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Bharat ke yudh | भारत के एतिहासिक युद्ध

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भारत के एतिहासिक युद्ध | Bharat ke yudh

Bharat ke yudh

वितस्ता युद्ध

यह युद्ध सिकंदर एवं पोरस के बीच 326 ई.पू. में हुआ था। जिसमें सिकंदर विजयी हुआ था इसे हाइडेस्पीज या झेलम का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है

चन्द्रगुप्त मौर्य – सेल्यूकस युद्ध

मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस निकेटर के बीच 305 ई. पू. युद्ध हुआ जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य विजयी हुआ। सेल्यूकस ने इस युद्ध में चन्द्रगुप्त से संधि कर जिसके अनुसार काबुल, कंधार, हेरात, तथा मकरान चन्द्रगुप्त को दिया गया। सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया।

हर्ष – पुलेकेशिन द्वितीय

यह युद्ध लगभग 630 – 634 ई. में पुष्यभूति वंश के हर्षवर्धन तथा चालुक्य शासक पुलेकेशिन द्वितीय के बीच हुआ था जिसमें हर्षवर्धन पराजित हो गया था। इस युद्ध की जानकारी पुलेकिशन द्वितीय के एहोल लेख से प्राप्त होती है।

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तराईन का प्रथम युद्ध

यह युद्ध 1191 ई. में मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान बीच हुआ था। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी हुआ।

तराईन का द्वितीय युद्ध

1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान एवं मुहम्मद गौरी के बीच दोबारा युद्ध हुआ जिसमें मुहम्मद गौरी विजयी हुआ।

चंदावर का युद्ध

चन्दावर का युद्ध 1194 ई. में मुहम्मद गौरी एवं कन्नौज के राजा जयचन्द के बीच हुआ था जिसमें गौरी विजयी हुआ।

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पानीपत का प्रथम युद्ध

यह युद्ध बाबर एवं इब्राहिम लोदी के बीच 12 अप्रैल 1526 ई. में हुआ था । इस युद्ध में बाबर ने विजय प्राप्त करके मुगल साम्राज्य की स्थापना की।बाबर द्वारा इस युद्ध में पहली बार तोपख़ाना एवं तुगलमा नीति का प्रयोग किया था।

खानवा का युद्ध

बाबर एवं राणा सांगा के बीच यह युद्ध 16 मार्च 1527 ई. को हुआ जिसमें बाबर विजयी हुआ।

चन्देरी का युद्ध

चन्देरी का युद्ध 29 जनवरी 1528 को बाबर एवं मेदिनीराय के बीच हुआ था। इसमें भी बाबर विजयी हुआ।

घाघरा का युद्ध

बाबर तथा अफगानो के बीच 1529 ई. में घाघरा का युद्ध हुआ जिसमें बाबर विजयी हुआ।

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चौसा का युद्ध 

यह युद्ध 1539 ई. को हुमायूं एवं शेरशाह सूरी के बीच हुआ था इसमें शेरशाह सूरी विजयी हुआ था।

बिलग्राम का युद्ध

हुमायूं एवं शेरशाह सूरी के बीच 1540 ई. में बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध हुआ जिसमें फिर से शेरशाह सूरी विजयी हुआ । पराजित होकर हुमायूं सिंध चला गया तथा शेरशाह सूरी ने दिल्ली एवं आगरा में कब्जा कर लिया ।

सरहिन्दी का युद्ध

1555 ई. में हुमायूं ने सरहिन्दी के युद्ध में सूरी के वंशजों को हराकर पुनः दिल्ली में अपना अधिकार कर लिया।

पानीपत का द्वितीय युद्ध

यह युद्ध 5 नवम्बर 1556 ई में अकबर एवं हेमू के बीच हुआ था। इस युद्ध में अकबर की सेना ने हेमू को पराजित कर दिया।

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तालीकोटा का युद्ध

1565 ई. मे हुआ इस युद्ध को राक्षसी – तंगड़ी या बन्नीहट्टी का युद्ध भी कहा जाता है। यह युद्ध विजयनगर साम्राज्य एवं दक्षिण के राज्यों के बीच हुआ था। इसके परिणाम स्वरूप विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया।

हल्दी घाटी का युद्ध

हल्दी घाटी का युद्ध महाराणा प्रताप तथा अकबर की सेना के बीच 1576 ई. में हुआ था। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आशफखाँ कर रहे थे। अकबर की सेना इस युद्ध में विजयी रही।

असीरगढ़ का युद्ध

यह अकबर का अंतिम अभियान था जिसमें अकबर ने 1601 ई. में दक्षिण भारत के मीरन बहादुर से युद्ध किया।

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प्लासी का युद्ध

यह युद्ध अंग्रेजों एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच 1757 ई. में हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व क्लाइव तथा नवाब की सेना का नेतृत्व मीर जाफर कर रहा था। मीर जाफर ने अप्रत्यक्ष रुप से अंग्रेजों का साथ दिया जिससे नवाब की हार हुई।

पानीपत का तृतीय युद्ध

यह युद्ध 1761 ई. में मराठों एवं अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ था। इस युद्ध में मराठों का नेतृत्व सदाशिव भाऊ ने किया था। मराठों की इस युद्ध में हार हो गई थी।

बक्सर का युद्ध

बक्सर का युद्ध 1764 ई. हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व कैप्टन मुनरो एवं दूसरी ओर अवध के नवाब शुजाउद्दौला ,मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय एवं मीर कासिम की संयुक्त सेना थी अंग्रेजों ने इस युद्ध को जीत लिया। इसके बाद अवध के नवाब तथा मुगल बादशाह अंग्रेजों पर आश्रित हो गए।

प्रथम आंग्ल – मैसूर युद्ध

यह युद्ध अंग्रेजों एवं मैसूर के शासक हैदर अली के बीच 1767 – 1769 ई में हुआ था। इस युद्ध में हैदर अली विजयी हुआ एवं अंग्रेजों ने हैदर अली के साथ मद्रास की संधि कर ली।

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द्वितीय आंग्ल – मैसूर युद्ध

1780 – 1784 ई. में अंग्रेजों द्वारा मद्रास की संधि का पालन नहीं करने के फलस्वरूप यह युद्ध हुआ। हैदर अली की 1782 ई. में मृत्यु हो गयी । हैदर अली के पुत्र टीपु सुल्तान ने मैसूर सेना की कमान संभाली । अंत में टीपू सुल्तान ने 1784 ई. मे अंग्रेजों से मंगलौर की संधि कर ली ।

तृतीय आंग्ल – मैसूर युद्ध

यह युद्ध 1790 – 1792 ई. में टीपू सुल्तान एवं अंग्रेजों के बीच हुआ जिसमें अंग्रेजों का नेतृत्व कार्नवालिस ने किया था। यह युद्ध 1792 ई. में श्रीरंगपत्तनम की संधि के साथ समाप्त हुआ।

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चतुर्थ आंग्ल – मैसूर युद्ध

इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व लार्ड वेलेजली था उसने टीपू सुल्तान पर अंग्रेजों के षड्यंत्र का आरोप लगाकर 1799 ई. में आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में टीपू सुल्तान मारा गया ।

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