Basappa Danappa Jatti Biography | बासप्पा दानप्पा जट्टी की जीवनी
Basappa Danappa Jatti Biography
बी़. डी़. जत्ती 1974 से 1979 तक भारत के उपराष्ट्रपति और 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक भारत के राष्ट्रपति भी रह चुके थे। बी़. डी़. जत्ती कोमल भाषा का प्रयोग करते थे, उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत म्यूनिसिपलिटी का एक सदस्य बनकर की थी।
बासप्पा दानप्पा जट्टी की जीवनी
10 सितम्बर 1913 को बागलकोट जिले के जामखंडी तालुका के सवाल्गी में बी़. डी़. जत्ती का जन्म हुआ था। ‘बी़. डी़. जत्ती’ का पूरा नाम ‘बासप्पा दनप्पा जत्ती’
था। उनका जन्म एक कन्नडिगा लिंगायत परिवार में हुआ था। बी़. डी़. जत्ती को अपनी पढाई पूरी करने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
Basappa Danappa Jatti Biography
उन्होंने कोल्हापुर के राजाराम लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने जामखंडी में ही वकालत का अभ्यास शुरू कर दिया था।
बासप्पा दानप्पा जट्टी का राजनीतिक करियर
उन्होंने 1940 में जामखंडी में म्यूनिसिपलिटी के सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और फिर बाद में 1945 में जामखंडी गाँव म्यूनिसिपलिटी के अध्यक्ष बने।
आगे चलकर उनकी नियुक्ति जामखंडी राज्य विधान मण्डल के सदस्य और जामखंडी राज्य सरकार के मिनिस्टर के रूप में की गयी।
इसके बाद 1948 में बी़. डी़. जत्ती जामखंडी के दिवान बने, दिवान बनने के बाद उन्होंने महाराजा शंकर राव पटवर्धन के साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखे थे।
Basappa Danappa Jatti Biography
8 मार्च 1948 के बाद जामखंडी को बॉम्बे राज्य में मिला लिया गया, बी़. डी़. जत्ती वापस आए और लगातार 20 महीनों तक वकील का काम करते रहे।
1952 के चुनाव के बाद वे बॉम्बे सरकार के स्वास्थ और श्रम मंत्री बने और उन्होंने राज्य के पुनर्निर्माण तक उस पद को संभाला।
राजनीति के बाद
1968 में बी़. डी़. जत्ती की नियुक्ति पांडिचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में हो गई। आगे चलकर 1972 में वे ओडिशा के गवर्नर बने, फिर 1974 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने और फिर 1977 में वे फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद कुछ समय के लिए राष्ट्रपति भी बने थे।
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उनका कार्यवाहक राष्ट्रपति बनना किसी विवाद से कम नही था। अप्रैल 1977 में जब चरण सिंह (उस समय यूनियन ग्रह मंत्री) ने जब 9 राज्यों की असेंबली को भंग करने का निर्णय लिया, तब बी़. डी़. जत्ती ने कैबिनेट की सलाह को मानने से मनाकर दिया और उनके आदेशों पर हस्ताक्षर करने से भी मना कर दिया था।
हालांकि, बाद में उन्होंने आदेश पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर दिए थे। 1979 तक बी़. डी़. जत्ती की गिनती देश के मुख्य राजनेताओं में होने लगी थी।
बासप्पा दानप्पा जट्टी द्वारा निभाए गए विभिन्न पद
- 1945-48 : जामखंडी के राजसी राज्य में शिक्षा मंत्री बने।
- 1948 : जामखंडी के मुख्यमंत्री / दिवान बने।
- 1948-52 : बॉम्बे राज्य में बी.जी. खेर की सरकार में संसदीय सेक्रेटरी थे।
- 1953-56 : बॉम्बे मेंमोरारीजी देसाई की सरकार में स्वास्थ और मजदूर डिप्टी मंत्री थे।
- 1958-62 : मैसूर राज्य के मुख्यमंत्री बने।
- 1962-68 : मैसूर सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर बने।
- 1968-72 : पांडिचेरी सरकार के लेफ्टिनेंट गवर्नर बने।
- 1972-74 : ओडिशा के गवर्नर बने।
- 1974-79 : भारत के उपराष्ट्रपति बने।
- 1977 में 7 महीनों तक भारत के एक्टिंग राष्ट्रपति बने।
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बासप्पा दानप्पा जट्टी की मृत्यु
बी़. डी़. जत्ती का देहांत 7 जून 2002 को हुआ था। वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने नि:स्वार्थ सेवा करने का उदाहरण लोगों के सामने रखा था। बी़. डी़. जत्ती एक सच्ची और अच्छी राजनीति करने वाले नेता के नाम से जाने जाते थे। सब उन्हें असाधारण विचारों वाला साधारण व्यक्ति कहते थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा को “मै अपना खुद का ही मॉडल हूं” नाम दिया था। उनकी जन्म शताब्दी को 2012 में आयोजित किया गया
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