वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग 3 | Crpc quiz in Hindi part 3

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आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ दंड प्रक्रिया संहिता वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग 3 | Crpc quiz in hindi part 3 “, के बारे में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा ।

दंड प्रक्रिया संहिता वस्तुनिष्ठ प्रश्न भाग 3 | Crpc quiz in hindi part 3

1 – शिकायत, जैसा कि धारा 2(d) दण्ड प्रक्रिया संहिता में दिया गया है, हो सकती है।

(अ) केवल लिखित

(ब) केवल मौखिक

(स) या तो लिखित अथवा मौखिक

(द) संकेतों से

 

2 – दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत जाँच की जा सकती है-

(अ) केवल मजिस्ट्रेट द्वारा

(ब) पुलिस अधिकारी द्वारा

(स) सत्र न्यायालय द्वारा

(द) मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा

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3 – गलत उत्तर बताइये – दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन-

(अ) जांच न्यायालय द्वारा की जाती है

(ब) जांच आरोप विरचित करने के बाद की जाती

(स) जांच आरोप विरचित करने के पूर्व की जाती है

(द) जांच मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है

 

4 – दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत एक जाँच :

(अ) एक न्यायिक प्रक्रिया

(ब) एक पुलिस प्रक्रिया है

(स) एक प्राइवेट प्रक्रिया है

(द) एक विशिष्ट प्रक्रिया है

 

5 – निम्नलिखित में से कौनसी प्रक्रिया न्यायिक प्रक्रिया है ?

(अ) अन्वेषण

(ब) जाँच एवं अन्वेषण

(स) जाँच एवं विचारण

(द) विचारण एवं अन्वेषण

 

6 – निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही नहीं है ?

(अ) जांच, मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है

(ब) जांच एक न्यायिक कार्यवाही नहीं है

(स) जांच का उद्देश्य है कुछ तथ्यों की सत्यता अथवा असत्यता को सुनिश्चित करना

(द) आपराधिक मामलों का द्वितीय चरण जाँच है

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7 – निम्नांकित में से कौनसे संयोजन सुमेलित हैं ?

(अ) मजिस्ट्रेट या न्यायालय करता है – अन्वेषण

(ब) इसका उद्देश्य साक्ष्य एकत्र करना है – जाँच

(स) यह साधारणतया आपराधिक मामले का दूसरा चरण है – जाँच

(द) यह न्यायिक कार्यवाही नहीं है – अन्वेषण

नीचे दिए गये कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए :

(अ) (अ) और (ब)

(ब) (ब) और (स)

(स) (स) और (द)

(द) (ब) और (द)

 

8 – निम्नलिखित में से कौनसे कथन सत्य हैं ?

(अ) अन्वेषण पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाता है

(ब) अन्वेषण का उद्देश्य साक्ष्य एकत्र करना है

(स) अन्वेषण न्यायिक

(द) अन्वेषण न्यायिक कार्यवाही नहीं है

 

9 – अन्वेषण के अंतर्गत पुलिस अधिकारी द्वारा की जाने वाली सत्र कार्यवाहियां हैं –

(अ) साक्ष्य एकत्र करने के लिए

(ब) विचारण से भिन्न जांच के लिए

(स) विचारण के लिए

(द) उपर्युक्त सभी

 

10 – किसी अपराध का अन्वेषण किया जाता है –

(अ) पुलिस अधिकारी द्वारा

(ब) कार्यपालिका दण्डाधिकारी द्वारा

(स) तहसीलदार द्वारा

(द) न्यायिक दण्डाधिकारी द्वारा

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11 – अन्वेषण का उद्देश्य है –

(अ) अभियुक्त को गिरफ्तार करना

(ब) अभियुक्त को दण्ड देना

(स) अभियुक्त के विरुद्ध साक्ष्य एकत्र करना

(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

 

12 – निम्नलिखित में से कौन सा वाद त्रुटिपूर्ण अन्वेषण से सम्बन्धित है ?

(अ) डी.के. बनाम पश्चिम बंगाल

(ब) जाहिरा हबीबुल्लाह शेख बनाम गुजरात राज्य

(स) साक्षी बनाम भारत संघ

(द) दीपेश चाण्डक बनाम भारत संघ 

 

13 – ‘असंज्ञेय’ अपराध से क्या अभिप्राय है ?

(अ) ऐसा अपराध जिसमें पुलिस अधिकारी बिना वारंट गिरफ्तार नहीं कर सकता

(ब) ऐसे अपराध में पुलिस बिना वारण्ट के गिरफ्तार नहीं कर सकती

(स) पुलिस के विवेक पर गिरफ्तार किया जा सकता है

(द) परिवादी के निवेदन पर गिरफ्तार किया जा सकता है 

 

14 – असंज्ञेय अपराध से अभिप्रेत है, ऐसा अपराध जिसमें –

(अ) एक पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के गिरफ्तार नहीं कर सकता

(ब) एक पुलिस अधिकारी अपने विवेक के आधार पर गिरफ्तार कर सकता है

(स) एक पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के गिरफ्तार करने का प्राधिकार रखता है

(द) परिवादी के निवेदन पर गिरफ्तार किया जा सकता है।

 

15 – कौन सा कथन सही है ?

(अ) समन मामला वह है, जो वारण्ट मामला नहीं है

(ब) समन मामला वह है, जिसमें जमानत की आवश्यकता नहीं है

(स) समन मामला वह है, जिसके द्वारा चोरी के अपराध का विचारण होता है

(द) समन मामला वह है, जिसमें विचारण के दौरान केवल समन भेजा जाता है 

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16 – समन-मामले का अर्थ है :

(अ) एक ऐसा मामला, जो वारण्ट मामला नहीं है

(ब) एक ऐसा मामला, जिसमें प्रतिभूति की आवश्यकता नहीं है

(स) एक ऐसा मामला, जिसके द्वारा चोरी के अपराध का विचारण होता है

(द) एक ऐसा मामला, जिसमें विचारण के दौरान केवल समन ही जारी किया जा सकता है

 

17 – “समन मामले” का अर्थ है. ऐसे अपराध से संबंधित जो दण्डनीय है-

(अ) आजीवन कारावास से

(ब) दस वर्ष की अवधि के लिए कारावास से

(स) दो वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से

(द) दो वर्ष से अनधिक अवधि के कारावास से

 

18 – दो वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध का संबंध है –

(अ) समन मामले से

(अ) वारण्ट मामले से

(स) उपरोक्त दोनों से

(द) उपरोक्त में से

 

19 – ‘वारण्ट मामला’ वह मामला होता है –

(अ) जिसमें कि प्रथम बार में केवल वारण्ट ही जारी किया जा सकता है

(ब) जिसका विचारण केवल मजिस्टेट, प्रथम श्रेणी द्वारा ही किया जाता है

(स) जो कि किसी मृत्युदण्ड, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक अवधि तक के कारावास से दण्डनीय अपराध से सम्बन्धित होता हो

(द) जिसमें कि पुलिस बिना वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती हो

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20 – ‘वारण्ट मामला’ से ऐसा मामला अभिप्रेत है

(अ) जिसमें पुलिस अधिकारी वारण्ट के बिना गिरफ्तार नहीं कर सकता है

(ब) जिसमें न्यायालय प्रथमतः अभियुक्त के विरुद्ध गिरफ्तारी का वारण्ट जारी करेगा (स) जो दो वर्ष से अनधिक के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध से सम्बन्धित है

(द) जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध से

 

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